पाठा की शेरनी के नाम से देशभर में मशहूर रामलली की बहादुरी की कहानी तो आपने सुन ली रखी है। एक युवक को डाकुओं की कैद से छुड़ाने का रामलली का बहादुरी का किस्सा किसी हिंदी सिनेमा से कम तो है नहीं। लेकिन आज हम आपको रामलली की ज़िन्दगी के कुछ ऐसे पलों के बारे में बताएँगे जिनके बारे में शायद ही लोग जानते होंगे
पाठा की शेरनी के निजी जीवन के कुछ पहलुओं को जान्ने के लिए बने रहिए हमारे साथ।
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रामलली की बहादुरी की गाथा से हर कोई वाकिफ तो है ही, 2001 में जब डाकुओं के सामने वो दीवार बनकर खड़ी हुई, तो ये बात सनसनी की तरह पूरे देश में फ़ैल गई। पत्रकारों से लेकर अधिकारियों की लाइन उनके घर के बाहर लग गई। और रामलली एक आम महिला से देश वासियों की हीरो बन गयीं।
रामलली ने आज से 20 साल पहले बुराई के खिलाफ सच्चाई की बहादुर भरी जीत का जो परचम लहराया है, उसे शायद ही कोई कभी भुला पाएगा। इस चिंगारी को आगे की पीढ़ियों में ले जाने के लिए रामलली ने गांव की बच्चियों को भी ट्रेनिंग देना शुरू कर दिया है। पाठा की शेरनी रामलली नाम की ये कहानी हमेशा ही एक मिसाल बन कर हमारे सामने रहेगी।
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