खबर लहरिया एडिटर देगी जवाब आपके सवालों के जवाब देने आ गई हमारी एडिटर, देखिए एडिटर देगी जवाब

आपके सवालों के जवाब देने आ गई हमारी एडिटर, देखिए एडिटर देगी जवाब

आपके सवालों के जवाब देने आ गई हमारी एडिटर, देखिए एडिटर देगी जवाब :नमस्कार दोस्तों मैं कविता बुंदेलखंडी एक बार फिर हाजिर हूं आपके सवालों के जवाब देने लिए तो दोस्तों एडिटर देगी जवाब के इस एपीसोड में आपका स्वागत है इस लाकडाऊन के चलते आज मैं बात करूगी पंचायतीराज के उपर आज 24मार्च है और आज के दिन राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस मनाया जाता इस दिवस की आप सबको शुभकामनाएं
1992 के संविधान के (73वें संशोधन) अधिनियम 24 अप्रैल 1993 से लागू हुआ था और तब से पंचायतीराज के तहत गांव, इंटरमीडिएट और जिलास्तर पर पंचायतें संस्थागत बनाई गई हैं। राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस जमीनी स्तर से राजनीतिक शक्ति के विकेंद्रीकरण के इतिहास को बताता है।

पंचायतीराज व्यवस्था मुख्य रूप से देश के ग्रामीण क्षेत्र में संविधान से 73वें संशोधन का असर अधिक देखने को मिलता है, क्योंकि यहां अधिकारों का अपरिवर्तनीय रूप से बदलाव हुआ है। इसी को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने राज्यों के परामर्श के साथ 24 अप्रैल को राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया। और इस दिन ग्राम और जिले स्थर पर खूब कार्यक्रम आयोजित होते हैं सरकार की योजनाओं पर बात की जाती है लेकिन आज क्या पंचायती राज में ये दिवस का कोई महत्व है क्या लोगों को सरकार की योजनाओं का लाभ मिल रहा है क्या सबके पास आवास राशन या मूलभूत सुविधाएं हैं क्योंकि आज की जो स्थिति हमारे देश की बनी है उसको देख कर तो नहीं लगता है कि सबकुछ ठीक है इस मुसीबत में आम जनता इस समय भूखों मर रही है तो दोस्तों आप भी जरूर से सोचिए इसके बारे में और अपने सवाल लिख भेजिए
अब मैं आपके सवालों सवालों को पढ़ती हूं और देती हूं उनके जवाब
हमने 15 अप्रैल को एक खबर पब्लिश की अपने चैनल में खबर ये थी कि बुंदेलखंड के चित्रकूट जिला के कोईलिहाई गांव में आदिवासी लोग रहते हैं इनका काम था रोज को जंगल से लकड़ी काट कर लाना और ट्रेन में लेजाकर बेचना और उससे जो पैसे मिलते थे उसी में वो आटा भाटा लेकर जाते थे और खाना पाकाते खाते थे लेकिन लाक डाउन ने इन आदिवासियों की रोटी छीन ली अब इनके पास खाने के लिए कुछ नहीं है सराकारी मदद भी कुछ नहीं मिल रही है
इस खबर को काफी लोगों ने देखा और सवाल भेजें हैं
सवाल राकेश कुमार लिखते हैं कि अमीरों की वजह से ये वीमारी आई है और हम गरीब ही इसकी सजा भुगत रहे हैं
जवाब,राकेस जी आपके सवालों से मैं सहमत हूं आप सही कह रहे हैं की अमीरों की लाई ये बीमारी है कोरोना का पहला केस जब भारत में पाजटिव पाया गया तभी से सरकार चेत जाती तो आज देश की इतनी बुरी स्थिति न होती अब अमीरों को तो इतना बुरा असर नहीं पड़ेगा क्योंकि उनके पास सारी सुख सुविधाएं हैं मर तो गरीब रहे हैं जिनके पास खाने के लिए नहीं है
एक बड़ी कबरेज हमने इस लाकडाऊन के चलते हट कर करी कि जहां पर देश भर के लोग अपने घरों में है आराम से रह रहे हैं मर्दों को बोरियत हो रही है इस फुर्सत में क्या करें मर्द और उसकी टिकटाक विडियो भी लोग बना रहे हैं तो हमने सोचा हमारे बुंदेलखंड की महिलाएं क्या करती है इस लाक डाउन में क्या हो बोर हो रही है या पहले के जैसे ही काम करना पड़ रहा है ,मर्द घर पर हैं तो क्या औरतो के साथ बंटा रहे हैं इस स्टोरी को आप लोगों ने बहुत पसंद किया है मैं कुछ सवाल पढ़ती हूं
नीलम मौर्या सवाल भेजते हैं कहते हैं पित्रसत्तात्मक समाज है हमारा पुरूष अगर एक गिलास पानी खुद लेकर पीते हैं तो इसमें भी अपनी तौहीन समझते हैं पता नहीं कब बदलेगा यह समाज,सायद बदलेगा भी या नहीं,अपने यहां के पुरूष औरतों को इंसान समझने लगे तो सायद बदल भी सकता है संवेदनशील हो जायें तो सायद बदलेगा हमारा समाज
जवाब नीलम मौर्या जी इतना अच्छा सवाल भेजने के लिए सबसे पहले मैं आपको दिल से शुक्रिया करती हूं आप सच बोल रहे हैं कि मर्द कुछ भी घर का काम करते हैं तो अपनी तौहीन समझते हैं जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए एक पहिए से गाड़ी नहीं चलती है लेकिन महिलाएं इस गाड़ी को अकेले दम पर घसीटती आई हैं लाकडाऊन के चलते मर्द घर पर गेम खेलते हैं ,फिल्म देखते हैं घूमते हैं तो पर महिलाएं सारा दिन घर का काम करती हैं साथ ही मर्दों के डिमांड का खाना भी बनाबना कर खिला रही हैं क्या मर्दों को भी घर के काम में हाथ बंटाना चहिए ताकि महिलाएं भी मनोरंजन कर सके सुकून महसूस कर सकें
21अप्रैल को एक और खबर हमने चलाई ,लोगों के खाते में सरकार ने एक हजार रूपये भेजा है जिसमें से ग्राहक सेवा केद्र महोबा के कर्मचारियों के ऊपर ग्रामीणों ने एक हजार रूपये निकलवाने में दस रूपये कमीशन लेने का आरोप लागाया है इस इस्टोरी को अब तक में 41हजार से ज्यादा लोग देख चुके हैं बहुत सारे सवाल भी आये हैं
सवाल, उदयभान सिंह लिखते हैं कि जहां सुविधा होती है वहीं पर सिकायत भी होती है सारा दिन धक्का खाते हैं बैंकों में और बैंक मैनेजर मौन रहता है ,10रूपये के लिए ग्राहक सेवा केंद्र की जांच करवाये
जवाब ,उदयभान जी बिल्कुल जायज सवाल है आपका जांच होनी चहिए क्योंकि गरीबों के लिए 10रूपये भी बहुत बड़ी रकम है होती है तो सरकार और लोकल की प्रसाशन इस तरह की घपला खोरी पर ध्यान दें
तो दोस्तो कैसे लगा ये शो आप जरुर से मुझे बताये आप अपने कमेंट भेजते रहें हमारे चैनल को लाईक करे सब्सक्राइब करें और सेयर करना न भूलें तो दोस्तों अगले हफ्ते में फिर मिलूंगी आपके नये सवालों के साथ तबतक के लिए दीजिए इजाजत नमस्कार