कई अन्य सफाईकर्मी काम पर नहीं जा रहे हैं क्योंकि उन्हें वेतन नहीं मिला है। खुद उसे भी पिछले दो महीने से सैलरी नहीं मिली है लेकिन वह लगातार काम कर रहा है क्योंकि उसका क्षेत्र मुखिया के प्रभाव वाले इलाके में आता है और उनसे टकराव नहीं चाहता।
रिपोर्ट – सुमन, लेखन – कुमकुम
पटना जिले के फुलवारी ब्लॉक के परसा गांव में सफाई की हालत बहुत खराब है। यहां कचरे फेकने की जगह नहीं है। ऐसे में लोगों की कचरे को लेकर चिंता बढ़ जाती है आखिर वह कचरा डाले कहाँ? घर के आसपास कोई खाली जगह देख कर, सभी लोग उसे कूड़ादान बना देते हैं और वहीं कूड़ा डालना शुरू कर देते हैं। गांव में सफाईकर्मी है तो उन्हें समय पर वेतन नहीं मिलता इस वजह से कई सफाईकर्मी सफाई करने नहीं आते जिसका खामियाजा लोगों को भी भुगतना पड़ता हैं। इसमें कुछ ऐसे भी हैं जिन्हें वेतन नहीं मिलता इसके बावजूद वो सफाई करने आते हैं।
गांव की रहने वाली बेबी देवी कचरे से भरी बाल्टी के साथ खड़ी हैं। उन्होंने बताया कि पिछले दो महीनों से न तो कोई झाड़ू लगाने आता है और न ही कोई कचरा उठाने वाला कर्मचारी आता है। मजबूरी में लोग गांव के बाहर रेलवे क्रॉसिंग के पास खाली जगह में कचरा फेंकते हैं। गांव की सड़क और बाजार में भी कचरा फैला रहता है, जिससे सफाई और सेहत की बड़ी समस्या बन गई है।
तस्वीर में आप देख सकते हैं कि थोड़ा आगे सुधीर चौधरी जो अपने घर के सामने की नाली खुद साफ कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि नाली अक्सर जाम हो जाती है और सफाईकर्मी नहीं आते इसलिए उन्हें खुद ही साफ करना पड़ता है। उन्होंने यह भी कहा कि हर कोई अपने-अपने घर के पास खुद ही सफाई कर रहा है क्योंकि कोई और करने वाला नहीं है। जब लोगों से सफाई कर्मचारी के बारे में पूछा गया तो बताया गया कि वे इसी गांव में रहते हैं, लेकिन काम पर नहीं आते। जब यह सरकारी काम है तो उन्हें नियमित रूप से आकर सफाई करनी चाहिए।
फोटो में एक सफाई कर्मचारी साफ-सफाई की यूनिफॉर्म, टोपी और जूते पहने कचरे के डिब्बों के पास खड़ा है। उसने अपना नाम बताने से इनकार किया लेकिन उसने बताया कि वह वार्ड नंबर 6 में कचरा उठाने का काम करता है और उसकी जॉइनिंग जनवरी 2025 में हुई थी। वह रोज सुबह 6 बजे काम पर जाता है और 11 बजे लौटता है। कर्मचारी खुद वार्ड नंबर 8 में रहता है लेकिन काम वार्ड 6 में करता है।
उसने बताया कि कई अन्य सफाईकर्मी काम पर नहीं जा रहे हैं क्योंकि उन्हें वेतन नहीं मिला है। खुद उसे भी पिछले दो महीने से सैलरी नहीं मिली है लेकिन वह लगातार काम कर रहे हैं क्योंकि उसका क्षेत्र मुखिया के प्रभाव वाले इलाके में आता है और उनसे टकराव नहीं चाहता। वह उम्मीद करता है कि कभी न कभी तो सैलरी मिल ही जाएगी। रोज़ का सारा समय इसी काम में लग जाता है। 11 बजे के बाद कोई दूसरा काम भी नहीं मिल पाता जिससे आर्थिक परेशानी बढ़ रही है।
फोटो में एक महिला और एक बीमार बुजुर्ग व्यक्ति दिख रहे हैं और साथ एक महिला जिसका का नाम सुनीता देवी है। वह वार्ड नंबर 6 में झाड़ू लगाने का काम करती हैं। उनके पति भी सफाईकर्मी हैं। दोनों की नियुक्ति जनवरी 2025 में हुई थी। उन्हें कई महीनों से सैलरी नहीं मिली है जिससे घर चलाने में बहुत दिक्कत हो रही है।
उनके ससुर बीमार हैं और लिवर खराब होने की वजह से उनका इलाज करवाने के लिए कर्ज लेना पड़ा है। वह पहले ससुर की सेवा करती हैं फिर सफाई का काम करती हैं। इसके बाद भी उन्हें मेहनत का पैसा नहीं मिल रहा। उन्होंने कहा कि उन्हें हर महीने 3000 रुपये मिलना था लेकिन अब तक नहीं मिला। जब मेहनत कर रहे हैं तो समय पर पैसे मिलने चाहिए वरना घर कैसे चलेगा। अब कर्ज लेकर काम चलाना पड़ रहा है।
फोटो में लल्लन मांझी बनियान में खड़े हैं और उनके पास उनकी पत्नी खड़ी हैं। दोनों अपने टूटे-फूटे घर के पास खड़े हैं जो सरकारी जमीन पर बना है। घर की हालत बहुत खराब है। घर में न तो ठीक से खाने-पीने का इंतजाम है और न ही जरूरी सामान। वे वार्ड नंबर 8 में सफाई का काम करते हैं और करीब डेढ़ साल से लगातार काम कर रहे हैं लेकिन जनवरी 2025 से सैलरी समय पर नहीं मिल रही है। कभी दो महीने में, कभी तीन महीने में पैसा आता है और कभी-कभी बिल्कुल नहीं मिलता।
इतने गंदे काम के बावजूद उन्हें सरकार की ओर से कोई सेफ्टी किट नहीं मिली है। ना जूते, ना दस्ताने, ना टोपी, ना कपड़े। लोग उन्हें गलत नजर से देखते हैं और बुरा-भला कहते हैं। जबकि वे मेहनत से सबके घर जाकर कचरा उठाते हैं। कभी-कभी तो दोपहर 12–1 बजे तक काम करना पड़ता है। अब उन्हें 15–20 दिन हो गए हैं काम पर गए बिना और जब तक पैसा समय पर नहीं मिलेगा वे काम पर नहीं जाएंगे।
तस्वीरों से साफ देखा जा सकता है कि सफाई कर्मचारियों के घरों की हालत बहुत खराब है। लल्लन मांझी की पत्नी बताती हैं कि छत से धूप अंदर आती है क्योंकि छत टूटी हुई है। उनका घर बहुत पुराना है, ज़मीन कच्ची है और साफ-सफाई की स्थिति भी खराब है। न दरवाजा ठीक से बंद होता है और न ही सामान ठीक से रखा जा सकता है। बरसात में घर में पानी भर जाता है और कई तरह की परेशानियां होती हैं।
फुलवारी ब्लॉक की सुपरवाइजर खुशबू कुमारी ने बताया कि सफाई कर्मचारियों को समय पर पैसा नहीं मिल पा रहा है क्योंकि ये सरकारी कर्मचारी नहीं हैं। गांव वालों से हर महीने 30 रूपये लिए जाते हैं जिससे इन कर्मचारियों को भुगतान किया जाता है लेकिन अब लोग पैसा देने से मना कर रहे हैं। वह खुद ही सफाई करने लगे हैं या कचरा खाली जमीन में फेंक देते हैं। उन्होंने बताया कि इस समस्या की जानकारी ऊपर तक भेज दी है और अगर समाधान नहीं हुआ तो सभी सफाई कर्मचारियों के साथ मिलकर धरना देंगी।
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