इससे पहले निर्भया की मां ने पत्रकारों से कहा था, “उन्होंने अदालत का समय नष्ट करने और सिस्टम का ग़लत इस्तेमाल करने का प्रयास किया। अब उन्हें फांसी पर चढ़ा दिया जाएगा।” उन्होंने कहा, “इन लोगों ने सिस्टम को गुमराह किया है, आज इनकी अपील ख़ारिज हो गई है। अब कल इन्हें फांसी होगी।’ आशा देवी ने कहा कि अभियुक्तों ने बार-बार अदालत और सिस्टम को गुमराह किया।
दिल्ली की एक अदालत ने निर्भया बलात्कार मामले में चारों दोषियों को तीन मार्च को दी जाने वाली फांसी अगले आदेश तक के लिए रोक दी है। कोर्ट ने पवन गुप्ता की दया याचिका राष्ट्रपति के पास लंबित होने के आधार पर ये फ़ैसला दिया है। इसी बीच पवन गुप्ता की ओर से दायर की गई क्यूरेटिव याचिका को भी सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को ख़ारिज कर दिया।
पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार ये फांसी मंगलवार को सुबह छह बजे होने वाली थी। इससे पहले सोमवार को ही दिन में दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने फांसी पर स्थगन आदेश देने से इनकार कर दिया था।
दोषियों की फांसी टलने पर फिल्म अभिनेता ऋषि कपूर ने ट्विटर पर गुस्सा जाहिर करते हुए इसे भद्दा और हास्यास्पद भी बताया है। उन्होंने ट्वीट किया, “निर्भया मामला। तारीख पे तारीख, तारीख पे तारीख, तारीख पे तारीख-‘दामिनी’। हास्यास्पद।” निर्भया मामले पर आया ऋषि कपूर का यह ट्वीट सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है, साथ ही लोग इसपर खूब कमेंट भी कर रहे हैं। बता दें कि निर्भया केस में फांसी की सजा पर बीते सोमवार ही अदालत ने अगले आदेश तक रोक लगा दी। सजा को टालते हुए अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धर्मेंद्र राणा ने कहा कि राष्ट्रपति के समक्ष लंबित दोषी पवन गुप्ता की दया याचिका के निस्तारण तक फांसी नहीं दी जा सकती।
दोषी पवन गुप्ता की दया याचिका को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने खारिज कर दिया है। अब गुनहगारों की फांसी की तारीख याना डेथ वारंट जारी होने का रास्ता साफ हो गया है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट के गाइडलाइन के मुताबिक, दया याचिका खारिज होने के बाद दोषी पवन को 14 दिन का नोटिस मिलेगा। इससे साफ है कि 14 दिन के बाद ही दोषियों को फांसी मिल सकती है।
दया याचिका खारिज होने के बाद निर्भया के माता-पिता की वकील सीमा कुशवाहा ने बताया कि हम दिल्ली की अदालत में नई याचिका डाल रहे हैं ताकि दोषियों के फांसी की नई तारीख तय हो सके। सभी दोषी अपने सभी कानूनी अधिकार उपयोग कर चुके हैं। अब जिस तारीख का डेथ वारंट जारी किया जाएगा वह फांसी की अंतिम तारीख होगी।
गौरतलब है कि साल 2012 में 16 दिसंबर की रात देश की राजधानी दिल्ली में 23 वर्षीय पैरामेडिकल छात्रा से एक चलती बस में छह लोगों ने सामूहिक बलात्कार किया था और उसे सड़क पर फेंकने से पहले बुरी तरह से घायल कर दिया था। दो हफ्ते बाद 29 दिसंबर को सिंगापुर के एक अस्पताल में इलाज के दौरान पीड़िता की मौत हो गई थी। छात्रा के साथ उसका एक दोस्त भी था। उन लोगों ने ना सिर्फ छात्रा के साथ सामूहिक बलात्कार किया था बल्कि उसके दोस्त को भी जमकर पीटा था।
राजधानी में हुए इस अपराध के लिए निचली अदालत (फास्ट ट्रैक कोर्ट) ने 12 सितंबर, 2013 को चार दोषियों को मौत की सज़ा सुनाई थी। एक फास्ट ट्रैक कोर्ट ने चारों दोषियों को सामूहिक बलात्कार, अप्राकृतिक यौन हिंसा और हत्या और निर्भया के दोस्त की हत्या के प्रयास समेत 13 अपराधों में दोषी ठहराया था।
इस अपराध में एक आरोपी राम सिंह ने मुकदमा लंबित होने के दौरान ही जेल में आत्महत्या कर ली थी, जबकि छठा आरोपी एक किशोर था। उसे एक बाल सुधार गृह में अधिकतम तीन साल की कैद की सजा दी गई। दिसंबर 2015 में उसे रिहा कर दिया गया था।
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल नौ जुलाई को मामले के तीन दोषियों- मुकेश (31), पवन गुप्ता (24) और विनय शर्मा (25) की याचिकाएं खारिज कर दी थीं। उन्होंने 2017 के उस फैसले पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया था, जिसके तहत दिल्ली उच्च न्यायालय ने मामले में निचली अदालत में उन्हें सुनाई गई मौत की सजा को बरकरार रखा था।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने 13 मार्च, 2014 को दोषियों को मृत्युदंड देने के निचली अदालत के फैसले की पुष्टि कर दी थी। इसके बाद, दोषियों ने शीर्ष अदालत में अपील दायर की थीं जिन पर न्यायालय ने पांच मई, 2017 को फैसला सुनाया था। वहीं, मौत की सजा का सामना कर रहे चौथे दोषी अक्षय कुमार सिंह (33) ने शीर्ष न्यायालय में पुनर्विचार याचिका दायर नहीं की थी।