कपड़ों से यह कैसी छुआछूत, जहाँ हो रहा खुद का ही नुकसान? हर बार मैं रूढ़िवादी सोच पर अपने शो के ज़रिये थोड़ा लोगों की सोच मे बदलाव लाने की कोशिश करती हूं। हमारे देश में बहुत से समुदाय हैं और समुदाय में अलग-अलग परम्परा हैं। वह परम्पराएं सिर्फ महिलाओं के लिए ही बनी है, उन्हीं पर लागू होती हैं। अगर महिलाएं नहीं मानेंगी और विरोध करेंगी तो कहा जाता है हमारे कुलदेवता नाराज़ हो जाएंगे। कुछ बुरा होगा हमारे और हमारे परिवार के लिए। बस यही सब कह कर महिलाओं से जो चाहें कराते हैं। महिलाएं न समझ पाने वाली हिंसा को अपना कर्तव्य मान कर सहती रहती हैं।
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सभी समुदायों के नियम उनके कल्चर के नाम पर रूढिवादी सोच कुछ-कुछ सामने नज़र आती हैं, लेकिन और भी ऐसे कुछ समुदाय हैं जिन्हें देखकर नहीं लगता कि इनके इतने कड़े नियम परम्परा होंगे। मैं बात कर रही हूँ बहेलिया समुदाय की, जो मैं अपने शो में दिखाने वाली हूँ जिस समुदाय को हम देखकर नहीं समझ सकते कि ये जगह-जगह डेरा डालकर घुमंतू जाति वाले लोग भी महिलाओं पर इतने कड़े नियम लागू करते होंगे। सिर्फ ये भ्रम फैला कर कि अगर महिलाएं ऐसा नहीं करेंगी या ऐसा करेंगी तो उनके कुलदेवता नाराज़ हो जाएंगे।
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उनका पहनवा उनका कल्चर है लंहगा। वही लंहगा अगर किसी घर के समान पर रख गया या धोखे में छू गया तो वो समान फेंक दिया जाएगा मतलब इतना आपवित्र हुआ लंहगा। वहीं पुरुषों के कपड़े पैंट,पैजामा, तहमत कहीं भी रहे कहीं भी रख जाए उससे कोई मतलब नहीं होता।
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