पाकिस्तान की एक अदालत ने सोमवार को पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को अल-अजीजिया स्टील मिल्स भ्रष्टाचार मामले में सात साल जेल की सजा सुनाई है। हालाँकि, उन्हें फ्लैगशिप इनवेस्टमेंट्स मामले में बरी कर दिया गया है।
अदालत ने अपने इस फैसले में कहा कि अल-अजीजिया संदर्भ में 68 वर्षीय पूर्व प्रमुख के खिलाफ ठोस सबूत पाए गए हैं, और साथ ही में वे इस मामले में पैसे भरने में भी असमर्थ पाए गए हैं। जिसके चलते उन्हें इस मामले में सज़ा सुनाई गई है। हालांकि, फ्लैगशिप मामले में, अदालत ने शरीफ को बरी कर दिया है क्योंकि उन्हें दोषी ठहराने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं पेश किये गये हैं।
इस फैसले की घोषणा न्यायाधीश मुहम्मद अरशद मलिक द्वारा की गई है। फैसला सुनाए जाने के समय नवाज़ शरीफ अदालत में ही मौजूद थे।
सुप्रीम कोर्ट ने तीन बार रह चुके पूर्व प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ के खिलाफ शेष दो भ्रष्टाचार के मामलों को समेटने के लिए सोमवार की समयसीमा भी निर्धारित की है।
अदालत ने नवाज़ शरीफ को अगस्त 2017 में उनकी आय से परे ज़्यादा संपत्ति रखने के लिए भी दोषी पाया है।
तीन मामले- एवेंफील्ड प्रॉपर्टीज मामला, फ्लैगशिप इनवेस्टमेंट मामला और अल-अजीजिया स्टील मिल्स मामले में नवाज़ शरीफ को अयोग्य घोषित करने वाले शीर्ष अदालत के फैसले के बाद 8 सितंबर, 2017 को राष्ट्रीय ब्यूरो द्वारा शुरू किया गया था।
जबकि शरीफ को एवेनफील्ड प्रॉपर्टी मामले के सिलसिले में इस साल की शुरुआत में 11 साल जेल की सजा सुनाई गई थी, जबकि न्यायधीश मुहम्मद अरशद मलिक ने अन्य दो मामलों में नवाज़ शरीफ को 19 दिसंबर को आरक्षित किया था।
जमानत पर रहे शरीफ, रविवार को लाहौर से इस्लामाबाद पहुंचे थे। तीन बार के पूर्व प्रधानमंत्री जो कम से कम 78 बार अदालत के सामने पेश किये गए हैं, उन्होंने अदालत के समक्ष किसी भी गलत काम करने से इनकार किया है। उनका कहना है कि “मुझे किसी प्रकार का भय नहीं है। मैंने ऐसा कुछ नहीं किया जिससे मुझे अपना सिर झुकाने के लिए मजबूर होना पड़े। मैंने हमेशा इस देश की सेवा पूरी ईमानदारी से की है”।