इस वर्ष अधिकतर सरकारी राशन की दुकानों में ग्रामीणों को ज्वार और बाजरा ही बांटा जा रहा है। यहाँ के लोग चाहते हैं कि उन्हें गेहूं भी बराबर मात्रा में मिलना चाहिए क्यूंकि गेहूं का इस्तेमाल ज़्यादा होता है।
जैसा कि हम जानते हैं कि सरकार गरीबों को कुछ राहत देने के लिए हर महीने सभी ग्राम पंचायतों में राशन वितरण करवाती है। एम पी के पन्ना ज़िले में भी हर ब्लॉक के गावों में राशन वितरण होता है। लेकिन ग्रामीणों की मानें तो जिस प्रकार से लोगों को राशन मिलना चाहिए उस हिसाब से उन्हें चीज़ें नहीं दी जा रही हैं।
बता दें कि इस वर्ष अधिकतर सरकारी राशन की दुकानों में ग्रामीणों को ज्वार और बाजरा ही बांटा जा रहा है। यहाँ के लोग चाहते हैं कि उन्हें गेहूं भी बराबर मात्रा में मिलना चाहिए क्यूंकि गेहूं का इस्तेमाल ज़्यादा होता है लेकिन इन लोगों की अबतक कोई सुनवाई नहीं हुई है।
गेहूं की मात्रा कम और बाकी का राशन मिलता है ज़्यादा-
ग्राम पंचायत बनहरी कला के रहने वाले प्रहलाद ने हमें बताया कि इस वर्ष कोटे से मिल रहे राशन में ज्वार, बाजरा और गेहूं शामिल हैं लेकिन प्रशासन को यह अच्छी तरह से पता है कि ग्रामीण गेहूं का इस्तेमाल ज़्यादा करते हैं, परन्तु उसके बावजूद भी इन लोगों को गेहूं कम और बाकी चीज़ें ज़यादा मात्रा में मिलती हैं। प्रहलाद का यह भी कहना है कि पिछले कई महीनों से केरोसीन मिलना तो बंद ही हो गया है। 4-5 महीने में एक बार मिल गया तो ठीक नहीं तो ग्रामीण केरोसीन की मांग ही करते रह जाते हैं लेकिन उनकी कोई नहीं सुनता।
गर्म अनाज खाने से ग्रामीणों के स्वास्थ्य पर पड़ रहा असर-
वार्ड नंबर 6 में रह रही प्यारी बाई ने हमें बताया कि ये लोग कोटे पर मिल रहे राशन से काफी परेशान हैं। प्यारी का कहना है कि उनके गाँव में कोटे में सर्दियों का बचा हुआ अन्न अब वितरण किया जा रहा है। यह लोग अब यह पुराना राशन लेने से इंकार कर रहे हैं। यह ग्रामीण चाहते हैं कि या तो सरकार इन्हें पुराना राशन देना बंद करे या फिर जो भी आवंटित राशन है वो सबको दिया जाए। प्यारी देवी ने हमें यह भी बताया कि ग्रामीणों को घंटों राशन वितरण की लाइन में लगना पड़ता है और उसके बाद कोटेदार सिर्फ ज्वार और बाजरा पकड़ा देता है। कई बार तो इन लोगों को ज़बरदस्ती गेहूं एवं अन्य ज़रूरी चीज़ों की मांग कोटेदार से करनी पड़ती है।
कुछ ग्रामीणों ने हमें बताया कि ज्वार और बाजरे का आटा ठंड में खाने के लिए होता है और काफी गर्म अनाज माना जाता है। लेकिन मजबूरी के चलते लोगों ने तपती गर्मी में भी इसी के आटे की रोटी बनाकर खा ली और परिणाम स्वरूप गाँव में कई लोगों को पेट दर्द और दस्त जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ा।
अच्छी फसल होने के बावजूद भी लोगों को नहीं मिल रहा गेहूं-
ग्राम पंचायत सलैया के रहने वाले रतन सिंह ने हमें बताया कि आजकल के मौसम में महिलाओं के लिए जुंडी और बाजरे की रोटी बेल कर बना पाना भी बहुत मुश्किल होता है। उनका कहना है कि मध्य प्रदेश एक कृषि प्रधान राज्य है जहाँ पर गेहूं की फसल अत्यधिक बोई जाती है लेकिन उसके बावजूद भी एम पी के गरीब परिवारों को गेहूं नहीं दिया जाता। रतन सिंह खुद भी एक किसान हैं और उन्होंने बताया कि इस साल भी गेहूं की फसल पर्याप्त मात्रा में हुई थी और सरकारी केंद्रों में किसानों ने अपनी फसल बेचीं भी है लेकिन उसके बावजूद भी सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में ज्वार और बाजरा बंटवा रही है।
कुछ लोगों ने हमें यह भी बताया कि जून-जुलाई के महीने में ज्वार-बाजरा मिलना बंद हो गया था लेकिन अगस्त के महीने से वापस से ये मिलना शुरू हो गया है।
ग्राम पंचायत बनहरी कला के कोटेदार पेशनी शिवहरे का कहना है कि जो राशन सरकार भेजती है ये लोग वही वितरण करते हैं। कोटेदार की मानें तो वो खुद यही चाहते हैं कि जिस अनाज का सीज़न है वही बांटा जाए लेकिन वो भी कुछ कर नहीं सकते। केंद्र से हर महीने जो भी राशन आता है उन्हें वही राशन लोगों को देना पड़ता है।
अजयगढ़ ब्लॉक की फूड इंस्पेक्टर सरिता अग्रवाल का कहना है कि गेहूं बहुत ही कम मात्रा में विभाग में आ रहा है इसलिए उन्हें भी ज्वार और बाजरा ही ज़्यादा मात्रा में आगे भेजना पड़ रहा है। उनका कहना है कि वो प्रयास करेंगी कि अगले महीने से ग्रामीणों को जिस चीज़ की ज़्यादा ज़रूरत है वही बांटा जाए ताकि ग्रामीणों को भी आगे परेशानी न हो।
इस खबर को खबर लहरिया के लिए अनीता द्वारा रिपोर्ट किया गया है।
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