किसानों की समस्याएं कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। एक तरफ जहां किसान खाद के लिए लम्बी लाइन में लगकर पूरा दिन बिता रहा है वहीं दूसरी ओर नहर में पानी न आने की वजह से किसान पलेवा नहीं लगा पा रहे हैं। किसान चिंतित हैं कि उनकी फसलें लेट हो रही हैं।
जिला चित्रकूट, ब्लॉक मानिकपुर ओहन बांध के नहर का पानी नहीं छोड़ा गया जिससे किसानों की फसलें सूख रही हैं। लोगों के अनुसार सरकारी नियम में है कि 5 अक्टूबर को नहर का पानी छोड़ा जाना था पर अधिकारियों की लापरवाही है कि उन्होंने अभी तक पानी नहीं छोड़ा। किसानों की खेती बिना बुवाई के परती पड़ी है। नवम्बर का महीना भी आधा बीत चुका है किसानों की फसलें लेट हो रही हैं। चना, मटर, आलू जैसी फसलें लेट हो रही। हर जगह ये फसलें उग चुकी हैं उनकी सिचाई भी हो रही है।
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फसल बुवाई के लिए हो रही देरी
मिंटू किसान का कहना है कि यह पानी उन्हें समय से मिल जाता तो वह गेहूं, चना और लाही की बुवाई आराम कर पाते। जब फसलें लेट बोयेंगे तो तैयार भी लेट से होगी और फिर दूसरी फसल के लिए भी देरी होगी। खाद की अलग समस्या है खाद लेने जाओ तो लम्बी-लम्बी लाइन लगानी पड़ती है। पूरे दिन बीत जाता है लेकिन खाद का नंबर ही नहीं आता है। ऐसे में किसान करे तो करे? किसान के पास आत्महत्या के अलावा कोई चारा नहीं है। किसी किसान के पास 4 बीघा तो किसी के दस यहाँ तक लोगों के पास 50 बीघा खेती सूखी पड़ी है।
बच्चों की पढाई और शादी खेती पर ही निर्भर
रानी अग्रवाल ने बताया कि खेती ही एकमात्र सहारा है। खेती से ही बच्चों की पढाई, खेती के पैसो से शादी और साल भर का खाना इसी खेती से तैयार करना पड़ता है। अगर विभाग का यही रवैया रहा तो उनका क्या होगा? वह फसल कैसे तैयार करेंगे?
फसल बोवनी के समय पर पानी की सख्त जरूरत होती है, लेकिन नहरों में पानी नहीं आने की वजह से किसान अब परेशान हैं, कई वर्षों पहले जब यह नहर बनाई थी तो किसानों को इन नहरों से काफी उम्मीद थी। लेकिन अब किसान के लिए नहर का पानी न छोड़ना चिंता का विषय बनता जा रहा है।
पवारी गांव की राजकुमारी, संतोष मोहन और मदन ने बताया कि नहर का पानी आता तो एक हप्ते पहले खेतों में पलेवा लगा देते। अगर नहर आया भी तो बिना पलेवा लगाये फसल अच्छी नहीं होती।
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महंगी पड़ रहा डीज़ल से खेतों की सिंचाई
हरि गोपाल, नंदलाल और शिवकुमारी ने बताया कि उनका खेत नहर के किनारे है कभी ज्यादा पानी छोड़ देते हैं तो फसल डूब जाती है कभी पानी ही नहीं छोड़ते तो फसल सूख जाती है यही सिलसिला बना हुआ है। किसान जिए तो कैसे जिए? नहर में पानी न छोड़ने से निजी ट्यूबवेल से अधिक पैसे खर्च कर खेतों की सिंचाई करनी पड़ती है।
राजकुमारी कहती हैं की महंगाई इतनी बढ़ गई है कि इंजन से खेतों की सिचाई करना मुश्किल हो जाएगा। अगर हमें 10 बीघे खेतों की सिचाई करनी है तो कम से कम 20 लीटर तेल चाहिए। एक लीटर तेल लगभग 85 रूपये है। इतना महंगा तेल खरीदकर सिंचाई करेंगे तो खाद बीज का खर्चा कहाँ से आएगा।
दो दिन बाद छोड़ा जाएगा पानी- विभाग
सुरेश कुमार नहर विभाग के अधिकारी से जब इस बारे में बात की गई तो उन्होंने हमें बताया कि नहर विभाग द्वारा नहरों की सफाई हो रही है। दो-तीन दिन के अन्दर सफाई पूरी हो जायेगी तो पानी छोड़ा जाएगा। अभी समय है किसान समय पर अपने खेतों की सिचाई कर पायेंगे।
इस खबर की रिपोर्टिंग सहोदरा द्वारा की गयी है।
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