दीपावली पर सफाई और घर सजाने के बाद लोग खुद को सजाने की तैयारी भी करते हैं। नए कपड़े और चप्पल खरीदना इस त्योहार का अहम हिस्सा होता है। यही कारण है कि बाजारों में इन दिनों जबरदस्त रौनक दिखाई देती है।
रिपोर्ट- आलीमा, लेखन – कुमकुम
दीपावली पर घरों की सफाई के बाद सजावट की तैयारी शुरू हो जाती है। लोग गेंदे, गुलाब और अन्य फूलों की मालाओं से घरों को सजाते हैं, जिससे घर महकते और सुंदर दिखते हैं। फूलों की दुकानों पर खास उत्साह नजर आता है। छतरपुर के दुकानदार राहुल माली बताते हैं कि दीपावली पर फूलों की माला की खूब बिक्री होती है, इतनी कि हमें पूजा करने तक का समय नहीं मिलता। साल के बाकी दिनों में इतनी बिक्री नहीं होती, इसलिए हमें अतिरिक्त मजदूरों से माला बनवानी पड़ती है। दीपावली पर खरीदार भी बड़े उत्साह से फूल खरीदते हैं। खासकर फूलों के गजरे और मालाएं घर की सजावट में अलग ही रौनक बिखेर देती हैं।
दीपावली पर सफाई और घर सजाने के बाद लोग खुद को सजाने की तैयारी भी करते हैं। नए कपड़े और चप्पल खरीदना इस त्योहार का अहम हिस्सा होता है। यही कारण है कि बाजारों में इन दिनों जबरदस्त रौनक दिखाई देती है।
रंग-बिरंगी साड़ियों से सजी दुकानों पर ग्राहकों की भीड़ लगी रहती है। महिलाएं खासतौर पर गहरे रंगों की साड़ियां खरीदना पसंद करती हैं। बाजार में आईं मालती अहिरवार बताती हैं कि वे हर साल दीपावली की शॉपिंग के लिए यहीं आती हैं। उन्हें खासकर प्लेन और गहरे रंगों की साड़ियां पसंद हैं।साल भर में यही एक त्योहार होता है जिसका हम बेसब्री से इंतजार करते हैं। चाहे पैसे हों या न हों, हम थोड़ा-थोड़ा बचाकर बच्चों के लिए कपड़े और अपने लिए साड़ियां जरूर खरीदते हैं।
दीपावली पर घरों की सजावट लाइटों के बिना अधूरी मानी जाती है। इस समय बाजारों में अलग-अलग तरह की रंग-बिरंगी झिलमिलाती झालर बिक रही हैं। दुकानों और फुटपाथों पर ग्राहकों की भारी भीड़ देखने को मिल रही है।
फुटपाथ पर लाइट बेच रहे अच्छे लाल बताते हैं कि वे यह लाइटें दूर से खरीदकर लाए हैं और दीपावली पर बेचते हैं। इससे जो कमाई होती है, उसी से वे अपने बच्चों के लिए नए कपड़े और पटाखे खरीदते हैं। उनके दो छोटे बच्चे हैं और उम्र के कारण वे कोई और मेहनत का काम नहीं कर पाते, इसलिए दीपावली पर लाइट बेचकर ही घर का खर्च चलाते हैं।जैसे हमारी लाइट लोगों के घरों को जगमगाती है, वैसे ही उससे कमाए पैसे से हमारा घर भी रोशन होता है।
बाजार में रंग-बिरंगी लाइटें 50 से 60 रुपये तक में उपलब्ध हैं। इन्हें लगाने से घर पूरी तरह जगमगाने लगते हैं और त्योहार की रौनक दोगुनी हो जाती है।
दीपावली पर कुम्हारों की खास तैयारी
दीपावली पर कुम्हारों के यहां खास रौनक रहती है। वे इस मौके पर मिट्टी के दिए और तरह-तरह के खिलौने बनाते हैं। खासकर राधा रानी जैसी मिट्टी की मूर्तियां, जिनमें हाथ में दिया लगा होता है, बच्चों को बहुत पसंद आती हैं।
डाकखाने चौराहे पर दुकान लगाने वाली शांति बाई बताती हैं कि तेज धूप के बावजूद वे हर साल यहां दुकान लगाती हैं। दिए के साथ-साथ मिट्टी के खिलौनों की भी अच्छी बिक्री होती है। बच्चों की खास मांग रहती है कि वे वही खिलौना जरूर लाएं, जिसमें महिला के सिर पर दिया और हाथों में दीपक होते हैं। ये खिलौने दीपावली पर ही मिलते हैं। बच्चे इन्हें खरीदकर उसमें दिया जलाते हैं और खेलते भी हैं। इसकी कीमत लगभग 50 रुपये में दो खिलौने है और यह बहुत बिकते हैं।
दीपावली नजदीक आते ही बाजारों में रौनक बढ़ गई है। जगह-जगह दीपों के ढेर सजे हैं। तस्वीरों में दिख रहे राजेश यादव दीपों को अलग-अलग कर बेचने की तैयारी कर रहे हैं। उनका कहना है कि हम दीपों का एक सैकड़ा 150 रुपये में बेच रहे हैं। दीपावली के दिन इतनी भीड़ होती है कि दीप मिलना भी मुश्किल हो जाता है। हम लोग कई दिन पहले से इन्हें बनाने की तैयारी शुरू कर देते हैं। इस दिन का हमें बेसब्री से इंतजार रहता है, क्योंकि दीपावली पर सबसे ज्यादा दीप ही बिकते हैं।
दीपावली का असली अर्थ केवल घर सजाना नहीं, बल्कि मन को भी रोशन करना है। लोग मानते हैं कि जैसे घर की सफाई जरूरी है, वैसे ही मन की सफाई भी उतनी ही अहम है।
आज भले ही समय बदल गया हो ऑनलाइन खरीदारी, डिजिटल लाइटें और सोशल मीडिया की शुभकामनाएं आम हो गई हों—लेकिन दीपावली की असली खुशी सादगी में ही है। पहले लोग घर-घर जाकर शुभकामनाएं देते थे, मिल-बैठकर त्योहार मनाते थे। अब जमाना बदल गया है, लेकिन दीपावली का संदेश वही है अंधकार से प्रकाश की ओर बढ़ना।
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