पटना, बिहार में शिक्षकों की बड़े स्तर पर बहाली हुई है। इसी को लेकर अब नेताओं के बीच श्रेय लेने की होड़ मच गई है।
रिपोर्ट – सुमन, लेखन – कुमकुम
लोकसभा चुनाव के समय हर राजनीतिक दल चाहे वह राजद हो, जदयू हो या बीजेपी ने दावा किया कि यह बहाली उन्हीं की वजह से संभव हुई।पिछले कुछ समय में बिहार में TRE–1, TRE–2 और TRE–3 के जरिए हजारों शिक्षकों की नियुक्ति हुई है। इसमें सिर्फ बिहार के ही नहीं, बल्कि अन्य राज्यों के युवा भी शिक्षक बने हैं।
तेजस्वी यादव का दावा हमने शुरू किया बहाली का काम
राष्ट्रीय जनता दल नेता तेजस्वी यादव का कहना है कि जब वे उपमुख्यमंत्री थे, तब उन्होंने शिक्षकों की बहाली की प्रक्रिया शुरू करवाई थी। बेरोजगार युवाओं को देखते हुए उन्होंने ही शिक्षक की नौकरियाँ निकाली थीं। भले ही अब वे सत्ता में नहीं हैं, लेकिन ये बहालियाँ उनके कार्यकाल की देन हैं।
बहाली हमारे शासन में पूरी हुई
जदयू और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के समर्थकों का कहना है कि शिक्षक बहाली उनकी सरकार में हुई। अगर इस समय राज्य में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हैं, तो सभी प्रक्रिया उन्हीं के सरकार में पूरी हुई है। इसलिए श्रेय भी सरकार को ही मिलना चाहिए।
श्रीमती गिरिजा कुमारी उच्च माध्यमिक विद्यालय में शिक्षकों की भारी कमी, बच्चों की पढ़ाई पर असर
पटना जिले के मसौढ़ी ब्लॉक में स्थित श्रीमती गिरिजा कुमारी उच्च माध्यमिक विद्यालय में शिक्षकों की भारी कमी है। स्कूल की प्रिंसिपल सरोज ने बताया कि स्कूल में हर क्लास के छह सेक्शन A, B, C, D, E, F हैं, लेकिन पढ़ाने के लिए पर्याप्त शिक्षक नहीं हैं।
सरोज राज ने बताया कि उन्हें इस स्कूल में प्रिंसिपल बने हुए एक साल हो गया है। इस दौरान उन्होंने कई बार विभाग को पत्र लिखकर शिक्षकों की कमी की जानकारी दी है, लेकिन हर बार सिर्फ आश्वासन मिला, शिक्षक नहीं।
स्कूल में अंग्रेज़ी, संस्कृत, चित्रकला, इतिहास, राजनीति विज्ञान, जीव विज्ञान और उर्दू जैसे विषयों के शिक्षक नहीं हैं। इससे बच्चों को पढ़ाई में काफी दिक्कत होती है। मजबूरी में एक ही शिक्षक कई विषय पढ़ा रहे हैं, जबकि वे उस विषय के अध्यापक नहीं हैं। बच्चों को जोड़-जोड़कर किसी तरह पढ़ाते हैं ताकि उनका कोर्स छूट न जाए। कोई जांच टीम आती है तो हम हर बार कमी की बात बताते हैं, पर कार्रवाई नहीं होती।जब स्कूल में शिक्षक ही नहीं होंगे तो पढ़ाई कैसे होगी? संस्कृत शिक्षक उर्दू कैसे पढ़ा सकता है या उर्दू शिक्षक चित्रकला कैसे पढ़ाएगा? हर विषय का अलग शिक्षक होना जरूरी है।
2000 से ज़्यादा बच्चे, लेकिन शिक्षकों की भारी कमी से जूझ रहा है स्कूल
श्रीमती गिरिजा कुमारी उच्च माध्यमिक विद्यालय में हर साल बच्चों की संख्या तो बढ़ रही है, लेकिन शिक्षकों की संख्या बहुत कम है। स्कूल में हिंदी के शिक्षक गोपाल कृष्ण गोखले बताते हैं कि पहले यह स्कूल सिर्फ 9वीं और 10वीं तक था, लेकिन साल 2013 में इसे प्लस टू यानी 12वीं तक का स्कूल बना दिया गया।
9वीं में 450 से ज़्यादा बच्चों की संख्या
10वीं में 713 बच्चों की संख्या
11वीं – 550 बच्चों की संख्या
12वीं – 418 बच्चों की संख्या
कुल मिलाकर स्कूल में करीब 2,100 से अधिक छात्र पढ़ाई कर रहे हैं।
इतने बच्चों को पढ़ाने के लिए शिक्षक बहुत कम हैं। स्कूल में संस्कृत, अंग्रेज़ी, इतिहास और राजनीतिक जनीतिक विज्ञान विषयों के शिक्षक नहीं हैं। कई बार विभाग को पत्र लिखा गया, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला।
विद्यालय में मौजूद कुछ शिक्षकों की संख्या
गोपाल कृष्ण गोखले टीचर हिंदी पढ़ाते हैं
राजकुमार राय टीचर विज्ञान
अरुण कुमार और रूपम कुमारी – अन्य विषय विषय पढ़ाते हैं।
स्कूल बड़ा है, क्लासरूम भी हैं, बच्चों के बैठने की सुविधा है, लेकिन सबसे बड़ी दिक्कत है – शिक्षकों की भारी कमी। इतने बच्चों के लिए पर्याप्त टीचर नहीं हैं। आप बच्चों से पूछेंगे तो वे खुद बताएंगे कि उन्हें पढ़ाई में कितनी परेशानी होती है, क्योंकि जरूरी विषयों के शिक्षक नहीं हैं।
उच्च माध्यमिक विद्यालय में चपरासी की भी भारी कमी
विद्यालय की प्राचार्या सरोज कुमार बताती हैं कि उनके स्कूल में शिक्षकों की ही नहीं, बल्कि चपरासी की भी भारी कमी है। स्कूल में इस समय केवल एक चपरासी है, जो गेट के बाहर बैठता है। बच्चों को समझने, स्कूल का कामकाज संभालने और व्यवस्थाएं चलाने के लिए क्लर्क का होना बहुत जरूरी है।
चपरासी की जरूरत हर रोज़ पड़ती है – जैसे कोई जरूरी सामान लाना हो, बेल बजानी हो, या गर्मी में किसी शिक्षक को पानी देना हो। ऐसे समय में अगर सभी शिक्षक अपनी कक्षाएं ले रहे हों, तो ये छोटे-छोटे लेकिन जरूरी काम कौन करेगा।
अगर कोई फाइल एक जगह से दूसरी जगह ले जानी हो या कोई अभिभावक स्कूल में आता है, तो उसे समझाना पड़ता है कि कौन-सा शिक्षक कहां है, प्राचार्य का कार्यालय कहां है या कौन-सी कक्षा किस तरफ है यह सब काम चपरासी के ज़रिए ही अच्छे से हो सकता है।आज की स्थिति यह है कि स्कूल में एक भी क्लर्क नहीं है, और सिर्फ एक चपरासी के भरोसे पूरा स्कूल चलाया जा रहा है
क्लास में टीचर ना आने से बच्चे परेशान
रेखा कुमारी, गुड़िया कुमारी और ब्यूटी कुमारी ये सभी लड़कियां इसी स्कूल की छात्राएं हैं। वे स्कूल के बाहर खड़ी होकर आपस में बात कर रही थीं। कुछ नई छात्राएं एडमिशन करवाने आई थीं, तो ये लड़कियां उन्हें थोड़ा दूर हटकर समझा रही थीं।बातचीत के दौरान उन्होंने बताया, मैडम, हम रोज स्कूल आते हैं पढ़ने के लिए, लेकिन यहां पढ़ाई सही से नहीं होती, क्योंकि टीचर ही नहीं आते हैं। हमने एडमिशन करवा लिया है, मम्मी-पापा रोज कहते हैं “बेटा पढ़ने जाओ तो हम आते भी हैं, लेकिन जब यहां आते हैं, तो पढ़ाई नहीं हो पाती।यहां स्कूल से बाहर निकलना मना है, तो हम स्कूल में ही रहते हैं। लेकिन कई बार ऐसा होता है कि सिर्फ दो टीचर आते हैं। एक हिंदी पढ़ाने वाले और एक हिस्ट्री पढ़ाने वाले। बाकी विषयों के तो टीचर आते ही नहीं हैं।
इस पूरी रिपोर्ट से साफ पता चलता है कि बिहार में कई स्कूल कुछ गिने-चुने शिक्षकों के सहारे ही चल रहे हैं। श्रीमती गिरिजा उच्च माध्यमिक विद्यालय की हालत तो एक उदाहरण मात्र है। पटना जिले और बिहार के अन्य कई जिलों में भी ऐसे स्कूल हैं जहाँ कक्षा 1 से 5 तक की पढ़ाई तो होती है, लेकिन वहाँ सिर्फ दो ही शिक्षक होते हैं। कई जगहों पर कक्षा 1 से 8 तक चलती है लेकिन शिक्षक केवल पाँच होते हैं।
टीचरों की भारी बहाली के बाद भी हालात बहुत नहीं बदले हैं। बच्चों को एक साथ जोड़कर एक ही क्लास में बैठाकर पढ़ाया जाता है, क्योंकि विषयवार शिक्षक मौजूद नहीं हैं। सरकार शिक्षा को मज़बूत करने की बात करती है, लेकिन ज़मीनी स्तर पर बिहार की सरकारी शिक्षा व्यवस्था और भी कमजोर दिखाई देती है।
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