पटना जिले के रेलवे स्टेशन के पास स्थित बुद्ध स्मृति पार्क एक विशाल और सुंदर स्थल है। इसकी सटीक लंबाई-चौड़ाई की जानकारी तो वहां मौजूद लोगों ने नहीं दी लेकिन इंटरनेट में मिली जानकारी के अनुसार यह पार्क 27 मई 2010 को तैयार हुआ था। इसका उद्घाटन तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा द्वारा किया गया था। फोटो में आप बुद्ध स्मृति पार्क का मुख्य द्वार देख सकते हैं, जिस पर बड़े अक्षरों में बुद्ध स्मृति पार्क लिखा है और यही द्वार इस स्थान का प्रमुख आकर्षण भी है।
रिपोर्ट – सुमन, लेखन – सुचित्रा
इस तस्वीर में आप टिकट काउंटर दिखाई दे रहा है, जिसमें प्रवेश शुल्क की पूरी जानकारी दी गई है। यदि आपको केवल बुद्ध स्मृति पार्क में घूमना है तो इसके लिए ₹20 का टिकट लेना होगा। पार्क के अंदर स्थित संग्रहालय का टिकट ₹40 है। वहीं, बुद्ध स्तूप और बुद्ध पुस्तकालय के लिए अलग-अलग ₹50-₹50 का शुल्क निर्धारित है।
यहां पर दर्शक अपनी इच्छानुसार टिकट ले सकते हैं। आपको केवल उन्हीं स्थानों का भुगतान करना होगा जिन्हें आप देखना चाहते हैं। टिकट लेने से पहले हर स्थल की जानकारी दी जाती है ताकि आप तय कर सकें कि कहां जाना है।
बोर्ड पर यह भी लिखा है कि पार्क हर सोमवार को बंद रहता है। गर्मियों में इसका समय सुबह 7:00 बजे से शाम 7:30 बजे तक है जबकि सर्दियों में यह सुबह 6:00 बजे से शाम 6:30 बजे तक खुला रहता है।
इस तस्वीर में एक टिकट दिखाई दे रही है जिस पर साफ़-साफ़ लिखा है कि आप किन-किन स्थानों पर जा सकते हैं। पार्क के अंदर प्रवेश करते ही बैग की जांच की जाती है और यह स्पष्ट रूप से बताया जाता है कि खाने-पीने का कोई भी सामान अंदर ले जाना मना है। यदि आपके पास कोई खाद्य सामग्री या भारी सामान होता है तो उसे प्रवेश द्वार पर ही जमा करा लिया जाता है। जैसा कि फोटो में देखा जा सकता है कि महिला गार्ड के पास खाने-पीने की वस्तुएं और बैग आदि रखे गए हैं। पार्क से लौटते समय ये सभी सामान वापस लौटा दिए जाते हैं।
बुद्ध स्मृति पार्क में प्रवेश करते ही दाहिनी ओर बुद्ध स्मृति म्यूजियम स्थित है। यहां गौतम बुद्ध से संबंधित विभिन्न जानकारियां दी गई हैं। म्यूजियम के अंदर 51 तस्वीरें प्रदर्शित की गई हैं जो विभिन्न देशों में बने बुद्ध जी के मंदिरों, मूर्तियों और चित्रों को दर्शाती हैं। हर फोटो के नीचे संबंधित देश का नाम भी लिखा है।
इस फोटो में एक सुंदर और आकर्षक पेड़ दिखाई दे रहा है जो दर्शकों के ध्यान का केंद्र है। यहां फोटो खींचना मना है फिर भी लोगों को इस पेड़ के प्रति भावपूर्ण नजरों से निहारते देखा जा सकता है। यह पेड़ प्रतीकात्मक रूप से उस वृक्ष का प्रतिनिधित्व करता है जिसके नीचे महात्मा बुद्ध को महापरिनिर्वाण प्राप्त हुआ था यह ‘कल्पवृक्ष’ हाथों से तैयार किया गया एक कलात्मक मॉडल है।
संग्रहालय के भ्रमण के अंत में एक नक्शा या मॉडल रखा गया है जिसके माध्यम से पूरा बुद्ध स्मृति पार्क आसानी से समझा और घूमा जा सकता है। इस फोटो में वही नक्शा भी दिखाई दे रहा है जिसमें पार्क के हर प्रमुख स्थल की जानकारी दी गई है।
फोटो में एक लड़की जिसका नाम नेहा है वह अपने पापा की तस्वीर खींचती नजर आ रही है। नेहा असम से पहली बार अपने पापा के साथ पटना आई हैं। उनके पापा की तबीयत ठीक नहीं रहती और किसी काम से पटना आए थे लेकिन ट्रेन अगली सुबह की होने के कारण उन्होंने बुद्ध स्मृति पार्क घूमने का समय निकाला।
नेहा ने बताया कि उन्हें पटना अच्छा लग रहा है – यहां सफाई है। सुविधाएं स्पष्ट रूप से बोर्डों के ज़रिए दर्शाई गई हैं और ठंडे पानी की व्यवस्था भी है। उन्होंने बुद्ध पर आधारित एक फिल्म भी देखी जिसे देखकर उन्हें बहुत रोमांच महसूस हुआ। जो बातें उन्होंने किताबों में पढ़ी थीं उन्हें अब प्रत्यक्ष रूप से अनुभव कर पाईं।
हालांकि वे स्तूप के अंदर नहीं गईं लेकिन वहां मौजूद गार्ड ने बताया कि यह स्तूप 80 फीट ऊंचा है और उसमें महात्मा बुद्ध की विशाल मूर्ति और उनसे जुड़ी वस्तुएं रखी गई हैं जिन्हें देखने के लिए अलग से ₹50 का टिकट लेना होता है।
बुद्ध स्मृति पार्क की खास बात यह है कि यह पटना रेलवे स्टेशन के पास स्थित है इसलिए यहां लोग अक्सर बैठने, घूमने और समय बिताने आते हैं। पार्क में पेड़-पौधे अधिक होने से धूप से राहत मिलती है। साथ ही साफ-सुथरे वॉशरूम और पानी की अच्छी व्यवस्था खासकर महिलाओं और लड़कियों के लिए सहूलियत देती है।
सुरक्षा के लिहाज से जगह-जगह गार्ड तैनात हैं जो घूम-घूम कर निगरानी करते हैं ताकि अनुशासन बना रहे।
नेहा के पापा विजय कुमार यादव ने बताया कि उन्होंने बुद्ध स्मृति पार्क के बारे में सिर्फ सुना था लेकिन अब घूमकर अच्छा अनुभव हुआ। मूवी देखकर उन्हें बहुत अच्छा लगा और वे स्तूप देखने के लिए उत्साहित हैं। उन्हें यह बात खटकी कि पार्क में कई हिस्सों के लिए अलग-अलग टिकट लगते हैं जिससे लोगों से ज़्यादा पैसे लिए जाते हैं। उनका मानना है कि एक ही टिकट में पूरा पार्क घूमने की अनुमति होनी चाहिए। बाकी व्यवस्था सफाई और शांति से वे संतुष्ट दिखे।
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