केंद्रीय कैबिनेट (मंत्रिमंडल बैठक) की बैठक में बुधवार 28 मई 2025 को वर्ष 2025-26 के खरीफ सत्र के लिए 14 फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में बढ़ोतरी की गई।
किसानों को देश के केंद्र सरकार से तोहफा मिला। केंद्र सरकार ने खरीफ सीजन की 14 फसलों की न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) बढ़ाने का फैसला किया। यह फैसला किसानों के हित में लिया गया है ताकि उन्हें फसलों का बेहतर दाम मिल सके भले ही बाजार में भाव कम हो जाए। सूत्रों के मुताबिक करीब 13 फसलों की एमएसपी में बढ़ोतरी हुई है। किसानों को लोन पर ब्याज में छूट देने वाली योजनाएँ भी जारी रहेंगी।वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए इस योजना में जरुरी बदलाव भी किए जा सकते है।
एमएसपी होता क्या है
एमएसपी का मतलब होता है ‘न्यूनतम समर्थन मूल्य’ यानी वह दाम जो सरकार किसानों को उनकी फसल के लिए देती है। इससे किसान को बाजार के उतार-चढ़ाव से नुकसान नहीं होता। अगर बाजार में दाम गिर जाए तब भी सरकार एमएसपी पर फसल खरीदेगी।
कौन-कौन सी होती है खरीफ की फसलें
खरीफ की फसलें बरसात (मानसून) के समय बोई जाती हैं यानी जून-जुलाई में और इनकी कटाई सितंबर-अक्टूबर में होती है। खरीफ फसल में शामिल हैं धान, मक्का, बाजरा, ज्वार, सोयाबीन, मूंगफली, कपास, उड़द, मूंग, अरहर, गन्ना, तिल, जूट आदि।
कौन सी फसल में कितनी एमएसपी बढ़ेगी
2024-25 में काला तिल के लिए एमएसपी 8,717 प्रति क्विंटल तय की गई थी जिसे संशोधित कर उसी मात्रा के लिए 9,537 रुपए कर दिया गया है। इसी तरह रागी के लिए 4,290 प्रति क्विंटल के एमएसपी को संशोधित कर 4,886 रुपए कर दिया गया है। धान की एमएसपी 2,300 से बढ़कर 2,369 रुपए कर दी गई है। कपास के लिए, मध्यम स्टेपल किस्म के एमएसपी को 7,121 से संशोधित कर 7,710 रुपए कर दिया गया है और लंबी स्टेपल किस्म के लिए इसे 7,521 से संशोधित कर 8,110 रुपए कर दिया गया है। बाजरा की एमएसपी 2,625 से बढ़ाकर 2,775 कर दिया गया है। दाल में तुअर और अरहर की एमएसपी 7,550 से बढ़ाकर 8,000 रुपए कर दी गई है।
केंद्रीय मंत्री अश्वनी वैष्णव ने दी जानकारी
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि सरकार का नियम है कि एमएसपी फसल की लागत से कम से कम 50 प्रतिशत ज्यादा होनी चाहिए। इस बढ़ोतरी से सरकार पर कुल 2.07 लाख करोड़ रुपए का खर्च आएगा, जो पिछले साल से 7 हजार करोड़ ज्यादा है।
किसान क्रेडिट कार्ड पर ब्याज छूट जारी रहेगी
छोटे एवं सीमांत किसानों को बड़ी राहत देते हुए किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) पर ब्याज छूट योजना को जारी रखने का निर्णय भी लिया गया है। यानी समय पर भुगतान करने वाले किसानों को सिर्फ चार प्रतिशत ब्याज पर तीन लाख रुपये तक का लोन मिलता रहेगा। इससे उनकी वित्तीय स्थिति मजबूत होने के साथ-साथ उत्पादन में भी वृद्धि होगी। इस तरह किसान को कुल मिलाकर सिर्फ 4 प्रतिशत ब्याज देना पड़ता है। अगर किसान पशुपालन या मछली पालन के लिए लोन लेता है, तो इस ब्याज की छूट 2 लाख रुपए तक के लोन पर ही लागू होती है।
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