Pradhan Mantri Ujjwala Yojana: प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना 1 मई 2016 को नरेंद्र मोदी द्वारा स्वस्छ ईंधन, बेहतर जीवन नारा के साथ शुरू की गई। जिसका उद्देश भारतीय रसोइयों को धुंआ रहित बनाना है और सरकार द्वारा 2019 तक 5 करोड़ परिवार को उज्ज्वला योजना के तहत फ्री गैस सिलेंडर प्राप्त करना था। इसमें गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले मुख्य लोग थे।
प्रधान मंत्री उज्ज्वला योजना लागू करने का सरकार का मुख्य उद्देश्य यह था कि लोग धुंए से बच्चे और घर पर गैस आ जाने से लाखों पेड़ काटने से बच जाएंगे। इसके साथ ही महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा मिलेगा। लेकिन पन्ना ज़िले के मझौली गांव की आदिवासी महिलाओं का कहना है कि वो इस योजना के बारे में जानती तक नहीं है। न ही उन्हें अबतक इस योजना का लाभ मिला है। कुछ लोगों ने इस योजना के अंतर्गत सिलेंडर पाने के लिए फॉर्म तो भरे थे लेकिन वो फॉर्म भी अस्वीकार हो गए।
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ये महिलाएं जंगलों में लकड़ी काटने जाती हैं, लेकिन वन विभाग के कर्मचारी उन्हें लकड़ी भी नहीं काटने देते हैं। ऐसे में ये महिलाएं फिलहाल गंभीर समस्या से जूझ रही हैं।
गांव की आशा कार्यकर्ता तो स्वास्थ्य विभाग से जुड़ी हैं, स्वास्थ्य विभाग की तरफ से महिलाओं के स्वास्थ्य को बचाने के लिए चलाई जा रही सरकारी योजनाओं के बारे में उन्हें जागरूक तो किया जाता है लेकिन ये आशा कार्यकर्ता खुद भी लकड़ी पर ही खाना बनाती हैं।
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रिपोर्ट के अनुसार MP में उज्जवला योजना के अंतर्गत 82 लाख गैस कनेक्शन हैं लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या हर पात्र परिवार इस योजना का लाभ उठा पा रहा है? सिलेंडर के दाम भी इतने बढ़ चुके हैं कि इन गरीब महिलाओं को अगर वो मिल भी जाता है तो उसे भरा पाना नामुमकिन सा है।
फिलहाल के इस चुनावी माहौल में हमारा बस एक सवाल है कि क्या उज्ज्वला योजना जैसी कई अन्य सरकारी योजनाओं का लाभ इन पात्र महिलाओं को कभी मिल पायेगा? या चुनावी वादे की तरह सिलेंडर पर खाना बनाना एक सपने की तरह ही रह जायेगा!
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