महोबा जिले के सब्ज़ी मंडी व्यापारियों की शिकायत है कि प्रशासन द्वारा उन्हें सब्ज़ी लगाने के लिए स्थायी जगह नहीं दी गयी है।
महोबा जिला : तहसील और कोतवाली महोबा में रहने वाले सब्ज़ी व्यापारी सब्ज़ी मंडी न मिलने की वजह से परेशान हैं। सब्ज़ी व्यापारियों का कहना है कि वैसे भी वह लोग तीन सालों से परेशान हैं। उन्होंने कई बार प्रशासन को मौखिक तौर पर अवगत कराया और उनसे सब्ज़ी मंडी के लिए स्थायी जगह की भी मांग की। इसके बाद भी उनकी समस्या का समाधान नहीं किया गया है।
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सब्ज़ी मंडी व्यापरियों की परेशानी
सब्ज़ी व्यापारियों ने हमें बताया कि पहले वह लोग उदल चौक के पास बाज़ार में सब्ज़ी लगाते थे। वहां दुकाने हो जाने की वजह से वहां जगह कम हो गयी थी। उन्होंने आगे बताया की अप्रैल 2020 में उन्हें कीरत सागर में सब्ज़ी मंडी खोलने के लिए बोला गया था। उन्होंने वहां चार महीने तक सब्ज़ी लगाई। लोग दूर-दराज़ से भी सब्ज़ी खरीदने आते थे।
इसके बाद प्रशासन ने उनसे कहा कि कीरत सागर में कजली मेला लगेगा इसलिए अब वह पच पहरा मंडी में सब्ज़ी लगायें। लोगों ने कई बार प्रशासन से कहा कि उन्हें महोबा बस्ती में सब्ज़ी मंडी लगाने की जगह दी जाए। अगर कहीं किनारे पर दी गयी तो मंडी तक आने में लोगों को 5 किलोमीटर का रास्ता तय करना पड़ेगा। ऐसे में उनकी सब्ज़ी कौन खरीदेगा।
तहसील और कोतवाली महोबा में लगभग 50 सब्ज़ी मंडी व्यापारी है। जो सब्ज़ी बाहर से आती है वह जिले के आस-पास के गाँव के लोग खरीदकर ले जाते हैं।
सद्दाम बताते हैं कि वह तो प्रशासन से कह-कह कर हार गए हैं कि उन लोगों की सब्ज़ी मंडी लगाने की व्यवस्थाएं बनाई जाए। इसके बाद भी उन लोगों के लिए व्यवस्थाएं नहीं बनाई जाती है जिससे वह लोग बहुत परेशान हैं। उन्होंने आगे बताया है कि अगर बीच मार्केट में सब्ज़ी मंडी नहीं होगी तो लोग कितनी दूर खरीदने जाएंगे। जो आस-पास के लोग होते हैं वह चाहते हैं कि बीच मार्केट में ही सब्ज़ी मंडी हो।
प्रशासन भटका रही है इधर-उधर – सब्ज़ी मंडी के मुनीम
सब्ज़ी मंडी के मुनीम मोहम्मद रसूल ने बताया, यह समस्या उनकी काफी समय से लगातार चलती आ रही है। वह 45 साल से सब्ज़ी मंडी के मुनीम हैं। उनका और उनके साथियों का काफ़ी मन था कि जो गल्ला मंडी महोबा में है वह उन लोगों को दे दी जाए। वहीं जो लोग गल्ला खरीदते हैं उन्हें पच पहरा भेजा जाए क्यूंकि बाजार में ज़्यादतर सब्ज़ी की ही खरीदारी की जाती है। गल्ला की कम होती है। उन्हें महोबा सब्ज़ी मंडी में जगह न देकर प्रशासन उन्हें इधर-उधर भटका रही है। इससे उनकी रोज़ी-रोटी पर भी काफी घाटा पड़ता है। उन लोगों के लिए कोई भी सुविधा नहीं है। वह आगे कहते हैं कि अगर देखा जाए तो सब्ज़ी मंडी सरकारी होती है लेकिन महोबा में कोई भी सरकारी सब्ज़ी मंडी नहीं है।
किराया लगने से सब्ज़ी भी हो जाती है महंगी
महोबा की रहने वाले प्यारी ने बताया कि वह सुबह 4 बजे ही जग जाती हैं। 5 या 5 :30 बजे स्टाफ़ आ जाता है। जिसके बाद वह सब्ज़ी खरीदने जाती हैं। उन्हें सब्ज़ी खरीदने के लिए दूर जाना पड़ता है जिसकी वजह से उनका दोगुना किराया लग जाता है। किराया लगता है तो उन लोगों को सब्ज़ी भी महंगी मिलती है। ऐसे में उनके परिवार का भरण-पोषण कैसे होगा।
श्रीनगर की किरण कहती हैं कि सब्ज़ी मंडी दूर होती है तो सब्ज़ी के बोरे के हिसाब से पैसे भी ज़्यादा लगते हैं। ऑटो वालों द्वारा 100 या 50 रूपये बोरा लिया जाता है। वह भी यही चाहती हैं कि मार्किट में ही सब्ज़ी मंडी होनी चाहिए।
सब्ज़ी मंडी के लिए जगह देने का दिया भरोसा – जिले के एसडीएम
इस समस्या के बारे में खबर लहरिया ने महोबा के एसडीएम जितेंद्र कुमार से बात की। उन्होंने हमें बताया कि उन्हें इस मामले के बारे में ज़्यादा जानकारी नहीं है कि महोबा में कहां सब्ज़ी मंडी हैं और सब्ज़ी मंडी की क्या प्रक्रिया चल रही है। वह आगे कहते हैं कि अगर सब्ज़ी मंडी व्यापारियों की तहरीर लिखित रूप में उनके पास आती है तो उसका ज़रूर से कुछ निराकरण किया जाएगा। साथ ही अगर कोई जगह महोबा शहर से नज़दीक है तो वहां पर भी व्यवस्था बनाई जायेगी।
इस खबर की रिपोर्टिंग श्यामकली द्वारा की गयी है।
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