खबर लहरिया Blog Patna: शराबबंदी के बाद ‘सूखा नशा’ की ओर बढ़ते पटना की बस्तियों के युवा 

Patna: शराबबंदी के बाद ‘सूखा नशा’ की ओर बढ़ते पटना की बस्तियों के युवा 

1 अप्रैल 2016 को जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार में पूरी तरह शराबबंदी लागू की, तो इसे एक बड़ा और साहसिक फैसला माना गया।

                                                                                                           पटना की झुग्गी बस्ती (तस्वीर साभार: सुमन)

रिपोर्ट – सुमन, लेखन – कुमकुम 

सरकार को यह भी पता था कि इससे हर साल 4000 करोड़ रुपये का घाटा होगा।  यह कदम महिलाओं की सुरक्षा और समाज को सुधारने के लिए उठाया गया। इसका असर यह हुआ कि लोगों ने नीतीश कुमार को फिर से मुख्यमंत्री बना दिया। अब नौ साल बाद पटना की झुग्गी-झोपड़ी वाली बस्तियों में हालात कुछ और ही नजर आ रहे हैं। शराबबंदी के बाद अब यहां ‘सूखा नशा’ और स्मैक जैसे और भी खतरनाक नशे फैलते जा रहे हैं। ये नशे सस्ते हैं, आसानी से मिलते हैं और ज़्यादा नुकसान करते हैं।

शराबबंदी के बाद बढ़ा ‘सूखा नशा’, महिलाओं की मुसीबतें और बढ़ीं

कमला नेहरू नगर की रहने वाली सुखिया देवी ने बताया कि जबसे शराब बंद हुई है, तब से हमारे ऊपर ज़्यादा अत्याचार होने लगा है। अब लोग ‘सूखा नशा’ और चरस जैसे नए नशों की तरफ बढ़ गए हैं। हमारे मोहल्ले में ऐसे नशे बेचने के चार-चार अड्डे हैं, जबकि पास में ही थाना भी है, लेकिन पुलिस कुछ नहीं करती।

गरीब घर के लोगों को ज्यादा सुखे नशे की लत 

सूखा नशा उसे कहते हैं जो पीने वाला नशा नहीं होता। इसे लोग सूंघकर, चबाकर या जलाकर लेते हैं। यह पाउडर, पत्ती या गैस जैसी चीजों से बनता है। इसे खासकर गरीब इलाकों में बच्चे और नौजवान करते हैं। यह नशा सस्ता होता है लेकिन बहुत ही खतरनाक होता है।

पहले तो सिर्फ पति शराब पीते थे, अब तो हमारे बच्चे भी इन नशों की लत में पड़ते जा रहे हैं। जो भी गरीब घर के बच्चे हैं, वही सबसे ज़्यादा इसकी चपेट में आ रहे हैं। दिन भर मेहनत से जो कमाते हैं, शाम को जाकर वो सब सूखे नशे में उड़ा देते हैं। सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि जब पुलिस किसी को पकड़कर ले जाती है, तो जांच के लिए मशीन से चेक करती है, लेकिन इस नशे का कोई मेडिकल सबूत नहीं निकलता। इस वजह से पुलिस छोड़ देती है और न कोई केस बनता है, न कोई सज़ा मिलती है।

स्मैक के कारण बिखर रहे हैं परिवार 

पटना जिले की स्लम एरिया (झुग्गी बस्ती) की रहने वाली सबरी खातून का कहना है कि मेरा परिवार स्मैक नाम के नशे ने बर्बाद कर दिया है। उनके पति अब इस दुनिया में नहीं हैं। वो खुद बर्तन बेचकर अपने दो बेटों को पालती रही हैं। बड़ा बेटा 24 साल का है जिसकी उन्होंने हाल ही में शादी कराई थी, लेकिन वो आज बहुत दुखी है।

वो कहती हैं कि मैडम, अगर आप इस सूखे नशे और स्मैक को बंद करवा दें, तो मैं ज़िंदगी भर आपके नाम का दुआ दूंगी। यही नशा है जिसकी वजह से मेरा बेटा और मेरा घर तबाह हो गया है।

रोते हुए सबरी अपने घर के बाहर ज़मीन पर बैठ जाती हैं। पास ही अपनी बहू को बुला कर दिखाती हैं और कहती हैं, कि देखिए मैडम, यह मेरी बहू है। इसका क्या कसूर है? जब मेरा बेटा स्मैक पीकर आता है तो इसके साथ मारपीट करता है, गालियाँ देता है, घर का सारा सामान फेंक देता है। जो भी थोड़ा बहुत पैसा हम कमाते हैं, सब नशे में उड़ा देता है। उन्होंने अपने बेटे को नशा मुक्ति केंद्र भी भेजा, जहां वह तीन महीने रहा।

मैंने 50,000 रुपये देकर उसे छुड़वाया। वहां उसकी हालत ऐसी हो गई थी जैसे मरने वाला हो। बाद में जब वह दोबारा नशा करने लगा और हिंसा करने लगा, तो मैंने मजबूरी में खुद ही उसे जेल भिजवाया ताकि वह सुधर जाए।

मैडम, कौन मां चाहेगी कि उसका बेटा जेल में रहे लेकिन मैं चाहती हूं कि वो सुधर जाए। अगर ये नशा बेचना बंद हो जाए, तो हमारे जैसे गरीब मां-बाप को चैन की सांस मिले। 

स्मैक के कारण पटना की बस्तियों में चोरी और बर्बादी बढ़ी

स्लम एरिया (झुग्गी) के रहने वाले सुशील कुमार ने बताया कि हमारे इलाके में 4-5 लोग खुलेआम स्मैक बेचते हैं। हमने कई बार थाने और अधिकारियों को शिकायत दी। कुछ दिन पुलिस आई, छापा मारा, लेकिन फिर सब शांत हो गया। जब नशा बेचने वालों को पता चलता है कि कोई उनके खिलाफ शिकायत कर रहा है, तो वे गुंडे भेजकर धमकाने लगते हैं।

डर के मारे पुलिस तक नहीं जा पाते

सुशील ने बताया कि उनके ही एरिया में एक बार 3 साल की बच्ची को एक नशे में धुत आदमी उठा ले गया। बाद में जब पुलिस ने उस आदमी को पकड़ा, तो उसने कहा कि उसे नशे में पता ही नहीं चला कि बच्ची को कहां छोड़ आया। बच्ची आज तक नहीं मिली।

हाल ही में, एक घर से 10,000 नकद और गहनों की चोरी हुई। ये सब काम नशा करने वाले ही करते हैं, क्योंकि जब उन्हें घर से पैसा नहीं मिलता तो चोरी करने लगते हैं। इतनी बड़ी घटना के बाद भी पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की।

नशे की वजह से बेटे ने की आत्महत्या 

मंजू देवी ने बताया कि जिस घर में मैं रह रही हूं। इस घर में पहले एक महिला अपने बेटे के साथ रहती थी। उसका बेटा स्मैक का आदी था। जब उसे नशा नहीं मिलता, तो वह चिल्लाता, मारपीट करता और अजीब हरकतें करता। एक दिन परेशान होकर उसने आत्महत्या कर ली। उसकी मां अब पागल जैसी हो गई है। किसी के मुंह से अपने बेटे का नाम भी सुन लेती है, तो रोने लगती है।

अब हर घर में नशा, हर मां-बाप परेशान

यहां हर दो घर छोड़कर तीसरे घर में कोई बच्चा नशे का शिकार है। मां-बाप जो मेहनत से कमाते हैं, बच्चे वो पैसे छीन लेते हैं या चोरी कर लेते हैं। कभी बीमार पड़ते हैं, तो इलाज का खर्च भी मां-बाप पर आ जाता  है। स्मैक 300रुपए  की आती है और उससे पूरा परिवार शराब होती तो कम से कम 100रुपए में काम चल जाता था, अब यह बरबाद हो जाता है। हालाँकि स्मैक हो या शराब दोनों का बुरा असर परिवार और सेहत पर पड़ता है। इन दोनों में से किसी एक को हम सही नहीं ठहरा सकते। 

नशे को पकड़ना आसान नहीं, लेकिन हम कोशिश कर रहे हैं

पटना के स्लम एरिया में फैलते सूखा नशा और स्मैक की शिकायतें लगातार बढ़ रही हैं। इस इलाके की देखरेख कोतवाली थाना के तहत होती है। थाने के बड़े बाबू ने बताया कि इस तरह के नशे को पकड़ना आसान नहीं है।  मैडम, सूखा नशा एक ऐसा नशा है जिसमें शरीर में कोई साफ लक्षण नहीं दिखते। अगर हम किसी को पकड़ भी लें तो कैसे साबित करें कि उसने नशा किया है?  कोई मेडिकल जांच में भी यह साफ नहीं आता, इसलिए हम उसे ज्यादा देर तक हिरासत में नहीं रख सकते ।

जब लोग सीधे आकर शिकायत करते हैं, तभी हम मौके पर कार्रवाई कर पाते हैं। कई बार हमने इलाके में छापेमारी की है, शराब भी पकड़ी गई है और नशा बेचने वालों को भी पकड़ा गया है, लेकिन कई बार पुलिस वालों पर ही हमला हो जाता है। 8 मई को हमारी पूरी टीम कमला नेहरू नगर गई थी। हमें गुप्त सूचना मिली थी कि वहां पर बच्चों को नशा दिया जा रहा है। हम पहुंचे, लेकिन लोगों ने हम पर पत्थर फेंक दिए। मुझे भी चोट लगी, नाक से खून बहने लगा और हमें इलाज कराना पड़ा।

स्थिति मुश्किल जरूर है, लेकिन हमारी टीम लगातार लगी हुई है। जल्द ही इस नशे के कारोबार का खात्मा किया जाएगा।

 

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