मध्यप्रदेश में एक ऐसा गांव है जहां कक्षा 1 से 5 तक भी स्कूल नहीं है, जिससे बच्चे शिक्षा से वंचित है। मध्य प्रदेश के निवाड़ी जिले की ग्राम पंचायत नेगुंवा की हरिजन बस्ती की। ग्राम पंचायत नेगुंवा हरिजन बस्ती के रहने वाले कमलेश अहिरवार ने बताया है कि हम तो यहां कई पीढ़ियों से रह रहे हैं। यहां पर पांच सौ की आबादी है। यहाँ पर केवल अहिरवार समाज के लोग रहते हैं यहां पर मांग की की है लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है।
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बलवीर अहिरवार कहते हैं कि हमारे यहां पर स्कूल नहीं होने से बच्चे शिक्षा से वंचित हैं। उनका कहना है कि यहां पर सभी मजदूर वर्ग के लोग हैं। दो किलोमीटर स्कुल भी है तो वहां बच्चे जाते हैं पर वहां पर यह नाला पड़ता है जिसके कारण बरसात के मौसम में तो बच्चे स्कूल भी नहीं जा पाते।
राजकुमारी कहती है कि छोटी उम्र में ही बच्चे पढ़ पाते हैं। उनको इसी उम्र में शिक्षा ना मिले तो शिक्षा से वंचित रह जाते हैं और और बच्चों का भविष्य खराब हो जाता है। उन्होंने बताया है कि हम लोगों ने अभी चुनाव भी आया था इस समय भी मांग रखी थी लेकिन चुनाव के समय को आश्वासन दिया जाता है जीतने के बाद यहां पर कोई देखने के लिए भी नहीं आता। सरकार तो कहती है कि बच्चों को शिक्षा से वंचित ना करें और देश आगे बढ़े लेकिन जब बच्चों को शिक्षा ही नहीं प्राप्त होगी तो कैसे देश आगे बढ़ेगा।
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स्वास्थ्य व शिक्षा जैसी मूलभूत जरूरत गांव की गलियों तक पहुंच गई हैं। यह दावा सरकारी तंत्र करता है लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी अनेकों गांव में शिक्षा की हालत बेहद खराब है।
लोग अपने बच्चों को पढ़ाना तो चाहते हैं लेकिन विद्यालय के न होने से उनके सपनों को पंख नहीं लग पा रहा है। अभी तक गांव में प्राथमिक विद्यालय, आंगनबाड़ी केंद्र, एएनएम सेंटर सहित कोई सरकारी भवन नहीं है।
सरकारी नियम के अनुसार हर एक किलोमीटर में प्राथमिक शाला और हर तीन किलोमीटर में माध्यमिक शाला होना चाहिए। लेकिन अभी इस गांव में बच्चों को शिक्षा के लिए दूसरे गांव तक दौड़ लगानी पड़ रही है।
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