बांदा: उत्तर प्रदेश का बहुत ही चर्चित आरोपी मुख्तार अंसारी को मंडल कारागार बांदा में 7 अप्रैल तड़के साढ़े चार बजे बैरक नम्बर 15 की जगह 16 में शिफ्ट कर दिया गया है। इस कार्य को खत्म करके जिला प्रशासन ने तनिक राहत तो महसूस की होगी। हालांकि अब जेल की निगरानी में पुलिस प्रशासन को और ज्यादा सख्त रहना होगा। 25 जनवरी 2019 से आरोपी पंजाब की रोपड़ जेल में बंद था। करीब 26 महीने में यूपी में चल रहे 54 केसों की सुनवाई हुई,लेकिन हर बार सुनवाई टली। मुख्तार फिलहाल मऊ की घोसी सीट से बीएसपी विधायक है।
अधिकारियों ने बैठक कर रचा पूरा कार्यक्रम
4 अप्रैल दिन रविवार को सबसे पहले आईजी के. सत्यनारायणा ने डीएम आनंद कुमार सिंह, एसपी डॉ. सिद्धार्थ शंकर मीणा और सीएमओ डॉ. एनडी शर्मा समेत जिले के आलाधिकारियों के साथ बैठक की। इसके बाद जेल का निरीक्षण कर सुरक्षा–व्यवस्था के इंतजाम और मेडिकल की व्यवस्थाएं भी अफ़सरों ने देखीं। इस पर काम और चर्चा आरोपी को शिफ्ट करने के तीन चार दिन पहले से चल रही थी। पुलिस द्वारा दावा किया जा रहा है कि पंजाब राज्य की रोपड़ जेल से मुख्तार अंसारी को लेने गई। यूपी पुलिस की टीम ने नौ सौ किलोमीटर का सफर तय किया। सोमवार तारीख 5 अप्रैल को टीम बांदा से रवाना हो गई थी। गठित टीम बांदा पुलिस लाइन में स्थित प्रिजन वैन से कैदी को लेने गई थी।
पहली बार ड्रोन से हुई निगरानी
बांदा जिला जेल की निगरानी पहली बार ड्रोन कैमरे से हुई। बैरक नंबर 15 को सीसीटीवी कैमरों से कवर किया गया। इन कैमरों के जरिए जेल मुख्यालय लगातार मुख्तार अंसारी की बैरक पर नजर रखेगा। साथ ही जेल में मुख्तार के करीब वहीं जेल कर्मी जा सकेंगे, जो बॉडी वॉर्न कैमरा पहने होंगे। साथ ही बांदा जेल को 30 सुरक्षाकर्मी भी दिए गए हैं।
बांदा जेल के जेलर पीके त्रिपाठी कहते हैं कि जिस बैरक में मुख्तार अंसारी को रखा गया है उसे तन्हाई बैरक कहते हैं। सामान्य कैदियों जैसे ही मुख्तार अंसारी की भी व्यवस्था की गई है। जैसे ही कैदी को बैरक में लाया गया उसने कहा कि लंबे सफर के बाद वह बहुत थका है उसको सोना है। उसकी मैडिकल जांच करना जरूरी था इसलिए उसकी जांच हुई। ऐसे में उसको परिजनों से मिलने नहीं दिया जाएगा।
पंजाब में क्यों बंद था मुख्तार अंसारी?
क्विंट हिंदी 7 अप्रैल की एक रिपोर्ट में लिखता है कि दरअसल मामला था एक बिल्डर से वसूली का, जिसमें मुख्तार अंसारी पर आरोप था कि उसने रंगदारी मांगने के लिए पंजाब के बिल्डर को फोन कराया था। पंजाब पुलिस ने इस शिकायत पर मामला दर्ज कर अपनी एक टीम को वारंट के साथ मुख्तार को लाने यूपी भेजा। इस तरह से मुख्तार यूपी से पंजाब की जेल में आ गया।
अब पंजाब सरकार और वहां की जेल पर यूपी की तरफ से आरोप लगे कि उसे बचाने की कोशिश हो रही है। उसकी शिफ्टिंग को लेकर यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि कई गंभीर अपराधों का सामना कर रहे अंसारी को पंजाब सरकार उत्तर प्रदेश को न सौंपकर उसकी रक्षा कर रही है। 26 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि अंसारी को पंजाब की जेल से यूपी की जेल में जल्द से जल्द शिफ्ट कर दिया जाए।
52 मामले दर्ज हैं अंसारी पर
अंसारी पर यूपी में और बाहर 52 मामले दर्ज हैं, जिनमें से 15 मामले तो कोर्ट में चल रहे हैं। अंसारी और उसके गुर्गों की 150 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति राज्य सरकार ने जब्त की है। उसके कई सहयोगियों की धरपकड़ की गई। इन आरोपों पर मुख्तार के भाई अफजाल अंसारी कहते हैं कि ज्यादातर मामलों में मुख्तार को आपराधिक साजिश के लिए गिरफ्तार किया गया और राजनीतिक कारणों से उसके खिलाफ मामले दर्ज किए गए।
कौन है मुख्तार अंसारी
मिली जानकारी के अनुसार मुख्तार अंसारी एक भारतीय माफिया–डॉन और उत्तर प्रदेश के राजनेता हैं। अंसारी मऊ निर्वाचन क्षेत्र से विधान सभा के सदस्य के रूप में रिकार्ड पांच बार विधायक चुने गए हैं। वह अन्य अपराधों सहित कृष्णानंद राय हत्या के मामले में मुख्य आरोपी थे लेकिन अंसारी को दोषी नहीं ठहराया गया है। अंसारी ने बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के एक उम्मीदवार के रूप में अपना पहला विधानसभा चुनाव जीता।
अगले दो जिसमें एक स्वतंत्र के रूप में 2007 में, अंसारी बसपा में शामिल हो गए और 2009 के लोकसभा चुनाव में चुनाव लड़ा लेकिन असफलता मिली। जिसके बाद बसपा ने 2010 में उन्हें आपराधिक गतिविधियों के कारण पार्टी से निष्कासित कर दिया था। बाद में उन्होंने अपने भाइयों के साथ अपनी पार्टी कौमी एकता दल का गठन किया। वह उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2012 में मऊ सीट से विधायक चुने गए। 2017 में बसपा के साथ कौमी एकता दल को विलय कर दिया और बसपा उम्मीदवार के रूप में विधानसभा चुनाव में पांचवीं वार विधायक के रूप में जीते।
इस खबर को खबर लहरिया के लिए मीरा देवी द्वारा लिखा गया है।