ओडिशा के मयूरभंज जिले में एक सहायक अध्यापिका ने कथित तौर पर 31 छात्रों को बेरहमी से पीटने की खबर सामने आई है। छात्रों को पीटने के पीछे का कारण बस इतना था कि छात्रों ने शिक्षिका के पैर नहीं छुए थे। यह घटना गुरुवार 11 सितम्बर 2025 को बेतनोती प्रखंड के खंडादेउला स्थित सरकारी उच्च प्राथमिक विद्यालय में हुई। घटना सामने आने पर शिक्षिका सुकांति कर को निलंबित कर दिया गया।
सुबह की प्रार्थना के बाद छात्रों को पीटा
एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक यह घटना तब हुई जब बेतनोती प्रखंड के खंडादेउला स्थित सरकारी उच्च प्राथमिक विद्यालय में सुबह की प्रार्थना हो रही थी। इसके बाद प्रार्थना खत्म होने के बाद स्कूल के छात्र सीधा कमरे में चले गए। स्कूल में शिक्षिका सुकांति कर कथित तौर पर देर से पहुँचीं थी। शिक्षिका को इस बात से ठेस पहुँच गई कि छात्रों ने उनके पैर नहीं छुए, फिर क्या शिक्षिका ने बांस के छड़ी से कक्षा 6, 7 और 8 के 31 छात्रों को पीटना शुरू कर दिया। इतनी बुरी तरह से पीटा कि उनका इलाज इस वक्त बेटनोती अस्पताल में चल रहा है।
सरकारी खंड शिक्षा अधिकारी बिप्लब कर ने बताया, “उस दिन सुबह की प्रार्थना सभा के बाद सभी छात्र अपनी-अपनी कक्षाओं में चले गए। कथित तौर पर कक्षा 6, 7 और 8 के कुछ छात्रों से पूछा गया कि प्रार्थना के बाद उन्होंने उनके पैर क्यों नहीं छुए।”
अधिकारी ने बताया, “जिन छात्रों ने उसके पैर नहीं छुए, उन्हें आरोपी शिक्षक ने बांस के डंडे से बेरहमी से पीटा।”
छात्रों के अभिभावकों ने की सख्त कार्रवाई की मांग
जब छात्रों के अभिभावकों को इस घटना के बारे में पता चला तो वे स्कूल पहुंचे और शिक्षक के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की।
ब्लॉक अधिकारी ने कहा, “प्रधानाध्यापक पूर्णचंद्र ओझा की सूचना पर हम तुरंत क्लस्टर संसाधन केंद्र समन्वयक देबाशीष साहू और स्कूल प्रबंधन समिति के एक सदस्य के साथ स्कूल पहुंचे और मामले की जांच की। हमने घायल छात्रों से मुलाकात की और उनके बयान दर्ज किए।”
आरोपी शिक्षिका हुई निलंबित
इस घटना के बाद शिक्षिका को गलत व्यवहार के कारण छात्रों के घायल होने के बाद निलंबित कर दिया गया है।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक एक अधिकारी ने कहा, “चूँकि सभी स्कूलों में शारीरिक दंड पर प्रतिबंध लगा दिया गया है, इसलिए हम यह सुनिश्चित करेंगे कि किसी अन्य स्कूल में इस तरह की कोई घटना न हो।”
इस तरह की घटना बच्चों की सुरक्षा और शिक्षा पर सवाल करते हैं। इस तरह से पैर छूने को सम्मान का प्रतीक मान लेना और निर्दयी होकर छात्रों को पीटना, किस तरह के उदाहरण को स्थापित करने का प्रयास है?
यदि आप हमको सपोर्ट करना चाहते है तो हमारी ग्रामीण नारीवादी स्वतंत्र पत्रकारिता का समर्थन करें और हमारे प्रोडक्ट KL हटके का सब्सक्रिप्शन लें’
