खबर लहरिया चित्रकूट गुड़िया के त्यौहार की सदियों से चली आ रही यह कैसी परंपरा है?

गुड़िया के त्यौहार की सदियों से चली आ रही यह कैसी परंपरा है?

जिला चित्रकूट| नागपंचमी का त्यौहर यूं तो हर वर्ष देश के विभिन्न भागों में मनाया जाता है| लेकिन उत्तर प्रदेश में इस त्यौहर को मनाने कि एक अनोखी परमपरा है जो पीढियों से चली आ रही है|  जिसको लोग खुशी से त्यौहार के रुप में मनाते तो हैं लेकिन देख कर रोय कांप जाते है जिस तरह से एक महिला का अपमान होता है|

इस पुरानी परमपरा के बारे में  बहुत जानने कि कोशिश की लेकिन लोग इस रहस्य को परमपरा तो मानते है पर इसके पिछे क्या राज्य है| इसकी जानकारी नही हर साल नागपंचमी के दिन महिला के रुप  में कपडे कि गुडिया बना कर कुटते है और बहुत खुश होते है| जैसे कि इस साल भी 5 अगस्त को नागपंचमी के दिन देखने को मिला कि लडकियों ने अपने घरों में पुराने कपड़े कि गुडिया बनाई और उसे बाहर तालाबो और खेतों के पास फेका और बच्चों ने  ड़डे से उन सब गुडियो को कुटा जो बहुत ही अपमान जनक परमपरा है कि आज भी लोग लडके लडकी और जातिगत भेदभाव को लेकर हाबी है| इस परमपरा के बारे में गुगल पर भी अलग अलग रहस्य लिखे है|

माना जाता है कि तक्षक नाग के काटने से राजा परिक्षत कि मौत हो गई थी| समय बीतने पर तक्षक नाग के चौथी पीढी की लडकी राजा परिक्षत के चौथी पीढी में ब्याही थी| उसने अपने ससुराल में एक महिला से ये बात किसी से न बताने को कहा लेकिन वह बात पुरे नगर में फैस गई| तो कोई कहता है कि तक्षक नाग और राज परिक्षत कि गहरी दोस्ती थी लेकिन तक्षक  कि लडकी ने किसी अन्य जाति से शादी करनी चाही| इस लिए उसे लडको को बुला कर ड़डे से पिटवा कर मार दिया गया और पकवान बने नाग रखे गये| तब से से परमपरा चल रही है| लेकिन ये बहुत ही अपमान जनक परमपरा है|