जिला बांदा ब्लॉक महुआ तहसील अतर्रा थाना गिरवा गांव महुआ के वार्ड नंबर 5 का तुलसी तलैया नामक तालाब आज से 20 साल पहले काफ़ी सुंदर हुआ करता था। लेकिन आज हम उसे सुंदर नहीं कह पाएंगे क्योंकि आज तालाब की हालत इतनी खराब है कि लोग तालाब का पानी तक इस्तेमाल नहीं करते। पहले लोग तलाबों में नहाया भी करते थे लेकिन आज तालाब को देखकर ऐसा सोचा भी नहीं जाता।
तालाब के किनारे है मंदिर, फिर भी तालाब है गंदा
तुलसी तलैया तालाब के दांई ओर तकरीबन 200 मकान और तीन मंदिर है। दो मंदिर तो तालाब के बिल्कुल सामने हैं। कहा जाता है कि जहां मंदिर होता यानी जहां भगवान का घर हो, उसके आस–पास की जगहें काफी साफ़ होती है। लेकिन तुलसी तलैया को देखकर हम यह नहीं कह सकते। मंदिर होने के बावजूद भी तालाब पूरी तरह से गन्दा हो चुका है।
इन कामों में किया जाता था तालाब के पानी का उपयोग
गांव की ही तुलसी रानी जिनकी उम्र 50 वर्ष है बताती हैं कि उनके समय से अभी तक उन्होंने काफ़ी बदलाव देखा है। पहले लोग तालाब के पानी को अपने अन्य कामों में भी इस्तेमाल करते थे। जैसे– मुंगोवड़ी बनाने के लिए मूंग के दाल की धुलाई के लिए भी वह तालाब का पानी ही उपयोग करते थे। वह कहती हैं कि कुएं के पानी से दाल साफ़ नहीं होती थी जबकि तालाब के पानी से मूंग की दाल साफ़ हो जाती थी। यानी तुलसी तलैया का पानी गांव के अन्य पानी के साधनों से अलग था।
गांव के ही व्यक्ति श्याम का कहना है कि आज से बीस साल पहले जब वह छोटे हुआ करते थे। तब वह देखते थे कि गांव की महिलाएं वैशाख और जेठ के महीने में शादी के लिए तालाब में गेहूं धोने के लिए आती थीं। उनके चले जाने के बाद एक दिन में तीन से चार किलों गेहूं साफ करके निकालकर रख लेते थे।
तालाब में नहाने को लगती थी भीड़
पहले हर दिन तुलसी तलैया में नहाने के लिए तकरीबन 100 लोग आते थे। चाहें वह किसी भी जाति के हो। तालाब में इतनी भीड़ लगती थी कि कई बार कुछ लोगों को नहाने के लिए जगह भी नहीं मिलती थी। तालाब में जाने के लिए पहले सीढ़ी भी नहीं थी बल्कि तालाब के अंदर काफ़ी बड़े–बड़े पत्थर थें।
घर से निकले कचड़े से गंदा हुआ तालाब
स्थानीय लोगों का कहना है कि जब से विधायक निधि योजना के तहत घरों में आरसीसी पड़ी तब से घरों से पानी निकलने की कोई जगह नहीं रही। घर के गंदे पानी की लाइन को तालाब से जोड़ दिया गया। जिसकी वजह से तालाब में घर का गंदा पानी और कचड़ा जाकर गिरने लगा।
प्रधान का यह है कहना
गांव की प्रधान गायत्री का कहना है कि तालाब के गंदे पानी और घरों से निकलने वाले पानी के निकाय के लिए अलग रास्ता बनाने या समाधान के लिए लोगों ने उनसे कोई शिकायत नहीं की। अगर लोगों ने कुछ कहा होता, तब वह कुछ काम करतीं।
तालाब एक सार्वजनिक जगह होती है। और ऐसी जगह के लिए प्रधान द्वारा यह कहना है कि जब तक उन्हें कोई समस्या के बारे में नहीं बताएगा,वह कुछ नहीं कर सकती। उनकी यह बात उनके प्रधान होने के कार्य को स्पष्ट नहीं करती। तालाब की हालत गांव में किसी से छिपी नहीं है तो ऐसा कैसे हो सकता है कि प्रधान को मालूम ही ना हो? तालाब की साफ–सफ़ाई रखना और उसकी पवित्रता को बनाए रखना सबका कर्तव्य है। तभी तालाब का जीवन लम्बा रहेगा और स्थानीय लोग उसका इस्तेमाल भी कर पाएंगे।