प्राकृतिक रूप से बना पांडव झरना जोकि ऊंचाई से तालाब जैसा दिखाई देता है,वह प्राकृतिक नर्सरी (पौधशाला) की तरह भी काम करता है। इसके अंदर बड़ी–बड़ी रोहू मछलियां रहती हैं और अपने अंडे देती हैं।
लगभग देश की हर जगहों पर हमें पांडवों से जुड़े स्थान और ऐतिहासिक चीज़े देखने को मिलेंगी। ” पांडव झरना ” भी उन्हीं पुरानी कहानियों से जुड़ा एक ऐतिहासिक हिस्सा है। मध्यप्रदेश के खजुराहो से लगभग 34 किमी. और पन्ना से 12 किमी. की दूरी तय करने पर हम झरने तक पहुँचते हैं। यह प्राकृतिक रूप से बना झरना है।
लगभग 30 मीटर ऊँचा यह झरना, केन नदी की एक सहायक नदी के पास स्थित है। जो की रैनेह झरने के पास है। केन नदी, पन्ना टाइगर रिज़र्व से होकर गुज़रती है। यहां का अपना इतिहास, अपने किस्से और कहानियां है। ज़्यादातर सैलानियों को इस जगह के बारे में मालूम नहीं है लेकिन यहां के स्थानीय लोग यहां के सुंदर वातावरण का पूरी तरह से मज़ा उठाते हैं। झरने के नाम को लेकर भी अपनी ही एक कहानी है, तो आइये मिलकर ‘पांडव झरने‘ के नाम के पीछे की कहानी जानते हैं।
“पांडव झरना“, नाम के पीछे का राज़
कहा जाता है कि पांडव भाई अपने अज्ञातवास के दौरान, इस जगह पर कुछ समय के लिए आराम करने के लिए रुके थे। चट्टानों के अंदर गिरने से, सटे हुए चूना पत्थरों से कुछ चूने की गुफाएं बन गयी थी। ये गुफाएं संख्या में पांच थी, जिसकी वजह से इसे पांडव गुफाएं भी कहा जाता है। इसके साथ ही झरने का नाम भी “पांडव झरना” रख दिया गया।
बड़ी –बड़ी पथरीले चट्टानों और हरे–घने जंगलों के बीच में बहता है यह झरना। बरसात के मौसम में झरना और भी गहरा और खूबसूरत हो जाता है। जिसे अगर ऊंचाई से देखा जाए तो यह एक तलाब की तरह दिखाई देता है। झरने के पास में कई पुरानी ऐतिहासिक गुफाएं और मंदिर भी थे, जो की प्राकृतिक आपदा की वजह से टूट गए। हम टूटे हुए मंदिरों और गुफाओं के अवशेष झरने के आस–पास देख सकते हैं। इस वक़्त यात्रियों के लिए तीन गुफाएं खोली गयी हैं, जिन्हें देखकर लोग वहां के इतिहास से खुद को जोड़ सकते हैं।
झरने की गहराई की क्या है कहानी ?
झरने की गहराई को लेकर भी कई किस्से सुनने में आते हैं। पौराणिक कहानियों में कहा जाता है कि पांडवों में से भीम ने पानी पीने के लिए अपनी गदा से छेद बनाया था। झरने की गहराई को अर्जुन और उसके तीरों से भी जोड़ा जाता है। वैसे तो सब कही–सुनी बातें है। ये कितना सच और कितना झूठ है , इसे जान पाना मुश्किल है।
इसी के साथ एक और कहानी सुनने में आती है। ऐसा कहा जाता है कि स्वतंत्रता सेनानी और क्रांतिकारी नेता चंद्रशेखर आज़ाद ने 4 सितंबर 1929 को इसी स्थान पर अपने साथी क्रांतिकारियों के साथ मिलकर एक बैठक की थी। जिसकी याद में लगभग छह साल पहले, पार्किंग के पास में चंद्रशेखर आज़ाद की प्रतिमा रखी गयी है ताकि यादों को संजोया जा सके।
तालाब में हमेशा पानी भरे रहने का क्या है राज़ ?
प्राकृतिक रूप से बना पांडव झरना जोकि ऊंचाई से तालाब जैसा दिखाई देता है,वह प्राकृतिक नर्सरी (पौधशाला) की तरह भी काम करता है। इसके अंदर बड़ी–बड़ी रोहू मछलियां रहती हैं और अपने अंडे देती हैं। अंडो से मछलियां बड़े होने पर, बरसात के मौसम में पानी की तेज़ धारा की वजह से बहते हुए केन नदी में जाकर मिल जाती हैं। स्थानीय लोगों द्वारा तालाब को पवित्र माना जाता है , जिसकी वजह से तालाब की मछलियों को लोग नहीं पकड़ते।
इसके आलावा भी झरने की एक और खूबी है। यहां रहने वाले लोगों का कहना है कि तालब में पानी हमेशा बना रहता है, कभी कम नहीं होता। जबकि आने वाला पानी किसी भी मुख्य नदी या स्त्रोत से नहीं आता। यह बात लोगों को बहुत चमत्कारी लगती हैं। फिर तालाब में पानी कहाँ से आता है? कहते हैं कि पानी पेड़ों की टहनियों या जड़ों से टपकता हुआ तालब में जाता है। यह किसी जगह पर इकट्ठा हुआ पानी भी हो सकता है। स्थानीय लोगों का कहना है कि जमीन पर पानी नहीं है। इसलिए यह भूमिगत जल भी हो सकता है, जो चट्टानों में कहीं फंसा हुआ है और निकलने के लिए रास्ता खोज रहा है।
भरपूर मात्रा में साफ़ पानी होने की वजह से जगह काफ़ी उपजाऊ और साफ़ वातावरण देखने को मिलता है। बहुत से प्रवासी पक्षी यहां आकर अपना घर बनाते हैं। बड़ी–बड़ी जंगली बिल्लियां नियमित रूप से यहां आती रहती हैं। यहां पर आपको अर्जुन के पेड़ दिखाई देंगे जिनके तनों पर भालू द्वारा कई निशान बनाये गए हैं।
पन्ना नेशनल पार्क
यहां आने वाले यात्री चाहें तो पन्ना नेशनल पार्क से घूमते हुए भी पांडव झरना तक आ सकते हैं। पन्ना नेशनल पार्क ‘ टाइगर रिज़र्व‘ के लिए जाना जाता है। यह लगभग 542.67 वर्ग किमी. में फैला हुआ है। यह भारत का 22 वां ‘ टाइगर रिज़र्व‘ पार्क है और मध्यप्रदेश के पन्ना का पांचवा। यहां आपको अलग–अलग तरह की जनजातियां देखने को मिलेंगी। यहां बाघ, चीतल, चिंकारा, नीलगाय, सांभर और आलसी भालू आदि जानवर पाए जाते हैं। यहां लगभग 200 से ज़्यादा पक्षियों की प्रजातियां पायीं जाती हैं।
इसमें बार हेडेड गूज़, हनी बुज़ज़र्ड, गिद्द राजा, ब्लॉसम हेडेड पाराकीत ( टोइयां सुग्गा), चैंज हॉक–ईगल और भारतीय गिद्ध शामिल हैं। आप चाहें तो यहां जंगल सफारी का भी मज़ा उठा सकते हैं। जिसके लिए यहां गाड़ियों का भी प्रबंध है। किराए पर एक वाहन आपको लगभग 1500 सौ रूपये में मिल जायेगा। जिसमे कम से कम चार से पांच लोग आराम से बैठकर सफारी का लुफ्त ले सकते हैं।
होटल्स के नाम जहां आप रुक सकते हैं
पन्ना में बहुत ही सही कीमत पर बहुत सारे होटल्स हैं जहां आप ठहर सकते हैं। पन्ना से पांडव झरने की दूरी सिर्फ 12 किमी. की है, तो आप किसी भी साधन से आराम से अपने निश्चित स्थान पर पहुँच सकते हैं। रहने के लिए आप इन होटल्स को देख सकते हैं। रैडिसन जैस होटल, सायना हेरिटेज होटल, मिंट बुंदेला रिसोर्ट, होटल चंदेला, होटल मार्बल पैलेस आदि।
घूमने का समय और स्थान का किराया
खजुराहों से पन्ना जाते समय, पांडव झरने का रास्ता पन्ना टाइगर रिज़र्व के मंडेला गेट से कुछ किमी. पहले राष्ट्रिय राजमार्ग के बाईं ( लेफ्ट )ओर पड़ता है। मंडेला गेट दाहिनी (राइट) ओर पड़ता है।
समय: जलप्रपात हर दिन सुबह 06:00 बजे से शाम 06:00 बजे तक खुला रहता है।
प्रवेश शुल्क: 50 रूपये का प्रवेश शुल्क प्रति व्यक्ति और 200 रूपये प्रति वाहन के हिसाब से लिया जाता है।
स्थान: पांडव जलप्रपात, एनएच 75, नहरी, मध्य प्रदेश।
अगर आपको जगह पर घूमने के लिए गाइड ( मार्गदर्शक ) की ज़रूरत है, तो एक गाइड की फीस 75 रूपये हैं। अगर आपने पन्ना टाइगर रिजर्व में प्रवेश करने के लिए वाहन के लिए सफारी टिकट खरीदा है, तो आप उसी टिकट से पांडव फॉल क्षेत्र में भी प्रवेश कर सकते हैं। इस जगह पर रहने की जगह नहीं है। आपको पन्ना जाकर ही रहने का स्थान मिलेगा। ऊपर की तरफ पार्किंग हैं, जहां आप अपनी गाड़ियां खड़ी कर सकते हैं। तालाब तक जाने के लिए 294 सीढियां हैं। सीढ़ियां खड़ी और आरमदायक है, तो आपको चढ़ने में किसी भी तरह की परेशानी नहीं होगी।
इस तरह से पहुंचे
हवाईजहाज से – सबसे पास में खजुराहो हवाई अड्डा है जिसकी दूरी पांडव झरने से सिर्फ 22 किमी. है।
ट्रेन से– सबसे पास स्टेशन खजुराहो रेलवे स्टेशन है जो 22 किमी दूर है। निकटतम मेजर रेलवे जंक्शन, सतना रेलवे जंक्शन है जो 95 किमी दूर है।
खजुराहो बस स्टैंड से दूरी: खजुराहो बस स्टैंड से 40 किमी की दूरी पर झरना स्थित है।
रास्ते से– यह पन्ना टाइगर रिजर्व NH 39 पर स्थित है और प्रमुख शहरों के रास्तो से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। आप अपने साधन के ज़रिये भी यहां पहुँच सकते हैं।
यह जगह रोमांचक, विचित्र और अलग–अलग जीवों से भरी हुई है। कुछ किस्से–कहानियां ऐसे हैं कि जिन पर बहुत लोग विश्वास करते भी हैं और नहीं भी। इतिहास पुराना होने के साथ–साथ रहस्य्मयी भी है। खोजकर्ताओं और जिन्हे घूमने का काफी शौक़ हैं, यह जगह उनके लिए सबसे अच्छी है। जिन्हे वातावरण से प्यार है, यहां उन्हें प्रकृति का एक अलग ही चेहरा देखने को मिलेगा। तो निकल पड़िए नई जगहों के सफर में और जानिए क्या है उनकी कहानियां।