जिला बांदा धान तो बिक गए लेकिन अब भी किसान पैसे के इंतज़ार में : सरकार ने धान बेचने के बाद किसानों का 72 घंटे के अंदर भुगतान करने का वादा किया था लेकिन यह वादा फेल हो गया| केंद्र प्रभारियों ने किसानों का करोड़ों रुपये दबा रखा है| परेशान अन्नदाता किसानों की पूंजी दबाने में पीसी एप हुआ सहकारी समितियां सबसे आगे हैं| किसानों का कहना है कि इस साल नवंबर के महीने से चल रही धान खरीद में धान खरीद की प्रक्रिया 29 फरवरी से बंद कर दी गई थी| जिसमें उनके धान विक्रय का करोड़ों रुपए बकाया हो गया है केंद्र प्रभारी से कहा जाता है तो वह इस मामले में अनसुनी कर पल्ला झाड देते हैं| जिससे किसान बहुत ही परेशान है क्योंकि किसानों को पैसे की सख्त जरूरत है वह लोग खेत से धन आने के बाद इसलिए तुरंत बाजार दिखाते हैं ताकि उनको पैसा मिल सके और वह आगे के खर्चे पूरे कर सकें जैसे कि इस समय शादी ब्याह का समय चल रहा है किसी को शादी करनी है तो किसी को घर बनवाना है और किसी को अन खर्च के लिए जरूरत पड़ रही है लेकिन पहले तो सरकारी केंद्रों में धान बेचने के लिए ही बड़ी मुसीबत झेलनी पड़ती है हफ्तों पड़ा रहना पड़ता है घर का काम छोड़ना पड़ता है लेकिन उसके बाद भी जब धान बिक जाता है तो पैसे के लिए अब चक्कर लगा रहे हैं और जो खर्च है वह रुके हुए हैं और कई लोग तो ऐसे हैं जिन्होंने कर्ज लेकर खर्च किए हैं जो खर्च रुकने वाले नहीं हैं वह मजबूरी में लोगों को कर्ज लेकर के करना पड़ रहा है| .