20 अक्टूबर को मुठभेड़ के सिलसिले में पुलिस के यूएपीए के तहत 200 लोगों को आरोपित करने के बाद, नेपाल के पास स्थित बहरीच जिले में मुस्लिम-प्रभुत्व वाले खैर गांव के अधिकांश युवा गिरफ्तारी के डर से भाग गए हैं।
जब गॉंव में दुर्गा मूर्ति विसर्जन के लिए शोभायात्रा निकाला जा रहा था, तबी यह मुठभेड़ का मामला सामने आया था। एक स्थानीय निवासी आशीष कुमार शुक्ला, जो इस शोभायात्रा का हिस्सा थे, उन्होंने बुंदी पुलिस थाने में 80 नामित (सभी मुस्लिम) और 100-200 अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करी थी। जिसमे लिखा था कि आरोपियों ने पिस्तौल, बम और तलवार के साथ शोभायात्रा पर हमला किया जिसके चलते 50-60 लोग घायल हो गए थे।
पुलिस ने अब तक खैर से 19 लोगों को गिरफ्तार कर लिया है और दावा करते हुए कहा है कि 52 अन्य लोगों की पहचान भी हो गई है। हालांकि, पुलिस अधिकारियों का ये भी कहना है कि यूएपीए को इस मामले में गलत जानकारी दी गई थी।
गैरकानूनी गतिविधियां (की रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए), एक केंद्रीय कानून है जिसे आम तौर पर देश की संप्रभुता और अखंडता को खतरा पहुँचाने वाले कृत्यों के खिलाफ आह्वान के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
खैर में पीएसी सहित भारी पुलिस बल तैनात किया गया है और दुकानों को बंद करवा दिया गया है। गांव में ज्यादातर घर बंद पड़े हैं, जिसके चलते गॉंव सुनसान सा हो गया है। बहुत से लोग जो अब भी वहां रह रहे हैं उन्होंने पुलिस द्वारा उत्पीड़न का आरोप लगाया है।
किसान करमातुल्लाह का कहना है कि जब जुलूस जामा मस्जिद के पास पहुंचा, तो जुलूस के कुछ लोगों ने सड़क के किनारे मुस्लिमों पर गुलाल फेंका था। जिसका विरोध करने पर, दोनों के बीच बहस भी हुई। लेकिन कुछ लोगों ने मामले के बीच आकर, इस मामले को सुलझा दिया था। फिर जुलूस के कुछ सदस्यों ने फिर से मस्जिद के अंदर गुलाल फेंक दिया, जिसके चलते ये मुठभेड़ शुरू हुई”।
उसी गांव के रहने वाले जगदीश कुमार जयस्वाल का इस मामले में कुछ और ही कहना है “किसी अन्य समुदाय के लोगों ने बिना किसी उत्तेजना के जुलूस पर हमला किया था।”
गांव की प्रधान सरिता वर्मा के पति हरि नारायण वर्मा का कहना है कि, “गांव में 65 प्रतिशत मुस्लिम आबादी है। मुझे इस बारे में कोई जानकारी नहीं कि हमले की योजना बनाई गई थी या नहीं”।
पुलिस अधीक्षक रविंद्र कुमार सिंह का कहना है कि, “अब तक, 71 मुस्लिम युवाओं को मुठभेड़ में शामिल होने के रूप में पहचाना गया है। स्थानीय लोगों द्वारा बनाई गई वीडियो के ज़रिये इसकी पुष्टि की गई है। और अभी तक, 19 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है”।
संपर्क करने पर, डीआईजी, देवपतन रेंज, अनिल कुमार राय ने स्वीकार किया कि उस दिन दो समूहों में मुठभेड़ ज़रूर हुई थी। ‘जिसके चलते कोई भी व्यक्ति गंभीर रूप से घायल नहीं हुआ था। किसी भी तरफ से शिकायत दर्ज करने पर कोई प्रतिबंध नहीं है। अगर दूसरे समुदाय द्वारा शिकायत दर्ज की जाती है, तो उसे ज़रूर पंजीकृत किया जायेगा’।