डिंडोरी जिले के लालपुर गांव में जमीनी विवाद के चलते 31 अक्टूबर 2024 को एक आदिवासी परिवार पर हिंसक हमला हुआ। हमले में रोशनी मरावी के पति और ससुर की मौत हो गई जबकि उनके देवर गंभीर रूप से घायल हो गए। अस्पताल में उन्हें किसी तरह उपचार के लिए लाया गया और फिर एक असंवेदनशील घटना घटी जिसमें गर्भवती रोशनी से ही अस्पताल का खून से सना बिस्तर साफ़ करवाया गया। इस घटना के वीडियो के वायरल होते ही अस्पताल प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल उठने लगे।
मध्य प्रदेश के डिंडोरी जिले में एक आदिवासी महिला, रोशनी मरावी से अस्पताल का बिस्तर साफ कराने की दुखद और असंवेदनशील स्थिति को दर्शाती है जिसने एक बार फिर हमारे सरकारी संस्थानों की खामियों पर ध्यान खींचा है। इस प्रकरण में कई स्तरों पर असंवेदनशीलता, प्रशासनिक विफलता और इंसानियत की कमी स्पष्ट रूप से सामने आई है जो कि केवल इस क्षेत्र विशेष तक सीमित न रहकर भारतीय समाज और प्रशासन की व्यापक तस्वीर को प्रस्तुत करती है।
घटना का संक्षेप में विवरण
डिंडोरी जिले के लालपुर गांव में जमीनी विवाद के चलते 31 अक्टूबर 2024 को एक आदिवासी परिवार पर हिंसक हमला हुआ। हमले में रोशनी मरावी के पति और ससुर की मौत हो गई जबकि उनके देवर गंभीर रूप से घायल हो गए। अस्पताल में उन्हें किसी तरह उपचार के लिए लाया गया और फिर एक असंवेदनशील घटना घटी जिसमें गर्भवती रोशनी से ही अस्पताल का खून से सना बिस्तर साफ़ करवाया गया। इस घटना के वीडियो के वायरल होते ही अस्पताल प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल उठने लगे।
प्रशासनिक जवाबदेही और विफलता
अस्पताल का यह कथित व्यवहार अधिकारियों की असंवेदनशीलता और प्रशासनिक विफलता को उजागर करता है। चिकित्सा सुविधाओं का उद्देश्य पीड़ितों की देखभाल करना और सहानुभूति दिखाना है खासकर उन लोगों के प्रति जो शारीरिक और मानसिक संकट में होते हैं। लेकिन अस्पताल में जिस तरह से रोशनी को उस बिस्तर को साफ़ करने के लिए कहा गया जहां उनके पति की जान चली गई। यह एक अमानवीय व्यवहार को दर्शाता है। अस्पताल ने दावा किया कि यह रोशनी की अपनी इच्छा थी परंतु इस तरह की परिस्थिति में एक गर्भवती महिला से काम करवाना प्रशासन की संवेदनहीनता का ही परिणाम है।
समाज में आदिवासियों के प्रति उपेक्षा
यह घटना विशेष रूप से आदिवासी समुदाय के प्रति होने वाली उपेक्षा को दिखाती है। मध्य प्रदेश में आदिवासी समुदाय एक बड़ा हिस्सा है लेकिन उनके प्रति होने वाला व्यवहार अक्सर अन्यायपूर्ण और अपमानजनक होता है। इस घटना में भी एक आदिवासी महिला को उसके पति की लाश के पास ही सफाई करने के लिए मजबूर करना उनके प्रति सरकारी और स्वास्थ्य संस्थानों की लापरवाही और अमानवीयता को दिखाता है।
स्वास्थ्य सेवाओं में संवेदनशीलता की कमी
यह घटना भारतीय स्वास्थ्य तंत्र में संवेदनशीलता की कमी की गवाही देती है। एक गर्भवती महिला जो मानसिक और भावनात्मक रूप से त्रस्त है उससे इस प्रकार का काम करवाना न केवल अमानवीय है बल्कि यह मेडिकल एथिक्स के खिलाफ भी है। स्वास्थ्य सेवा में काम करने वाले लोगों के लिए संवेदनशीलता और सहानुभूति आवश्यक है खासकर ऐसे मामलों में जहां कोई अपने प्रियजन को खो चुका हो। प्रशासन ने बाद में दो नर्सिंग स्टाफ को निलंबित कर दिया लेकिन यह कार्यवाही इस घटना के मूल कारणों को संबोधित करने में अपर्याप्त प्रतीत होती है।
राजनीतिक प्रतिक्रिया और आरोप-प्रत्यारोप
इस घटना ने राजनीतिक पार्टियों को भी आलोचना का मौका दिया। कांग्रेस ने इसे भाजपा सरकार की विफलता का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि प्रदेश में आदिवासी समाज के प्रति असंवेदनशीलता और प्रशासनिक विफलता सामान्य हो गई है। इस प्रकार की प्रतिक्रियाओं से यह बात सामने आती है कि हमारे समाज में राजनीति और प्रशासनिक तंत्र का कितना अहम योगदान है और दुर्भाग्य से इसे सुधारने के बजाय राजनीतिक लाभ लेने की कोशिशें होती हैं।
न्याय और सहायता का अभाव
घटना के बाद रोशनी मरावी का बयान यह बताता है कि उनके परिवार के पुरुष सदस्य या तो मारे गए या घायल हैं, और उनके पास अब परिवार के भरण-पोषण के लिए कोई सहारा नहीं बचा है। वह आर्थिक और सामाजिक सहायता के लिए सरकार की तरफ देख रही है। इस प्रकार की घटनाओं में, सरकार को पीड़ित परिवारों के लिए त्वरित सहायता प्रदान करनी चाहिए और सुनिश्चित करना चाहिए कि उनके साथ न्याय हो।
इस घटना से कई महत्वपूर्ण प्रश्न उठते हैं जिनका उत्तर ढूंढना हमारे समाज और प्रशासन दोनों के लिए आवश्यक है। एक आदिवासी गर्भवती महिला के साथ हुई इस घटना ने हमारे स्वास्थ्य तंत्र और प्रशासनिक व्यवस्था की कमजोरियों को उजागर किया है। प्रशासनिक लापरवाही, स्वास्थ्य सेवाओं में संवेदनशीलता की कमी आदिवासी समाज के प्रति समाज की उपेक्षा और राजनीतिक वर्ग की प्रतिक्रिया इन सभी पहलुओं को समझने और सुधारने की जरूरत है।
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