एमपी विधानसभा चुनाव 2023: जिला पन्ना के रानी गंज का चकिया मोहल्ला ये एक ऐसी जगह है जहां पत्थर काटने वाले जाति से संबंध रखने वाले मजदूर हैं। ये कामगार अनुसूचित जाति के तहत आते हैं। पूरी तरह भूमिहीन होते है। सिलबट्टा, जांत, चकरी बनाना इनका पुश्तैनी काम है जो वे पीढ़ी दर पीढ़ी करते आ रहे हैं। अब पत्थर खदानें बंद होने के कारण इनको पत्थर भी आसानी से नहीं मिलता और टेक्नोलॉजी के चलते रोज़गार भी बंद होने की कगार पर है। इन लोगों का कहना है कि वह सिलबट्टा और जांत-चकरी जैसे पत्थर के सामान बनाकर बेचते हैं ,इनके साथ विडंबना यह है कि बदलते जमाने ने उनके पुश्तैनी काम को कम कर दिया है इसलिए वे चाहतें हैं कि सरकार इनको कोई नया रोजगार दे।
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सिलबट्टा बनाने वाली एक महिला का कहना है कि यहां सिर्फ एक पत्थर खदान चलती है। उसमें बहुत सारा समय लगता है फिर पत्थर लाने का भाड़ा लगता है। उसके बाद दिन भर उसको तोड़ते बनाते हैं। पूरे शरीर में दर्द होने लगता है। इसके बाद जब फेरी करके बेचने जाते हैं तो 150- 200 तक में जाता है।
पूरे दिन की मेहनत भी नहीं निकलती पर किसी तरह रोजी-रोटी चल रही हैं। अगर सरकार उनको और उनके बच्चों को भी कोई नया रोज़गार दे दे तो वह इस काम को बंद कर दें और अपना भरण-पोषण अच्छे से करें, यही उनकी इस चुनाव की मांग है।
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