कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण में कोरोना वारियर्स की भूमिका को पूरा देश सलाम कर रहा है। आज ही नहीं हमेशा से डॉक्टरस ही वास्तव में सच्चे हीरो हैं। डॉक्टर्स डे एक अवसर है जब हम इन सभी हीरो को इनके योगदान के लिए धन्यवाद कर सकते हैं। इस महामारी के इस समय में इन लंबे समय तक काम करना भुलाया नहीं जा सकता।
On #DoctorsDay, let us all appreciate the 24/7 selfless efforts of our frontline doctors and pray for their safety & well being. 🙏🏼
They have always been our shield and refuge in any health crisis.My salute to all the doctors across India & the world. pic.twitter.com/Fa3yUjutLN
— Sachin Tendulkar (@sachin_rt) July 1, 2020
हर साल एक जुलाई को भारत में नेशनल डॉक्टर्स डे मनाया जाता है। दरअसल इस दिन महान फिजिशियन और पश्चिम बंगाल के दूसरे मुख्यमंत्री डॉक्टर बिधान चंद्र राय की पुण्यतिथि है। उनका जन्म 1 जुलाई 1882 में बिहार के पटना जिले में हुआ था। डॉ. राय को भारत रत्न से भी सम्मानित किया गया था। 80 वर्ष की आयु में 1962 में अपने जन्मदिन के दिन यानी 1 जुलाई को ही उनकी मृत्यु हो गई थी। उन्हीं के सम्मान में नेशनल डॉक्टर्स दिवस मनाया जाता है।
खबर लहरिया ने कुछ ऐसी महिला डॉक्टरों का कवरेज़ किया जो लम्बे समय से मरीजों का इलाज कर रही हैं आज यहाँ उनके बारे में हम आपको बता रहे हैं। आज कल दांतों में होने वाली समस्याएं आम हो गई हैं। आए दिन किसी को मसूड़ों में दर्द या मसूड़ों से खून निकलने की बात सुनने को मिल जाती है। और दाँतों में दर्द तो जैसे बहुत आम बात हो गई हो। ऐसी ही कुछ आम ज़िन्दगी में होने वाली बड़ी समस्याओं के समाधान के बारे में जानने के लिए हम मिले दिल्ली से डॉक्टर शालू जैन से।
खाना पीना हमारे दांतो के लिए बहुत जरूरी है हर तरह से आप क्या खा रहे क्या पी रहे हैं ये चीज आपके दांतों पर सबसे ज्यादा इफेक्ट करती है क्योंकि अगर आपने कुछ मीठा खाया और कुल्ला नहीं किया जाकर, और आपने दो तीन घंटे बाद कुछ खाया तो जो इतनी देर आपके दांतों में सुगर चिपकी हुई है तो वहां से ही प्रॉब्लम शुरू हो जाती है ऐसे ही बहुत ज्ञानवर्द्धक बातें जानने के लिए हमारी पूरी वीडियो यहां देखें।
जिनका पेशा बीमारियों और दर्द से जूझना हो, वे किस तरह अपनी हिम्मत जुटाए रखती हैं हम मिले बाँदा जिले की स्त्री विशेषज्ञ डॉ. शबाना रफीक से।
डॉ. शबाना रफीक स्त्री विशेषज्ञ ने बताया कि जिस वक्त हमारा मरीज अस्प्ताल से डिस्चार्ज होता है। जिस वक्त एक महिला अपने गोद में बच्चा लेकर जाती है हमारा मन हल्का हो जाता है। डॉक्टर बनने की प्रेणना शबाना जी को उनके दादा से मिली थी जो डॉक्टर थे तबसे लगातार कई लोग डॉक्टर बनकर निरंतर सेवा में लगे हुए हैं।
डॉक्टर शबाना रफ़ीक जी ने बताया कि पढ़ाई में कड़ी मेहनत और सफ़ल होने के बाद 11 मई 1982 में अपने पति के साथ अस्प्ताल स्थापित किया। तो आइये देखते हैं पूरी वीडियो और सुनते हैं इनके सफलता की कहानी।