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आज से नए आपराधिक कानून लागू, पहली FIR दर्ज

नए आपराधिक कानून में भारतीय न्याय संहिता के तहत मध्यप्रदेश के ग्वालियर में मोटरसाइकिल चोरी करने के मामले में पहली एफआईआर दर्ज की गई है। भारत के केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने स्पष्ट किया कि पहला मामला ग्वालियर में दर्ज किया गया था।

No law and justice in the new criminal law for sexual violence against men, trans people and animals.

फोटो साभार – सोशल मीडिया

भारत के कानून में आज सोमवार 1 जुलाई से तीन अधिनियम कानून लागू किए गए हैं। जिसमें भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के स्थान पर भारतीय न्याय संहिता, सीआरपीसी के स्थान पर नागरिक सुरक्षा संहिता तथा भारतीय साक्ष्य अधिनियम के स्थान पर भारतीय साक्ष्य अधिनियम लागू किया गया है। आज से ही नए कानून के तहत एफआईआर (FIR) दर्ज भी शुरू होने लगी। नए कानून लागू होने के बाद खबर आई कि मध्यप्रदेश के ग्वालियर में मोटरसाइकिल चोरी करने के लिए एफआईआर दर्ज हुई है। सरकार ने कहा है कि न्याय में तेजी हो इसके साथ ही आधुनिक समय के बदलाव के साथ नए कानून में कुछ बदलाव किए गए हैं।

नए आपराधिक कानून के अनुसार, जो ब्रिटिश के समय से कानून थे अब उनको समाप्त किया गया है और उसमें संशोधन किया गया है। नए कानून के तहत आज पहली एफआईआर दर्ज कर ली गई।

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पहली एफआईआर मध्यप्रदेश में हुई दर्ज

नए आपराधिक कानून में भारतीय न्याय संहिता के तहत मध्यप्रदेश के ग्वालियर में मोटरसाइकिल चोरी करने के मामले में पहली एफआईआर दर्ज की गई है। भारत के केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने स्पष्ट किया कि पहला मामला ग्वालियर में दर्ज किया गया था।

एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, अमित शाह ने कहा, “यह झूठ है कि पहला मामला एक रेहड़ी-पटरी वाले के खिलाफ दर्ज किया गया। पहला मामला ग्वालियर में रात 12.10 बजे 1.80 लाख रुपये की मोटरसाइकिल चोरी के संबंध में दर्ज किया गया।”

खबर पहले यह आ रही थी कि नए कानून लागू होने के बाद सबसे पहले एफआईआर नई दिल्ली के कमला मार्केट पुलिस स्टेशन में रेहड़ी-पटरी लगाने वाले व्यक्ति पर की गई। जिस पर आरोप था कि नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के फुटओवर ब्रिज के नीचे आरोपी कथित तौर पर कमला मार्केट इलाके में मुख्य सड़क के पास एक ठेले पर पानी और तंबाकू बेच रहा था, जिससे आने-जाने वालों को परेशानी हो रही थी। रेहड़ी-पटरी वाले के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 285 के तहत मामला दर्ज किया गया है।

नए कानून में शून्य एफआईआर, पुलिस शिकायतों का ऑनलाइन पंजीकरण, एसएमएस जैसे इलेक्ट्रॉनिक तरीकों से सम्मन और कुछ अपराधों में अपराध स्थलों की वीडियोग्राफी का जरुरी होना शामिल है। बिज़नेस स्टैण्डर्ड की रिपोर्ट के अनुसार इन कानून में जो बदलाव हुए हैं इस प्रकार है।

तीन नए कानून के बारे में पूरी जानकारी यहां देखें – https://www.mha.gov.in/sites/default/files/2024-04/250884_2_english_01042024.pdf

भारतीय न्याय संहिता 2023 (बीएनएस)

भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) 163 साल पुरानी है जो भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के नाम से जानी जाती थी अब इसे बदल कर भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) रख दिया गया। इस कानून में महत्वपूर्ण बदलाव किये गए हैं।

इसमें यौन अपराधों के लिए सख्त कानून लागू किये गए हैं जिसमें उन लोगों के लिए कानून बनाया गया है जो लोग शादी का झूठा वादा कर के यौन सम्बन्ध बनाते हैं और छोड़ देते हैं। उनके लिए दस साल तक की कैद और जुर्माने का प्रावधान है

अपहरण, डकैती, वाहन चोरी, जबरन वसूली, जमीन हड़पना, अनुबंध हत्या, आर्थिक अपराध, साइबर अपराध और मानव, ड्रग्स, हथियार या अवैध सामान या सेवाओं की तस्करी के लिए कानून है।

वैश्यावृति या फिरौती के लिए मानव तस्करी करने वाले व्यक्तियों या समूहों के खिलाफ कड़ी सजा का प्रावधान है।

इस कानून में भीड़ द्वारा हत्या के गंभीर मुद्दों का भी जिक्र है। इसमें कहा गया है, “जब पांच या उससे अधिक व्यक्तियों का समूह मिलकर नस्ल, जाति या समुदाय, लिंग, जन्म स्थान, भाषा, व्यक्तिगत विश्वास या किसी अन्य समान आधार पर हत्या करता है, तो ऐसे समूह के प्रत्येक सदस्य को मृत्युदंड या आजीवन कारावास की सज़ा दी जाएगी और जुर्माना भी देना होगा।”

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता

1973 की दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) का नाम अब भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) हो गया है। इस कानून में एक महत्वपूर्ण प्रावधान विचाराधीन कैदियों के लिए है, जो पहली बार अपराध करने वालों को उनकी अधिकतम सजा का एक तिहाई हिस्सा पूरा करने के बाद जमानत पाने की अनुमति देता है। आजीवन कारावास या कई आरोपों वाले मामलों को छोड़कर, जिससे विचाराधीन कैदियों के लिए अनिवार्य जमानत प्राप्त करना कठिन हो जाता है।

नए कानून में अब कम से कम 7 साल की सजा वाले अपराधों के लिए फोरेंसिक जांच अनिवार्य है, जिससे यह सुनिश्चित होगा कि फोरेंसिक विशेषज्ञ अपराध स्थलों पर सबूत इकठ्ठा करें। यदि किसी राज्य में फोरेंसिक सुविधा नहीं है, तो उसे दूसरे राज्य में सुविधा का उपयोग करना होगा।

बलात्कार शिकायतकर्ता की जांच करने वाले चिकित्सकों को सात दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट जांच अधिकारी को देनी होगी।

बहस पूरी होने के 30 दिनों के अंदर फैसला होना चाहिए जिसे 60 दिनों तक बढ़ाया जा सकता है।

सत्र न्यायालयों को ऐसे आरोपों पर पहली सुनवाई से 60 दिनों के भीतर आरोप तय करना आवश्यक है।

भारतीय साक्ष्य अधिनियम

भारतीय साक्ष्य अधिनियम (बीएसए) में इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य के संबंध में आधुनकिता जोड़ी गई है। कानून में कहा गया है, “यह कानून में एक नई अनुसूची जोड़ता है, जो इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड की सामग्री की वास्तविकता के बारे में प्रमाण पत्र के विस्तृत प्रकटीकरण प्रारूप को निर्धारित करता है, जो पहले केवल एक हलफनामे और स्व-घोषणा द्वारा शासित होता था। द्वितीयक साक्ष्य की परिभाषा का विस्तार किया गया है, और विधेयक लिखित स्वीकारोक्ति को द्वितीयक साक्ष्य के रूप में शामिल करके साक्ष्य अधिनियम की एक खामी को दूर करता है।”

नए कानून से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें

नए कानून के तहत अब आपराधिक मामलों में फैसले की सुनवाई 45 दिनों के भीतर पूरी होनी चाहिए और आरोप पहली सुनवाई के 60 दिनों के भीतर तय किए जाने चाहिए।

नए कानून के तहत अब लोग ऑनलाइन रिपोर्ट दर्ज करा सकते हैं इसके लिए उन्हें पुलिस स्टेशन जाने की आवश्यकता नहीं है। इससे पुलिस को कार्रवाई करने में आसानी और तेजी आएगी।

जीरो एफआईआर का प्रावधान है जिसमें कोई भी व्यक्ति किसी भी पुलिस थाने में जा कर शिकायत दर्ज करवा सकता हैं।

गिरफ्तारी होने पर व्यक्ति अपनी स्थिति के बारे में अपनी पसंद के व्यक्ति को सूचित करने का अधिकार है।

 

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