विश्व हिन्दू परिषद और बजरंग दल के पदाधिकारियों के खिलाफ एफआईआर में भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) के तहत एफआईआर दर्ज की गई। इसमें अमोल ठाकरे, डॉ. महाजन, तायानी, रजत पुरी, सुशील, वृषभ अरखेल, शुभम और मुकेश बारापात्रे के नाम शामिल हैं।
लेखन – सुचित्रा
महाराष्ट्र के नागपुर में सोमवार 17 मार्च को हुई हिंसा में अब तक 65 लोगों को गिफ्तार किया जा चुका है। इसके साथ ही अधिकारीयों ने बताया कि गणेशपेठ पुलिस थाने में विश्व हिन्दू परिषद के महाराष्ट्र और गोवा प्रभारी सचिव गोविंद शेंडे और अन्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है। विश्व हिन्दू परिषद और बजरंग दल पर धार्मिक भावनाओं को चोट पहुंचाने का आरोप लगाया गया है।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार मध्य नागपुर के महल क्षेत्र के चिटनिस पार्क में सोमवार 17 मार्च को शाम करीब 7 बजे हिंसा हुई। विश्व हिन्दू परिषद / Vishwa Hindu Parishad (VHP) और बजरंग दल / Bajrang Dal संगठन द्वारा छत्रपति संभाजीनगर जिले में स्थित औरंगजेब की कब्र को हटाने की मांग को लेकर प्रदर्शन हो रहा था। इसके बाद अफवाह फैली की प्रदर्शन में कथित तौर पर मुस्लिम समुदाय की प्रतीकात्मक पुस्तक को जलाया गया। इसके बाद समुदाय में आक्रोश फ़ैल गया और पथराव, आगजनी, तोड़फोड़ होने लगी। इसमें मौके पर पहुंचे पुलिसकर्मी भी घायल गई गए। नागपुर के 11 पुलिस थानों में आने वाले इलाकों में अगले आदेश तक कर्फ्यू लगाया गया है।
नागपुर हिंसा में विश्व हिन्दू परिषद और बजरंग पर मामला दर्ज
लाइव मिंट की रिपोर्ट के अनुसार विश्व हिन्दू परिषद और बजरंग दल के पदाधिकारियों के खिलाफ एफआईआर में भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) के तहत एफआईआर दर्ज की गई। इसमें अमोल ठाकरे, डॉ. महाजन, तायानी, रजत पुरी, सुशील, वृषभ अरखेल, शुभम और मुकेश बारापात्रे के नाम शामिल हैं। यह जानकारी गणेशपेठ पुलिस स्टेशन के अधिकारी द्वारा दी गई। उन्होंने यह भी बताया कि फिलहाल अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है।
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नागपुर हिंसा में शामिल 65 आरोपी गिरफ्तार
नागपुर सिटी पुलिस आयुक्त रविन्द्र सिंघल ने कहा कि कल मंगलवार 18 मार्च 2025 को शाम तक गिरफ्तार आरोपियों की संख्या 65 हो गई। रिपोर्ट के मुताबिक 3 नाबालिगों के साथ 51 को पुलिस हिरासत के लिए अदालत में पेश किया गया। हिंसा में शामिल आरोपियों की संख्या उन्होंने पहले 50 बताई थी।
इस तरह की हिंसा आए दिन बढ़ रही हैं जोकि देश में स्थापित बंधुत्व को खतरे में डाल रही है। लोगों में इस तरह धर्म के प्रति असुरक्षा और और धर्म को बचाने के लिए हिंसा करना कहीं न कहीं राजनीति का भी असर है।
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