उत्तर प्रदेश सरकार ने अपने सत्ता में आते ही गौरक्षा की बात कहीं थी, पर योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री बने अब दो साल होने को आये हैं, लेकिन गौशाला की बात झूठी की झूठी ही रह गई है।
सड़को और खेतों पर पहले भी अन्ना जानवर घूमा करते थे और नुकसान पहुँचाया करते थे और आज भी जानवरों के अन्ना प्रथा को कोई सरकार क्यों नहीं रोक पाई? क्या यह केवल राजनीतिक मुद्दा है?
योगी आदित्यनाथ जी ने कहा था कि 75000 गौरक्षक होगें जो देख भाल करेंगें इस बात को लेकर कई विवाद भी हुए थे, पर उसके बाद भी ना गौरक्षा हो रही है, ना ही कहीं गौशाला बनाई जा रही है।
जो गौशाला हैं भी तो वो जाने-माने हस्तियों के नाम हैं, जो गाय के नाम पर पैसा खुद से खा रहे हैं, पर उन किसानों की कौन सुनता है, जिनके खेत उनके खुद के खेत का जानवर ही चौपट कर रहे हों? किसान हर तरह से मार झेल रहा है। भगवान पानी नहीं बरसता तो फसल नहीं होती। अगर हो भी गई तो अन्ना जानवर खा जाते हैं।
कैसे खत्म होगा यह अन्ना जानवरों का आतंक? योगी जी ने बुन्देलखण्ड के हर गांव में गौशाला खोलने के लिये लम्बी मीटिंग की, पर शायद वह गौशाला कागज में ही रह गई है, सच्चाई कुछ और है? जब कि एक गौशाला बनाने के लिये लगभग बीस लाख रूपये खर्च की बात भी कहीं गई।
एक गाय पर प्रति दिन चालिस रूपये खर्च की भी बात हुई, पर आज तक बुन्देलखण्ड में ना के बराबर गौशाला बनाई गई हैं, जो बनी भी हैं उनकी हालत इतनी खराब हैं, जिसमें जानवरों के रहने-खाने की व्यवस्था भी नहीं हैं और जो जानवर वहां हैं भी, वह एकदम दुबले-पतले हैं।
उससे अच्छे तो सड़क के जानवर दिखते हैं। चित्रकूट जिले में कहने को सात गौशालायें हैं, पर व्यवस्था किसी में भी नहीं हैं। सारा पैसा जिनके नाम रजिस्ट्रेशन है वह खा रहे हैं।
क्या ऐसे में कभी अन्ना प्रथा खतम होगी? क्या किसान की फसल कभी अन्ना मुक्त होगी? या मंत्री केवल भाषण ही देंगें। क्या लोग इसी तरह परेशान होते रहेंगे? किसानों की दिन रात की मेहनत अन्ना जानवर खाते रहेंगे? सडकों और खेतो में अन्ना जानवरों के झुंड आज भी देखने को मिलते हैं, तो सरकार कैसे कह रही है गांव-गांव गौशाला खुलने की बात?
– मीरा जाटव, खबर लहरिया संपादक