नमस्कार दोस्तों!! द कविता शो के इस एपिशोड में आपका स्वागत है। दोस्तों इस बार के एपिशोड में बहुत ही जरूरी मुद्दे को उठा रही हूँ। आप अंत तक जरुर से सुनिए मेरी चर्चा। 20 जुलाई दिन मंगलवार को केन्द्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री भारती प्रवीण पवार ने संसद में कहा कि कोरोना महामारी की दूसरी लहर के दौरान किसी भी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश से ऑक्सीजन की कमी के कारण किसी भी मरीज की मौत की खबर नहीं मिली है। उन्होंने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी। अंग्रेज़ी अख़बार ‘टाइम्स ऑफ़ इंडिया’ में ये ख़बर प्रकाशित हुई है. इस खबर के फैलते ही इसमें बहस शुरू हो गई है . पक्ष-विपछ के बीच में अब जंग छिड़ गई है।
स्वास्थ्य राज्य मंत्री भारती प्रवीण पवार ने यह भी बताया ‘बहरहाल, कोविड महामारी की दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन की मांग अप्रत्याशित रूप से बढ़ गई थी। महामारी की पहली लहर के दौरान, इस जीवन रक्षक गैस की मांग 3095 मीट्रिक टन थी जो दूसरी लहर के दौरान बढ़ कर करीब 9000 मीट्रिक टन हो गई।’ उनसे पूछा गया था कि क्या दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन न मिल पाने की वजह से बड़ी संख्या में लोगों की जान गई है.अब आओ बताती हूँ की दूसरी पार्टी के नेता किस तरह से सरकार को जवाब दे रहें हैं।
काग्रेस पार्टी के राहुल गांधी ने ट्यूवीट कर कहा सिर्फ़ ऑक्सीजन की ही कमी नहीं थी। संवेदनशीलता व सत्य की भारी कमी- तब भी थी, आज भी है. बसपा सुप्रीमो मायवती ने ट्यूवीट में कहा . भारत में आक्सीजन की कमी से कोरोना की दूसरी लहर में खासकर जो अफरातफरी व मौतें आदि हुई। तो उससे निपटने के लिए केन्द्र सरकार को विदेशी सहायता तक भी लेनी पड़ी, यह किसी से भी छिपा नहीं है, फिर भी आक्सीजन की कमी से मौतें नहीं होने का दावा करना अति दुर्भाग्यपूर्ण व अति-दुःखद।
अखिलेश यादव ने ट्यूवीट कर कहा ये भाजपा सरकार का आपराधिक व निर्दयी बयान है कि कोरोना में ऑक्सीजन की कमी से कोई नहीं मरा। जिनके घर उजड़ें हैं, वो भाजपा के इस ‘महाझूठ’ का दर्द भरा सच जानते हैं। भाजपा माफ़ी योग्य नहीं है तो दोस्तों ये रही विप्छी पार्टियों के शब्द और जनता भी सरकार के इस ब्यान में घेर रही हैं भला कैसे लोग इस सफेद झूठ को बर्दास्त कर सकते हैं.क्या आप बर्दाश्त कर सकते हैं ?
मेरी एक सहेली ने बताया बात 7 मई की है जब मेरे माँ को ऑक्सीजन की बहुत जरुरत थी और कोरोना के कहर से कहीं भी अस्पताल में भर्ती नहीं लिया जा रहा था मैं बहुत परेशान थी। डॉक्टर ने बोला की ऐसे कंडीशन में मरीज को बचा पाना मुश्किल होता है क्योंकि माँ को फालिश भी लगा था। मैं बहुत डरी थी फेसबुक पर भी पोस्ट किया कई लोगों के कॉल आये किसी ने 20 हजार किसी ने 30 हजार की मांग की और उसमें भी बोला की सिलेंडर का जुगाड़ कर लो मैं ऑक्सीजन दे सकता हूँ किसी ने बोला ऑक्सीजन का जुगाड़ करो मैं सिलेंडर दे दूंगा उसमें से 30- 40 किलोमीटर दूर जाकर हमें लाना था जो मुमकिन नहीं था। किसी तरह एक प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराया. ऑक्सीजन मिल गई माँ को बचा लिया गया लेकिन वहां लगे गलत इंजेक्शन से सेप्टिक की समस्या से जूझ रही हैं .
ये सरकार के लिए मेरी तरफ से ठोस सबूत हैं और सरकार सीना ठोक कर कह रही है की ऑक्सीजन से कोई मौते नहीं हुई हैं। कितनी अजीब बात है न तनिक भी डर नहीं है दर्द नहीं है ऐसे बोलने में।
जब लाशों को जलाने के लिए शमशान घाटो में जगह नहीं थी और लाशें नदियों में फेकी गई। देश के अलग-अलग हिस्सों में ऑक्सीजन की कमी हुई थी, जिसका नज़ारा पूरे देश ने देखा, कोरोना की दूसरी लहर के दौरान मीडिया हर दिन दिखा रहा था कि ऑक्सीजन की कमी की वजह से अस्पतालों में हाहाकार मचा है, फिर भी यह दशा है। कुछ दिन बाद केंद्र सरकार यह भी कहेगा कि कोरोना भी नहीं आया था। तड़पते हुए लोगों के वीडियो सोशल मीडिया में चले खबरें अखबारों में छपी तब सरकार कहा थी।
मैं पूछना चाहती हूँ सरकार जनता को अभी कितना सताना चाहती है। कितना मानसिक उत्पीड़न करना चाहती है। कुछ भी समझ नहीं आता है है न दोस्तों। सुनो दोस्तों सभी को ऐसे मुद्दे पर अपना मुंह खोलना होगा। बोलना होगा लिखना होगा और सरकार को अपने रिश्तेदारों दोस्तों पड़ोसियों की हुई ऑक्सीजन की कमी से मौतों को गिनाना होगा, ताकि सरकार के पास जो झूठी रिपोर्ट पेश है उसका सच सामने आये।
तो दोस्तों कैसे लगा ये मेरा शो? आप जरूर से कमेंट करके बताईये और अपने दोस्तों के साथ में मेरा शो सेयर जरुर से करिए। अभी के लिए इतना ही अगले एपिसोड में फिर मिलूंगी कुछ करारी बातों के साथ तबतक के लिए दीजिये इज़ाज़त नमस्कार।
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