सरकारी मंडियों में सड़क, शौचालय आदि जैसी सुविधाओं के ना होने की वजह से व्यवस्था के नाम पर व्यापारियों से ठगा जाता है पैसा। फिर भी नहीं होता समाधान।
महोबा जिले के ब्लॉक जैतपुर की सरकारी मंडी में उचित सुविधाएं मौजूद नहीं है। आये दिन लोग सुविधाओं की मांग करते हैं। अधिकारीयों से शिकायत करते हैं। लेकिन फिर भी कोई व्यवस्था नहीं होती। मंडियां चीज़ें बेचने का एक संयुक्त बाजार होती है। जहां अलग -अलग तरह की चीज़ें बेचीं जाती है। जिसमें सही प्रकार की सुविधायें होने बेहद ज़रूरी हो जाता है। ताकि सुविधाओं की कमी से लोगों के व्यवसाय पर असर ना पड़े।
मंडी की समस्याएं
- शौचालय
मंडी में आने वाले किसानों का कहना है कि लगभग चार साल हो गए। लेकिन मंडी में शौचालय की व्यवस्था नहीं हुई। वह जब मंडी में गल्ला बेचने आते हैं तो उन्हें शौच के लिए इधर-उधर जाना पड़ता है।
- साफ़-सफ़ाई
शकुन मंडी में लगभग 10 सालों से सब्ज़ी बेचने का काम कर रहे हैं। उन्हें कभी-भी मंडी में साफ़-सफाई या उसके लिए कोई भी व्यवस्था नहीं दिखी। वह कहतें है कि सरकारी मंडी में कम से कम साफ़-सफाई तो होनी ही चाहिए।
- लाइट का ना होना
मंडी में काम करने वाली कामता कहती हैं कि मंडी तो भगवान भरोसे ही चलती है। ना कोई सुविधा है और ना ही कोई देखभाल करता है। अँधेरा हो जाये तो मंडी में लाइट भी नहीं है कि उजाला रहे। अधिकारीयों से कहो तो वह सुनकर टाल देते हैं। कई बार बोलने के बाद भी कुछ नहीं होता।
- पैसे लेते हैं लेकिन व्यवस्था नहीं
प्रमोद कुमार कहते हैं कि मंडी में तो सिर्फ बकरियां घूमती रहती हैं। मंडी के अधिकारी बस व्यवस्था के लिए व्यापारियों से चार से पांच प्रतिशत पैसे ले लेते हैं। उसके बाद भी कोई व्यवस्था नहीं करते।
- मंडी में ना तो पक्की सड़कें हैं और ना ही नालियां बनी हुई है।
साथ ही सरकारी मंडी में तीन मंडियां लगती हैं। सब्ज़ी मंडी, गुड़ मंडी और गल्ला मंडी। गल्ला मंडी में चना,गेहूं और मूंगफली आदि चीज़ें बिकती हैं। तो ज़ाहिर सी बात है कि मंडी में भीड़ भी होती है। सुविधाओं के ना होने से व्यापरी के साथ-साथ ग्राहकों को भी समस्या का सामना करना पड़ता है।
जल्द होगी व्यवस्था – मंडी सहायक
मंडी सहायक ऋषि राय आदिवासी के अनुसार मंडी में छह महीने से काम चल रहा है। नई मंडी बनाई जा रही है। जिसकी वजह से साफ़-सफाई और व्यवस्था नहीं बन पायी है। इस समय मंदिर का निर्माण हो रहा है। निर्माण का काम खत्म होने के बाद मंडी में शौचालय, सड़कें,लाइटें आदि चीज़ों की समस्या का समाधान किया जाएगा।
हफ्तें में दो दिन लगती है मंडी
जानकारी के अनुसार, बुधवार और शनिवार दो दिन मंडी लगती है। वैसे तो मंडी बारहो महीने खुली रहती है। हज़ारों लोग मंडी में सब्ज़ी आदि चीज़ें खरीदने आते हैं। लेकिन जो सुविधाएँ मंडी में होना ज़रूरी है, वह नहीं है। शौचालय ना होने का मतलब है कि लोगों को खुले में शौच करना पड़ता है। जिससे की गंदगी बढ़ती है। लाइटें और पक्की सड़क ना होने का मतलब है कि कभी-भी कोई भी दुर्घटना हो सकती है।
इस खबर को खबर लहरिया के लिए श्यामकली द्वारा रिपोर्ट किया गया है।