खबर लहरिया Blog स्कूल,खेत,आवाजाही के लिए हो रही रेलवे फाटक मांग | अंबेडकर नगर

स्कूल,खेत,आवाजाही के लिए हो रही रेलवे फाटक मांग | अंबेडकर नगर

श्याम प्रसाद रशीद अली का कहना है कि “जानवरों की भी चिंता लगी रहती है कहीं गलती से इन पटरियों पर आ जाए तो उनकी जान चली जाएगी। खेतों में चारा पानी लेने के लिए यही आसान रास्ता पड़ता है यहां से लोग जल्दी से जल्दी पहुंच जाते हैं।”

                                                                         रेलवे ट्रैक की तस्वीर जिसे अमूमन पार करके लोगों द्वारा अपने निश्चित स्थानों पर पहुंचा जाता है 

रिपोर्ट व फोटो – संगीता, लेखन – सुचित्रा 

रेल की पटरियों को पार करना जोखिम का काम है। यदि अचानक से कोई रेलगाड़ी आ जाए तो बड़ा हादसा भी हो सकता है। रेल की पटरियां ग्रामीण इलाकों से गुजरती है और उसके आस-पास बहुत से घर होते हैं। कई जगह रेल फाटक लगाए जाते हैं ताकि कोई हादसा न हो, लेकिन कुछ गांव इलाके ऐसे है जहां रेल की पटरियां तो है पर फाटक नहीं है। उत्तर प्रदेश के जिला अम्बेडकर नगर, ब्लाक अकबरपुर गांव जोलहिया रगड़ के पास रेलवे की पटरी से लगभग 1000 लोग रोजाना गुजरते हैं। इस रेलवे क्रासिंग के आसपास आवास, कॉलोनी, कॉलेज, स्कूल बने हुए हैं। इसी रास्ते से लोग आवागमन करते हैं। लोग इन पटरियों को पार कर के अपने घर, खेत, स्कूल और काम पर जाते हैं। उनके अंदर हमेशा ये डर बना रहता है कि कोई हादसा न हो जाए। रेलवे क्रॉसिंग अब अकबरपुर मार्केट तक पहुँच गया है। 

अंबडेकर नगर रेलवे क्रॉसिंग को पार कर के ही स्कूल तक पहुंचना होता है। शिल्पा स्कूल जाती हैं और  बताती हैं कि “इधर से रास्ता पास पड़ता है। स्कूल जाने का रास्ता काफी लम्बा है तो स्कूल जाने में देर न हो जाए इसलिए यहां से जाते हैं। जब भी यहां निकलते हैं तो हमेशा यही डर लगता है कि कहीं कोई दुर्घटना न हो जाए।”

तस्वीर में दिखाया गया रास्ता कच्चा है और इस रास्ते के बीच में रेल की पटरी है। इस रास्ते को पार कर के ही किसान अपने खेतों की तरफ खेती के लिए जाते हैं। इसी रास्ते से वो अपने साथ बकरियां लेकर जाते हैं। श्याम प्रसाद रशीद अली का कहना है कि “जानवरों की भी चिंता लगी रहती है कहीं गलती से इन पटरियों पर आ जाए तो उनकी जान चली जाएगी। खेतों में चारा पानी लेने के लिए यही आसान रास्ता पड़ता है यहां से लोग जल्दी से जल्दी पहुंच जाते हैं।”

सरकार द्वारा हमेशा दावा किया जाता है कि रेलवे लाइन बिछाई जा रही है तो कहीं पर प्लेटफॉर्म बनाया जा रहा है लेकिन हमेशा इस बीच उनसे कई गांव छूट जाते हैं। सरकार उन पर ध्यान नहीं देती है। यहां के लोगों ने बताया ये पटरी लगभग दो-तीन पीढ़ी से ज्यादा साल पुरानी है। 

रेलवे फाटक की मांग 

सूबेदार श्यामा देवी, रामचंद्र और गांव के सभी लोगों की मांग है कि यहां भी एक रेलवे फाटक बनाए जाए ताकि हमारी सुरक्षा का भी ध्यान रखा जा सके। बच्चे स्कूल जाएंगे तो कम चिंता रहेगी। रेल आने पर फाटक अपने आप बंद हो जायेगा तो ऐसे में लोगों के मन में डर भी खत्म हो जायेगा। लोगों की आधी परेशानी रेलवे फाटक लगने से कम हो जाएगी। 

 

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