मध्य प्रदेश सीमावर्ती से सटे बांदा जिले के गांव पुरैनिया के नीरज पटेल ने पथरीली जमीन में दूध की धारा बहाई है। इस साल उसने लगभग 6000 लीटर दूध पराग डेयरी में पहुंचाया है जो एक किसान पशुपालन के लिए बहुत ही गर्व की बात है| जिस कारण उसको गोकुल अवार्ड के लिए भी चुना गया| युवा नीरज और उनके पिता बताते हैं कि हम किसानों के लिए किसानी एक व्यवसाय है और उसी के तहत पशुपालन का भी काम है |
पशुपालन के चलते हम लोग शुरू से ही दूध बेचने का काम कर रहे हैं और ये हमारा पुश्तैनी काम है लगभग 10 सालों से हम लोग पराग डेयरी में अपना दूध पहुंचा रहे हैं इस साल हमारा नारायणी क्षेत्र में सबसे अधिक दूध डेयरी में गया है जिसके चलते हमें इस अवार्ड के लिए चुना गया है| जब से हमने अवार्ड मिलने की बात सुनी तो हमें बहुत ही खुशी महसूस हो रही है और हम हर किसान भाई को यही संदेश देना चाहते हैं कि वह पशु पालन करें और अपने रोजगार को बढ़ाएं ताकि उनको कहीं बाहर न जाना पड़े क्योंकि बुंदेलखंड में बहुत ही बेरोजगारी है यहां का पलायन कर रहा है|