सिंगरौली जिले के सरई इलाके में कोल ब्लॉक के लिए चल रही पेड़ों की कटाई अब राजनीतिक मुद्दा बन गई है। आदिवासी कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष विक्रांत भूरिया सरई पहुंचे और बासी–बरदह के जंगलों में जारी कटाई स्थल का निरीक्षण किया।
देश में जंगलों की कटाई कोई नई खबर नहीं रह गई है। कोल ब्लॉक और खनन परियोजनाओं के नाम पर बड़े-बड़े वन क्षेत्र लगातार उजाड़े जा रहे हैं। हसदेव जैसे घने और समृद्ध जंगलों में भी पेड़ों की कटाई रुकने का नाम नहीं ले रही। जंगलों की इस तेज़ी से होती कटाई का असर सीधा हमारे जीवन पर पड़ रहा है। जलवायु परिवर्तन तेज़ हो रहा है बारिश के पैटर्न बदल रहे हैं। पानी की कमी बढ़ रही है और गांवों में आजीविका से लेकर गर्मी के रिकॉर्ड तक हर तरह की परेशानियाँ सामने आ रही हैं। विशेषज्ञ पहले ही चेतावनी दे चुके हैं कि अगर यही रफ़्तार रही तो आने वाले सालों में कई क्षेत्रों में तापमान और जल संकट खतरनाक स्तर तक पहुंच जाएगा लेकिन इस सबके बावजूद हालात बदलने के बजाय और बिगड़ते दिख रहे हैं।
एक तरफ़ अडानी जैसे बड़े उद्योगपतियों को लगातार नए कोल ब्लॉक (कोयला खनन ब्लॉक) मिल रहे हैं दूसरी तरफ़ सरकार की चुप्पी कई सवाल खड़े करती है कि आख़िर किसके हित में यह खनन और वन विनाश हो रहा है?
हसदेव के बाद अब मध्यप्रदेश के सिंगरौली में भी यही तस्वीर सामने आई है। यहां लगभग 2000 हेक्टेयर भूमि एक निजी कंपनी को कोयला खनन के लिए दी गई है। उत्खनन शुरू होने से पहले वन विभाग की ज़मीन पर लगे करीब ढाई हज़ार पेड़ों की कटाई की जा रही है। यहां की पेड़ों की कटाई होने वाली वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है।
सिंगरौली जिले के सरई इलाके में कोल ब्लॉक के लिए चल रही पेड़ों की कटाई अब राजनीतिक मुद्दा बन गई है। आदिवासी कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष विक्रांत भूरिया सरई पहुंचे और बासी–बरदह के जंगलों में जारी कटाई स्थल का निरीक्षण किया। उनके दौरे के दौरान भी कटाई का काम नहीं रुका और लगभग 300 पुलिसकर्मियों की मौजूदगी में पेड़ गिराए जाते रहे।
लाखों पेड़ काटने के आरोप
दौरे से लौटने के बाद विक्रांत भूरिया ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की और कहा कि वांसी–वैरदहा और घिरौली कोल ब्लॉक का मामला सिर्फ पर्यावरण से जुड़ा मुद्दा नहीं है बल्कि यह प्रशासन राजनीति और सामाजिक जिम्मेदारी से जुड़ा गंभीर विवाद बन चुका है। भूरिया का आरोप है कि प्रशासन और कंपनी असली तथ्य छुपा रहे हैं। उनके मुताबिक यह परियोजना करीब 2700 हेक्टेयर क्षेत्र में फैली है जो पूरी तरह आदिवासी बहुल इलाका है। उन्होंने कहा कि यहां केवल तैंतीस हजार नहीं बल्कि लाखों पेड़ों की कटाई की तैयारी है। आदिवासी समुदाय को न तो पूरी प्रक्रिया की जानकारी दी गई है और न ही संभावित प्रभावों के बारे में बताया जा रहा है। भूरिया का कहना था कि इलाके के अधिकांश आदिवासी अपनी जमीन और जंगल छोड़ना नहीं चाहते लेकिन फिर भी प्रशासन उनकी राय सुने बिना ही कदम उठा रहा है।
भूरिया ने भारी पुलिस तैनाती पर आपत्ति जताते हुए कहा कि अगर यही सतर्कता दिल्ली में दिखाई देती तो वहां विस्फोट जैसी घटनाओं को रोका जा सकता था। उनका आरोप है कि पुलिस को आम लोगों और मीडिया को कटाई स्थल से दूर रखने के लिए लगाया गया है। उन्होंने बताया कि खुद उन्हें भी मुख्य रास्तों से रोका गया और बीच जंगल के रास्ते से होकर कटाई स्थल तक पहुंचना पड़ा।
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इस काम के लिए अनुमती हुई है
दैनिक भास्कर की खबर अनुसार सिंगरौली कलेक्टर गौरव बैनल का कहना है कि पेड़ कटाई और कोल ब्लॉक से जुड़े सभी काम पूरी तरह कानूनी हैं। उनके अनुसार परियोजना के लिए जरूरी पर्यावरण अनुमति पहले से उपलब्ध है और संबंधित कोल ब्लॉक को विधिवत मंजूरी दी गई है। उन्होंने दावा किया कि पूरा काम तय नियमों के मुताबिक ही चल रहा है। उन्होंने कहा है कि “इसके लिए पर्यावरण संबंधी अनुमति मौजूद है और कोल ब्लॉक अधिकृत है। सभी कार्यवाही नियमों के अनुसार की जा रही है।”
दैनिक भास्कर के अनुसार देवसर के विधायक राजेंद्र मेष्राम ने कांग्रेस के आरोपों को पूरी तरह राजनीतिक करार दिया। उनका कहना है कि कांग्रेस के पास अब कोई ठोस मुद्दा नहीं बचा इसलिए वह विकास कार्यों में बाधा डालने की कोशिश कर रही है। मेष्राम ने यह भी पूछा कि जब कांग्रेस की सरकार थी तब एनटीपीसी और एनसीएल जैसे बड़े प्रोजेक्ट शुरू हुए थे उनके विरोध में उस समय पार्टी ने कोई कदम क्यों नहीं उठाया?
इस विषय पर कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने भी सोशल मीडिया एक्स अकाउंट पर पोस्ट कर लिखा है कि “हमने मध्य प्रदेश के धीरौली में मोदानी एंड कंपनी द्वारा कोयला खदान के लिए जंगलों की कटाई में की गई प्रक्रियागत चूक का मुद्दा उठाया था। अब खबरें आ रही हैं कि भारी पुलिस बल की मौजूदगी में गाँव में बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई शुरू हो गई है। स्थानीय ग्रामीणों को वन क्षेत्र में जाने से रोक दिया गया है और बाहरी लोगों को प्रवेश से वंचित कर दिया गया है। मध्य प्रदेश आदिवासी कांग्रेस के अध्यक्ष रामू टेकाम को यह मुद्दा उठाने के लिए गिरफ्तार कर लिया गया है। यह एक पर्यावरणीय त्रासदी है और स्थानीय आदिवासी जनजातियों के लिए एक सामाजिक और आर्थिक आपदा है, जो अपनी आजीविका के लिए जंगलों पर निर्भर हैं।”
We had raised the issue of the procedural short-circuiting that Modani and Co have committed in Dhirauli Madhya Pradesh to cut down forests for a coal mine. Reports have now emerged that large-scale tree felling has begun in the village under heavy police presence. Local… https://t.co/WViApBXu4d
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) November 25, 2025
गिरफ़्तारी भी हुई
Deccanherald की खबर अनुसार कांग्रेस के महासचिव और संचार प्रभारी जयराम रमेश ने आरोप लगाया कि पार्टी पहले ही धीरौली में मोदानी ऐंड कंपनी द्वारा कोयला खदान के लिए की जा रही जंगल कटाई और प्रक्रियागत गड़बड़ियों की ओर ध्यान दिला चुकी है। उनका कहना है कि अब गांव में भारी पुलिस मौजूदगी के बीच बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई शुरू हो चुकी है। रमेश के अनुसार स्थानीय लोगों को वन क्षेत्र में जाने नहीं दिया जा रहा और बाहर से आने वालों को भी रोक दिया गया है। उन्होंने यह भी बताया कि इस मुद्दे को उठाने पर मध्य प्रदेश आदिवासी कांग्रेस के अध्यक्ष रामू टेकाम को गिरफ्तार कर लिया गया है।
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जयराम रमेश ने अपने पुराने आरोपों की याद दिलाते हुए कहा कि सितंबर में भी उन्होंने चेताया था कि सरकारी और वन भूमि पर हो रही पेड़ों की कटाई वन अधिकार अधिनियम का गंभीर उल्लंघन है। उनका कहना है कि जिस कोयला ब्लॉक को 2019 में आवंटित किया गया था उसे 2025 में बिना ज़रूरी कानूनी मंजूरियों के आगे बढ़ाया जा रहा है जबकि ऐसी परियोजनाओं के लिए कई तरह की स्वीकृतियां अनिवार्य होती हैं।
दूसरी ओर मध्य प्रदेश सरकार ने इन सभी आरोपों को खारिज कर दिया है। सरकार का कहना है कि हर प्रक्रिया नियमों के अनुसार पूरी की गई है और धीरौली कोयला खदान के लिए केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की दूसरी चरण की अंतिम मंजूरी भी मिल चुकी है। केंद्र सरकार ने भी कांग्रेस के दावों को गलत बताया। पिछले सप्ताह जारी बयान में पर्यावरण मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि परियोजना को पहला और दूसरा—दोनों चरणों की मंजूरी विधिवत दी गई थी और पांचवीं अनुसूची के क्षेत्रों से जुड़े संवैधानिक प्रावधानों के उल्लंघन का दावा “तथ्यात्मक रूप से गलत और भ्रामक” है।
बता दें अडानी समूह ने कांग्रेस पार्टी के नवीनतम आरोपों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।
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