लोकसभा चुनाव को लेकर एमपी में कांग्रेस के कैंपेन की बागडोर कमलनाथ व दिग्विजय सिंह के हाथों में रहेगी। वहीं पूर्व व वर्तमान मुख्यमंत्री की भाजपा जोड़ी शिव राज सिंह चौहान व मोहन यादव राज्य के सभी सीटों पर निशाना साधने का काम करेंगे।
लोकसभा चुनाव 2024: मध्यप्रदेश की 29 लोकसभा सीटों पर साल 2004 के लोकसभा चुनाव से लेकर 2019 तक भाजपा का दबदबा रहा है। वहीं कांग्रेस इस दौरान बिलकुल धरातल पर नज़र आई है। 2014 में भाजपा ने 27 सीटें तो वहीं 2019 में 28 सीटें हासिल की थी। इसका मतलब है कि कांग्रेस के हाथों सिर्फ एक या दो सीटें ही लगीं।
यह हार सिर्फ लोकसभा चुनावो में ही नहीं बल्कि एमपी विधानसभा चुनावों में भी लगातार देखने को मिली। सिर्फ 2018 का साल ऐसा रहा जिसमें कांग्रेस को भाजपा से अधिक विधानसभा सीटें प्राप्त हुई थीं।
लोकसभा चुनाव: भाजपा-कांग्रेस के बीच 2004 से 2019 के बीच आमना-सामना
2004 से 2019 के बीच अगर चुनाव आयोग द्वारा ज़ारी आंकड़ों पर नज़र डाली जाए तो यह साफ़ नज़र आता है कि भाजपा किस तरह से कांग्रेस को साल दर साल हराते हुए आई है। 2004 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को 25 सीटें, कांग्रेस को 4 सीटें मिली। 2009 के लोकसभा चुनाव में 16 भाजपा को व 12 कांग्रेस को, 2014 के लोकसभा चुनाव में 27 सीटें भाजपा के पास, वहीं दो सीटें कांग्रेस के पास रही। 2019 के लोकसभा चुनाव में तो कांग्रेस सिर्फ एक ही सीट जीत पाई। वहीं 29 में से 28 सीटें भाजपा ने बहुमत के साथ जीती।
विधानसभा चुनाव: भाजपा-कांग्रेस के बीच 2008 से 2023 के बीच आमना-सामना
अगर 2008 से 2023 के विधानसभा चुनावों को देखा जाए तो यहां भी भाजपा ही आगे रही है। पर हाँ, यहां कांग्रेस कई जगहों पर भाजपा को कड़ी टक्कर देते हुए दिखी तो कहीं उससे आगे भी निकली और वह साल था 2018 का। चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, साल 2008 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा को 143, कांग्रेस को 71 सीट, 2013 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा को 165 सीटें, कांग्रेस को 58 सीट, 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को 109 सीट, कांग्रेस को 114 सीटें व अभी पिछले साल 2023 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा को 163 व कांग्रेस को 66 सीटें मिलीं।
भाजपा-कांग्रेस का चुनावी कैंपेन व निशाना
टाइम्स ऑफ़ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, इस बार बीजेपी के लिए जो सबसे बड़ी चुनौती रहेगी वह छिंदवाड़ा सीट को लेकर रहेगी। ऐसा इसलिए क्योंकि 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में बस एक यही अकेली सीट थी जो भाजपा के हाथ नहीं आई थी। जानकारी के अनुसार, छिंदवाड़ा कांग्रेस के सीनियर नेता व राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ का गढ़ रहा है। इस सीट से कांग्रेस ने कमलनाथ के बेटे नकुल नाथ को उतारा था।
रिपोर्ट यह भी बताती है कि इस सीट से कमलनाथ को सिर्फ 1997 में ही हार का सामना करना पड़ा था।
इस बार भाजपा ने छिंदवाड़ा सीट को भी अपने कब्ज़े में करने के लिए विवेक ‘बंटी’ साहू को इस सीट से खड़ा किया है। साहू का मुकाबला बाप-बेटे की जोड़ी से रहेगा। बता दें, 2023 में हुए विधानसभा चुनाव में बंटी साहू और कमलनाथ के बीच बेहद ही करीबी जंग देखने को मिली थी। यहां कमलनाथ 36594 मतों से जीत गए थे।
छिंदवाड़ा सीट से पहले चरण में 19 अप्रैल को मतदान किया जाएगा।
कांग्रेस की बात करें तो राज्य में कैंपेन की बागडोर कमलनाथ व दिग्विजय सिंह के हाथों में रहेगी। वहीं पूर्व व वर्तमान मुख्यमंत्री की भाजपा जोड़ी शिव राज सिंह चौहान व मोहन यादव राज्य के सभी सीटों पर निशाना साधने का काम करेंगे।
अब इस लोकसभा चुनाव 2024 में यह सवाल सामने आ रहा है कि क्या कांग्रेस एमपी में आ पाएगी? या फिर इस बार भी कुछ गिनी-चुनी सीटों के साथ ही उन्हें अगले चुनाव तक फिर इंतज़ार करना पड़ेगा। कौन हार का बदला लेगा और फिर से किसके माथे पगड़ी होगी, सब बस सवाल है!
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