पटना जिले में कई लोग सड़क किनारे झुग्गी-झोपड़ी बनाकर रह रहे हैं क्योंकि उनके पास अपना कोई स्थायी घर नहीं है, न ही कोई नौकरी है। वह सालों से सड़क किनारे रह रहे हैं। पुरुष दिन-भर दुकानों में काम करते हैं व महिलाएं दिन-भर कचरा बीनने का काम करती हैं और ऐसे ही उनका पूरा दिन निकल जाता है। उनके पास सिर्फ यही काम है।
इनके पास सरकार द्वारा चलाई जा रही योजना का कोई लाभ नहीं है। चुनाव के समय ही बस उन्हें पहचाना जाता है और वोट देने के नाम पर उन्हें पक्का घर देने का वादा किया जाता है पर वह वादें कभी पूरे नहीं होते।
ये भी देखें – अयोध्या : समाज को आइना दिखाती अवधी भाषा की कविताएं
लोगों ने बताया, क्योंकि पूरे शहर में मेट्रो बन रही है तो जहां वह पहले रह रहे थे, वहां से भी पुलिस द्वारा हटा दिया गया है। वह पुल के नीचे झोपड़ी बनाकर रह रहे हैं जहां हमेशा उनके ऊपर जान का खतरा बना रहता है। उनकी बेटियां बड़ी हो रही हैं तो उनकी सुरक्षा का भय, लूटपाट होने का डर भी उन्हें रहता है। उनके बच्चों को सरकारी स्कूल से यह कहकर निकाल दिया गया कि पहले पैसे लाओ फिर पढ़ाया जाएगा। उन्हें भी कभी-कभार ही काम मिलता है। ऐसे में कई बार उन्हें सिर्फ पानी पीकर भी सोना पड़ता है।
महिलाओं से बात की तो उनका कहना था कि समस्याओं को रोज़ देखते-देखते उन्हें आदत हो गयी है। जब बरसात में सड़क किनारे पानी भर जाता है तो वह इधर-उधर खुले आसमान के नीचे सो जाते हैं। ठंड में उन्हें बोरा, पन्नी ओढ़कर सोना पड़ता है।
ये भी देखें – छतरपुर : पूरे गांव में एक हैंडपंप, वो भी टूटा जो देता है ज़ंग भरा पानी
यदि आप हमको सपोर्ट करना चाहते है तो हमारी ग्रामीण नारीवादी स्वतंत्र पत्रकारिता का समर्थन करें और हमारे प्रोडक्ट KL हटके का सब्सक्रिप्शन लें’