सुप्रीम कोर्ट ने एमपी सरकार को फटकार लगाते हुए कहा है कि अगर उनके आदेशों के अनुसार त्रिस्तरीय चुनाव की प्रक्रिया नहीं होती है तो राज्य में चुनाव को कुछ समय के लिए टाला भी जा सकता है।
मध्यप्रदेश। 17 दिसंबर को हुई सुनवाई में कोर्ट ने मध्यप्रदेश सरकार और राज्य निर्वाचन आयोग को फटकार लगाते हुए एमपी त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव (पंच, सरपंच और जिला पंचायत) को टालने का आदेश दिया है। अब इस मामले में अगली सुनवाई 27 जनवरी 2022 को होगी। अदालत का कहना था कि अगर चुनाव आदेश अनुसार सामान्य सीटों से लड़े जाएंगे तो चुनाव में कोई बाधा नहीं है। वहीं अगर चुनाव ओबीसी आरक्षण के तहत करवाए जायेंगे तो चुनाव को रद्द भी किया जा सकता है। आपको बता दें, जहां-जहां ओबीसी सीटों से फॉर्म भरे गए हैं, वहां चुनाव को रोक दिया गया है।
ये भी देखें – वाराणसी: इस चुनाव रास्ता दें और वोट लें – बोले ग्रामीण
ओबीसी सीट से क्यों नहीं लड़ सकते चुनाव?
न्यायालय ने स्थानीय निकायों में ओबीसी सीटों के संबंध में मध्य प्रदेश राज्य चुनाव आयोग द्वारा ज़ारी 4 दिसंबर, 2021 की चुनाव अधिसूचना पर रोक लगाने की मांग करने वाले एक विविध आवेदन पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया है। जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस सीटी रविकुमार की बेंच ने चुनाव आयोग को सामान्य वर्ग के लिए सीटों को फिर से अधिसूचित करने का भी निर्देश दिया।
जस्टिस खानविलकर और जस्टिस सीटी रविकुमार की बेंच ने कहा- “मध्य प्रदेश में स्थानीय निकाय चुनावों की अधिसूचना में ओबीसी के लिए 27% सीटों को आरक्षित रखा गया है। यह आरक्षण महाराष्ट्र के संबंध में हाल ही में आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ है। हम राज्य निर्वाचन आयोग को निर्देश देते हैं कि वह सभी स्थानीय निकायों में ओबीसी सीटों के लिए आरक्षित चुनाव प्रक्रिया पर रोक लगाए। उन सीटों को सामान्य वर्ग के लिए दोबारा नोटिफाई किया जाए।”
जानिए क्या है ओबीसी सीट से फॉर्म भरने वाले सरपंच का कहना?
खबर लहरिया ने ओबीसी की सीटें रद्द किये जाने के फैसले को लेकर छत्तरपुर जिले के गांव महेबा के सरपंच रानू सिंह यादव से बात की। इन्होंने चुनाव में ओबीसी सीट से अपना नामंकन किया था। उन्होंने बताया कि जब वह 18 दिसंबर को फॉर्म देने गए थे तो उनका फॉर्म नहीं लिया गया। यह कहा गया कि पिछड़े वर्ग के सीटों से चुनाव नहीं लड़े जाएंगे। वह कहते हैं कि यह सब तो बड़े स्तर की राजनीति है। अब तो वह बस कोर्ट के फैसले का इंतज़ार कर सकते हैं कि ओबीसी सीट से चुनाव कब होगा। उनके यहां तो अधिकतर वार्ड पिछड़े वर्ग के हैं।
आरक्षण प्रक्रिया के बाद होगा चुनाव
मिली जानकारी के अनुसार, चुनाव निर्णय आरक्षण सुधार प्रक्रिया पूर्ण होने के बाद ही किया जाएगा। जहां-जहां पिछड़ा वर्ग सीटों पर आरक्षण की घोषणा की गई थी उन सीटों को अब सामान्य श्रेणी में लाकर अधिसूचना ज़ारी करने को कहा गया है। जिससे प्रत्याशियों एवं समर्थकों के चेहरों पर मायूसी छा गयी है।
यह है मामला
यह फैसला मनमोहन नागर बनाम मध्य प्रदेश राज्य निर्वाचन आयोग मामले में आया है। याचिकाकर्ताओं ने मध्य प्रदेश ऑर्डिनेंस नंबर 14/2021 मध्य प्रदेश पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज (संशोधन) अधिनियम 2021 को चुनौती दी थी। इसमें मध्य प्रदेश में पंचायत चुनावों में आरक्षण और परिसीमन को लेकर प्रावधान किए गए थे। कांग्रेस नेता सैयद जाफर, जया ठाकुर एवं अन्य ने अपनी याचिका में कहा है कि अध्यादेश पंचायत चुनाव अधिनियम की मूल भावना के विपरीत है। यह संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन करता है। यह रोटेशन व्यवस्था के खिलाफ है। इस वजह से अध्यादेश को रद्द किया जाए।
कोर्ट के आदेश के बाद निराश दिखाई दिए चेहरें
राज्य में नामांकन प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। नामांकन तिथि के छठे दिन, विकासखंड अजयगढ़ के अंतर्गत तहसील कार्यालय अजयगढ़ में रिपोर्टिंग ऑफिसर द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, जनपद सदस्यों के कुल 44 फ़ॉर्म जमा किए गए हैं। अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद पंचायत चुनाव को लेकर क्षेत्र की जनता में खलबली मची हुई है। जहां लोग यह सुनकर खुश हो रहे थे और तैयारियों में जुट गए थे कि अब उनके यहां का पंचायत चुनाव आने वाला है। प्रचार-प्रसार भी गुपचुप होने लगा था क्योंकि यह तो सब जानते हैं कि चुनाव की तैयारियां लोग कितनी उत्सुकता के साथ करते हैं।
हमने भी कवरेज के दौरान देखा कि एमपी में पंचायत चुनाव आने वाले हैं तो क्या चल रहा है। हां, भले ही यूपी जैसी तैयारी वहां पर समझ में नहीं आई थी लेकिन फिर भी चुनाव की तैयारियां चल रही थी। लोग अपना नेता चुनने के लिए उत्सुक हो रहे थे। लोग खुद में अपनी मजबूती बना रहे थे कि वह किस तरह का नेता चुनेंगे और कैसे उससे काम करवाएंगे लेकिन इस आदेश के बाद लोग मायूस होते नज़र आये।
ये भी देखें – चित्रकूट: सड़क और पुल नहीं बना तो होगा चुनाव बहिष्कार-ग्रामीण
समितियां चुनाव को लेकर करती हैं लोगों को जागरूक
सामाजिक कार्यकर्ता अमित भटनागर ने कहा, अगर चुनाव कुछ समय के लिए टल जाए तो बेहतर है। इससे उन्हें लोक समितियों को मज़बूत करने का मौका मिलेगा। इस समय बीजेपी और बसपा सब बहुत बातें बोल रहीं हैं। ऐसे में लोगों के मन में भी गलत अवधारणाएं बन जाती है। जिससे लोग गलत फैसले ले लेते हैं। ऐसे में समितियां लोगों को उनके अधिकारों के बारे में बताती हैं। इससे लोग जागरूक हो पाएंगे और जान पाएंगे कि वह किस तरह का नेता चुनें।
फिलहाल कोर्ट ने आदेश कर दिया है कि पहले की तरह ही कार्य हो, ओबीसी आरक्षण चुनाव नहीं होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने आयोग से कहा, “आग से खेलने की कोशिश न करें”
सुप्रीम कोर्ट ने मध्यप्रदेश में पंचायत चुनाव को लेकर ओबीसी आरक्षण लागू करने पर शुक्रवार, 17 दिसंबर को रोक लगा दी है। जस्टिस ए.एम खानविलकर की पीठ ने कहा कि, “आप किसी राजनीतिक दबाव में आकर हमारे आदेश के खिलाफ काम नहीं कर सकते। आप आग से खेलने की कोशिश ना करें, आपको स्थिति समझनी चाहिए। आयोग का रवैया अगर ज़िम्मेदाराना है तो हम मध्य प्रदेश में नया प्रयोग होते नहीं देखना चाहते, जो महाराष्ट्र मामले में तय हुआ वही करें। चुनाव संविधान के अनुसार कराइये। अगर हमारा आदेश नहीं माना गया तो पंचायत चुनाव रद्द भी किए जा सकते हैं।”
जस्टिस खानविलकर और जस्टिस सिटी रवि कुमार की बेंच के समक्ष याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ वकील विवेक तन्खा ने कहा, “उन्होंने मप्र हाई कोर्ट का दरवाज़ा भी खटखटाया था लेकिन सुनवाई की जनवरी वाली तारीख नहीं बदली गई।”
जस्टिस खानविलकर ने कहा हम आपकी याचिका के निपटारे के बाद चुनाव परिणाम घोषित करने का आदेश ज़ारी करेंगे। हमने महाराष्ट्र में पंचायत चुनाव में हाल ही में ओबीसी आरक्षण रद्द किया है। सभी चुनाव हमारे फैसले के अधीन होंगे। अगर कोई ऐसा नहीं करता है तो वह न केवल असंवैधानिक है बल्कि अदालत के आदेशों की अवहेलना भी है। मध्य प्रदेश सरकार की ओर से वकील मनिंदर सिंह ने कहा, हाई कोर्ट मामले की सुनवाई 21 जनवरी को की जायेगी।
ट्रिपल टेस्ट की पूर्ति के बिना नहीं होगा ओबीसी आरक्षण लागू
जस्टिस निवाली खानविलकर ने मात्र राज्य निर्वाचन आयोग से कहा, “हमने महाराष्ट्र निकाय चुनाव को लेकर जो आदेश दिया वह मध्यप्रदेश में भी लागू होगा। आप महाराष्ट्र निकाय चुनाव वाले मामले में पक्षकार हैं। ट्रिपल टेस्ट की पूर्ति के बिना ओबीसी आरक्षण लागू नहीं हो सकता। ऐसा हो रहा है तो उसे ठीक करें। आपको कठिनाइयां हैं तो हमें बताएं, हम पूरा चुनाव रोक सकते हैं। राज्य जो बता रहा है उस पर ना जाएं। हम नहीं चाहते कि आयोग किसी और के इशारों पर काम करें। देश में एक संविधान है और एक सुप्रीम कोर्ट है। आपको उसका पालन करना होगा। अगर आप अपने आपको नहीं सुधरेंगे तो हम आप पर अवमानना की कार्यवाही करेंगे। इसे ठीक करें अन्यथा चुनाव खतरे में पड़ जाएंगे।”
कोर्ट ने आयोग को निर्देश दिया है कि वह ओबीसी सीटों को सामान्य वर्ग की सीटों में बदलने की अधिसूचना जारी करें अब इस मामले में अगली सुनवाई 27 जनवरी को होगी।
एमपी त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव प्रक्रिया के दौरान जिला पंचायतों के सदस्यों के कुल 155 पद, जनपद पंचायतों के 1,273 सदस्य, 4,058 सरपंचों और पंच के 64,353 पद ओबीसी के लिए आरक्षित किए गए थे।
4 दिसंबर को, एसईसी ने मप्र में 52 जिलों में जिला पंचायतों के 859 पदों, 313 जनपद पंचायतों के तहत 6,727 पदों, 22,581 ग्राम पंचायतों के सरपंचों और पंच सदस्यों के 3,62,754 पदों के लिए 6 जनवरी, 28 जनवरी और 16 फरवरी को तीन चरणों में मतदान की घोषणा की थी।
हमने जनपद पंचायत पद के लिए नामंकन भरने गए लोगों से भी बात की लेकिन उन्हें अदालत के फैसले के बारे में कुछ भी मालूम नहीं था। अधिकतर लोगों को सरकार के फैसले की असल वजह ही नहीं पता थी। अदालत ने बस यह कह दिया कि ओबीसी सीट पर चुनाव उनके आदेशों से विपरीत है लेकिन क्यों अलग है इसकी स्पष्ट जानकारी अभी भी लोगों को नहीं पता है।
इस खबर की रिपोर्टिंग गीता देवी द्वारा की गयी है।
ये भी देखें – वाराणसी : वाह रे! चुनावी पैंतरा अधूरे काम का भी हुआ उद्घाटन
(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)