Neocov से जुड़ी अफवाहों से लोगों को डराया जा रहा है, असल में अब तक दुनिया में कोई इंसान इससे संक्रमित हुआ ही नहीं
कोविड 19 और NioCov में क्या है अंतर?
नियोकोव कोविड-19 का वैरिएंट नहीं है. ये सच है कि नियोकोव भी एक तरह का कोरोनावायरस ही है पर ये उस SARS CoV2 का नया वैरिएंट नहीं है, जिससे संक्रमित होने वाले व्यक्ति को हम Covid19 संक्रमित कहते हैं. जैसा कि हमने पहले बताया कि इस वायरस की चर्चा 2013 से ही है, वैज्ञानिक लंबे समय से इसपर शोध कर रहे हैं, इसलिए ये दावा भी गलत है कि ये कोई नया वायरस है.
क्या NeoCov को लेकर हमें चिंता करने की जरूरत है?
दुनिया इस वक्त कोरोना महामारी को लेकर चिंता में है. ऐसे में ये सवाल उठ सकता है कि क्या NeoCov को लेकर भी चिंता करने की जरूरत है? दरअसल, एक चीनी स्टडी में सामने आया है कि नियोकोव में अगर किसी कारणवश म्यूटेशन होता है तो ये इंसान को संक्रमित कर सकता है. लेकिन, गौर करने वाली बात ये है कि स्टडी अभी अपने शुरुआती स्तर पर है. वैज्ञानिकों का मानना है कि स्टडी में किए गए दावों पर अभी काफी शोध होना बाकी है. शोध के बाद ही सटीक नतीजे सामने आ पाएंगे.
दुनिया भर के वैज्ञानिकों का मानना है कि फिलहाल नियोकोल के इंसानों में आने की संभावना बहुत कम है, क्योंकि इसके लिए वायरस को म्यूटेशन की जरूरत पड़ेगा. अब तक नियोकोव सिर्फ अफ्रीका के चमगादड़ों में पाया गया है.
फिलहाल NeoCov से हमें कोई खतरा नहीं है, लेकिन कोविड 19 का खतरा अभी टला नहीं है. इसलिए, मास्क पहनते रहें, सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखें और वैक्सीन जरूर लगवाएं.
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