मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव ने शुक्रवार को सुशासन भवन में नर्मदा नदी के संरक्षण को लेकर गठित मंत्रिमंडल समिति की बैठक में आदेश दिए हैं कि नर्मदा के किनारे बसे धार्मिक स्थल और नगरों के इलाकों में चिकन- मीट (मांस) नहीं बिकेगा।
एमपी के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने नर्मदा नदी के किनारे जो भी पवित्र स्थल और धार्मिक स्थान है, उनके आस-पास मांसाहारी भोजन और शराब को बेचने पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया है। अमरकंटक, जहां नर्मदा नदी की शुरुआत होती है उसको प्राथमिकता देने को कहा गया। नर्मदा नदी के आस-पास चल रहे कार्यों पर सैटेलाइट इमेजरी और ड्रोन की मदद से निगरानी रखने के भी आदेश दिए। मुख्यमंत्री ने भी यह कहा कि नदी में खुदाई का कार्य मशीनों द्वारा नहीं किया जाना चाहिए। इसके आदेश मुख्यमंत्री ने शुक्रवार 13 सितम्बर 2024 को मंत्रिमंडल समिति की बैठक में दिए थे।
नर्मदा नदी जिसे भारतीय संस्कृति में पवित्र माना जाता है। मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव ने शुक्रवार को सुशासन भवन में नर्मदा नदी के संरक्षण को लेकर गठित मंत्रिमंडल समिति की बैठक में आदेश दिए। बैठक में जानकारी दी गई कि नर्मदा के किनारे बसे धार्मिक स्थल और नगरों के इलाकों में चिकन- मीट (मांस) नहीं बिकेगा।
टाइम्स ऑफ़ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, नर्मदा नदी के किनारे 21 जिले, 68 तहसीलें, 1,138 ग्राम और 1,126 घाट हैं। 430 प्राचीन शिव मंदिर और दो शक्तिपीठ हैं। अमरकंटक से लेकर खंबात की खाड़ी की नर्मदा नदी की लंबाई 1,079 किलोमीटर है।
मशीनों द्वारा नदी में खुदाई और सीवेज का पानी पर रोक
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने नर्मदा नदी में मशीनों से खुदाई के कामों पर रोक लगाने के निर्देश दिए। इसके साथ ही नदी से जुड़े अवासीय क्षेत्र का सीवेज का पानी नदियों में नहीं छोड़ा जाना चाहिए।
अमरकंटक को मिलेगी प्राथमिकता
अमरकंटक जहां लोग परिक्रमा के लिए भी जाते हैं इसलिए यहां पहले प्रतिबंध लगाया जायेगा। आने वाले समय में नर्मदा नदी से दूर घरों, बस्तियों का निर्माण किया जाना चाहिए। अमरकंटक में नर्मदा नदी से दूर सेटेलाइट सिटी का निर्माण किया जाना चाहिए। नर्मदा नदी का प्रबंधन और पर्यावरण संरक्षण का काम अमरकंटक विकास प्राधिकरण के द्वारा किया जाएगा। बैठक में उन्होंने भक्तों के लिए परिक्रमा पथ का निर्माण करने का प्रस्ताव भी रखा।
नवम्बर में होगी समीक्षा
उन्होंने कहा कि जो भी कार्य दिए गए हैं। अब तक के किए गए कार्यों की समीक्षा नवंबर के दूसरे सप्ताह में समीक्षा की जाएगी।
नदी के आस-पास मांस प्रतिबंध कहां तक सही?
नदी के आस-पास कई धर्म और जाति के लोग रहते हैं। एमपी के मुख्यमंत्री मोहन यादव का मांस को लेकर इस तरह का आदेश कहाँ तक सही है? इस तरह का फैसला भी सवाल उठाता है कि कहीं ये किसी एक धर्म को तो बढ़ावा नहीं देता। ये फैसला कहीं लोगों के खानपान के अधिकार को तो प्रभावित नहीं करता क्योंकि हर क्षेत्र में मांस खाने वाले मिल जायेंगे। कहीं इसके पीछे का कारण एमपी सरकार का अपनी इच्छा, जनता पर थोपने का तो नहीं?
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