सरकार द्वारा दिए गए आँकड़ों से पता चलता है कि 2020 के बाद से हर वर्ष मामलों में वृद्धि दर्ज हुई है 2021 में 436, 2022 में 519, 2023 में 528 और 2024 में 529 मामले सामने आए। बता दें ये आंकड़े पूर्व मंत्री और तीन बार के कांग्रेस विधायक जयवर्धन सिंह द्वारा उठाए गए एक सवाल के जवाब में प्रस्तुत किए गए
मध्य प्रदेश में नाबालिग लड़कियों की शादी रोकने के लिए चलाए जा रहे अभियानों और सरकारी दावों के बावजूद हालात सुधरने की जगह और चिंताजनक होते दिख रहे हैं। मध्य प्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान पेश किए गए ताज़ा आंकड़े बताते हैं कि पिछले छह सालों में प्रदेश में बाल विवाह लगातार बढ़े हैं। 2025 में अब तक 538 मामलों के दर्ज होने के साथ यह संख्या 2020 की तुलना में करीब 47 प्रतिशत ज्यादा हो गई है।
सरकार द्वारा दिए गए आँकड़ों से पता चलता है कि 2020 के बाद से हर वर्ष मामलों में वृद्धि दर्ज हुई है 2021 में 436, 2022 में 519, 2023 में 528 और 2024 में 529 मामले सामने आए। बता दें ये आंकड़े पूर्व मंत्री और तीन बार के कांग्रेस विधायक जयवर्धन सिंह द्वारा उठाए गए एक सवाल के जवाब में प्रस्तुत किए गए। ये सभी वही मामले हैं जिनमें लड़की की उम्र 18 वर्ष से कम पाई गई।
कांग्रेस विधायक जयवर्धन सिंह द्वारा उठाए गए सवाल
बीते दिनों 2 दिसंबर 2025 को मध्य प्रदेश के विधानसभा सत्र में यह सवाल जवाब हुआ। विधानसभा की कार्यवाही के दौरान विधायक जयवर्धन सिंह ने सरकार से पूछा था कि मार्च 2020 से अब तक मध्य प्रदेश में 18 साल से कम उम्र की लड़कियों से जुड़े कितने बाल विवाह दर्ज किए गए हैं। उन्होंने यह भी जानना चाहा कि इन मामलों का वर्षवार और जिलेवार विवरण क्या है?
इसके साथ ही उन्होंने यह सवाल भी रखा कि प्रदेश में बाल विवाह पर रोक लगाने के लिए सरकार ने अब तक कौन-कौन से ठोस कदम उठाए हैं और जिन अधिकारियों पर निगरानी की जिम्मेदारी है उनके खिलाफ क्या कार्रवाई हुई है?
महिला एवं बाल विकास मंत्री निर्मला भूरिया द्वारा जवाब
जवाब में महिला एवं बाल विकास मंत्री निर्मला भूरिया ने बताया कि राज्य सरकार ने बाल विवाह रोकने के लिए कई स्तरों पर व्यवस्था बनाई है। सभी जिलों में बाल विवाह निषेध अधिकारी नियुक्त किए गए हैं जो इस संबंध में निगरानी का काम संभालते हैं।
उन्होंने बताया कि “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” अभियान के तहत हर महीने योजनाबद्ध तरीके से जागरूकता कार्यक्रम किए जाते हैं। खास अवसरों पर जैसे अक्षय तृतीया और देवउठनी एकादशी अभियान को और तेज किया जाता है। इन दिनों अपीलें जारी की जाती हैं और रैलियों, कार्यशालाओं, नुक्कड़ नाटकों तथा बाल चौपाल जैसी गतिविधियों के माध्यम से लोगों को जागरूक किया जाता है।
मंत्री ने यह भी बताया कि बाल विवाह रोकने के लिए जिला और ब्लॉक स्तर पर विशेष टीमें बनाई गई हैं। नियंत्रण कक्ष, सूचना समूह, उड़नदस्ते और निगरानी इकाइयाँ भी गठित की गई हैं ताकि किसी भी संदिग्ध शादी की सूचना मिलते ही तुरंत कार्रवाई की जा सके। इसके बाद इसी से संबंधित एक रिपोर्ट भी जारी की जिसमें 2020 से लेकर 2025 तक हुए बाल विवाह के आँकडें निकल कर आये।
न्यू इंडियन एक्सप्रेस की खबर अनुसार विधानसभा में महिला एवं बाल विकास (WCD) विभाग की ओर से ये आँकड़े प्रस्तुत किए जाने के बावजूद, मंत्री निर्मला भूरिया ने मीडिया से बातचीत में कहा कि उन्हें इस तरह की किसी भी खबर की जानकारी नहीं है। मंत्री भूरिया ने पत्रकारों से कहा कि विधानसभा में इस विषय पर कोई सवाल नहीं पूछा गया था और उनके पास ऐसे आँकड़ों का विवरण उपलब्ध नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि वे यह पता करेंगी कि विपक्ष को ये आंकड़े किस स्रोत से मिले। जबकि हकीकत यह है कि ये आँकड़े स्वयं सदन की आधिकारिक कार्यवाही में दर्ज हैं।
मध्यप्रदेश के जिले के वर्षवार आँकडें
| वर्ष | कुल मामले | सबसे ज़्यादा मामले | संख्या |
| 2025 (नवंबर तक) | 538 | दमोह | 115 |
| 2024 | 529 | डिंडोरी | 39 |
| 2023 | 528 | राजगढ़ | 87 |
| 2022 | 519 | दमोह | 64 |
| 2021 | 436 | दमोह | 69 |
पांच साल का आँकड़ा
मध्य प्रदेश कभी नाबालिग लड़कियों से बलात्कार के मामलों में मृत्युदंड लागू करने वाला देश का पहला राज्य बना था। एक ऐसा कदम जिसे ऐतिहासिक कड़ा फैसला माना गया। विशेषज्ञों का मानना है कि अब वही प्रतिबद्धता बाल विवाह के मामलों में भी दिखाई जानी चाहिए क्योंकि हर नया आँकड़ा एक छोटी लड़की से छीन लिए गए बचपन और टूटे भविष्य की कहानी होता है। इसलिए ज़रूरी है कि कानून का पालन और सख्ती से हो। जिम्मेदार अधिकारियों की जवाबदेही स्पष्ट हो और बच्चों की सुरक्षा के लिए ढांचा और मजबूत बनाया जाए।
कानून की बात करें तो बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 के तहत 21 वर्ष से कम उम्र के पुरुष और 18 वर्ष से कम उम्र की लड़की की शादी अवैध मानी जाती है। विवाह के दो साल के भीतर बालिग होने पर लड़का या लड़की इसे चुनौती दे सकते हैं। किसी नाबालिग की शादी करवाने पर माता-पिता, रिश्तेदारों और विवाह कराने वाले पुजारी पर कार्रवाई का प्रावधान है।
राज्य के बढ़ते आँकड़ों को देखते हुए साफ़ है कि केवल नियमों का होना काफी नहीं है उन्हें जमीन पर उतारने की वास्तविकता और दृढ़ कोशिश ज़रूरी है।
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