नमस्कार दोस्तों, द कविता शो के इस एपिसोड में आपका स्वागत है। दोस्तों पुराना साल गुज़र गया है। नये साल में हम सब प्रवेश कर चुके हैं। आप सभी को नये साल की बहुत-बहुत शुभकामनाएं, तो दोस्तों अब मैं शुरू करती हूँ आगे की चर्चा।
नये साल में प्रवेश करने के पहले ही कुछ नये सरकारी नियम भी आ गये हैं। अभी एक ही नियम के बारे में मैं चर्चा करुँगी और ये नियम है कि स्कूलों में जो अभी तक बच्चों को दो जोड़ी स्कूली ड्रेस, स्वेटर, जूता, मोजा और बस्ता स्कूल की तरफ से मिलता था अब वह नहीं मिलेगा। ये सारा सामान बच्चों के अभिभावकों को खरीदना पड़ेगा। सरकार इसके लिए अभिभावकों के खाते में एक बच्चे के लिए ग्यारह सौ रुपय भेज रही है। लेकिन इस पैसे में सिर्फ एक जोड़ी ड्रेस ही मिल पा रहा है बाकी का सामान नहीं। इस पर हमने रिपोर्टिंग भी की और लोगों से लेकर टीचर और ज़िम्मेदार अधिकारीयों से बात की। सबने एक स्वर में कहा की इतना सारा सामान इतने कम पैसे में हम नहीं खरीद पायेगें।
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दोस्तों सरकार इतना बड़ा भेदभाव क्यों करती है। सरकार द्वारा पैसे खाते में भेजने का निर्णय तो ठीक ही है लेकिन इतना कम पैसे क्यों दे रही है वो भी इतनी महंगाई में। 11 सौ रूपये में तो सिर्फ एक सेट ड्रेस ही आती है। फिर इतना सारा सामान कहाँ से आ जाएगा। अरे! सरकार अगर इतना भी पैसा नहीं देगी तब भी माँ-बाप अपने बच्चों को ड्रेस,जूता, मोजा और बस्ता तो देगें ही। नंगे उघार तो भेजेगें नहीं। मिड्डे मील नहीं मिलेगा तब भी भूखे पेट तो भेजेगें नहीं। अगर बच्चे पैदा किया है तो हर हाल में उनके खर्च भी चलाते है।
सरकार अगर लोगों के हित के लिए योजनाएं बनाती है तो उसका अनुमान पहले से क्यों नहीं लगाती है? अगर सरकार की हैसियत सिर्फ 11 सौ रूपये देने की है तो उस हिसाब से परिवार को खर्च बताये। उनके दिमांग में टेंशन क्यों भर रही है। तनाव क्यों दे रही है। फालतू में चर्चा का विषय क्यों बना रही है।
तो दोस्तों आपको क्या लगता है, इस मुद्दे पर क्या आपके पास भी कुछ सवाल है। अगर है तो आप मुझे ज़रूर से बताये। अगर मेरे शो की चर्चा आपको पसंद आई है तो अपने दोस्तों के साथ ज़रूर से शेयर करिये। हाँ, ये शो आपको कैसे लगा ? अपनी राय कमेन्ट और सुझाव ज़रूर से भेजना। इस बार के शो में इतना ही, अगले एपिशोड में फिर मिलूंगी कुछ करारी बातों के साथ, तब तक के लिए दीजिये इज़ाज़त, नमस्कार!!
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