छतरपुर जिले के धरमपुर गांव के रहने वाले 23 वर्षीय धर्मेंद्र का कहना है कि मेरे पिता खुरचन बनाने के जाने-माने कारीगर थे। उनके निधन के बाद अब यह खुद काम कर रहे हैं।
रिपोर्ट-अलीमा , लेखन- कुमकुम
मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में खुरचन मिठाई बहुत मशहूर है। यह तस्वीर जडिया जी की दुकान की है, जहां यह खास मिठाई मिलती है। दुकानदार का कहना है कि यह मिठाई करीब 80 साल से बनायी जा रही है। पहले उनके दादा खुरचन बनाते थे और अब वे खुद यह मिठाई बनाते हैं। छतरपुर में मिठाई के नाम पर सबसे ज्यादा खुरचन को ही जाना जाता है। यह मिठाई दूध से बनती है। यह दुकान देखने में भले ही छोटी हो लेकिन मिठाई बहुत लाजवाब होती है।
यह तस्वीर खुरचन मिठाई बनाते समय की है। मिठाई बना रहे रवि सोनी है, जिनकी उम्र 25 साल है, वे छतरपुर जिले के रहने वाले हैं। रवि बताते हैं कि खुरचन मिठाई केवल दूध से बनती है उसमें चीनी बहुत कम, सिर्फ नाम के लिए डाली जाती है।
एक बार में करीब चार लीटर दूध लेते हैं और उसे तेज आंच पर लोहे की कड़ाही में पकाते हैं। जब दूध गाढ़ा होकर जमने लगता है, तो उसे धीरे-धीरे खुरचकर निकाला जाता है। इसके बाद थोड़ी-सी चीनी मिलाकर मिठाई तैयार की जाती है। एक किलो दूध से करीब 200 ग्राम मिठाई बनती है।
इस मिठाई की कीमत लगभग 600 रुपये प्रति किलो है। दूर-दूर से लोग इसे खरीदने आते हैं और जो एक बार खा लेता है, वह इसका दीवाना हो जाता है।
छतरपुर जिले के धरमपुर गांव के रहने वाले 23 वर्षीय धर्मेंद्र का कहना है कि मेरे पिता खुरचन बनाने के जाने-माने कारीगर थे। उनके निधन के बाद अब यह खुद काम कर रहे हैं। हर रोज़ सुबह अपने गांव से करीब 20 किलोमीटर दूर शहर की इस दुकान में आते हैं और मिठाई बनाने के काम में जुट जाते हैं। यह मिठाई बनाना उन्होंने अपने पिता से सीख है। रवि भावुक शब्दों में कहते हैं – “मैं सिर्फ काम नही करता हूं बल्कि पढ़ाई करता हूं। मैं सुबह सात बजे दुकान पर आकर काम करता हू और फिर कॉलेज चला जाता हूं। मेरे हिसाब से पढ़ाई के साथ-साथ हुनर भी ज़रूरी है। मिठाई बनाना भी एक हुनर है और जब वह मिठाई जिले की फेमस हो तो बात ही कुछ और होती है।”
छतरपुर शहर की एक पुरानी गली में स्थित खुरचन वाली मिठाई की दुकान जिसे लोग प्यार से ‘भैया जी की दुकान’ के नाम से जानते हैं। पिछले 85 वर्षों से ये दुकान प्रसिद्ध है इस दुकान की खुरचन न सिर्फ शहर, बल्कि दिल्ली, मुंबई, इंदौर और लखनऊ तक के लोगों को लुभा रही है।दुकानदारों के बताया कि गर्मियों में प्रतिदिन 8 से 10 किलो खुरचन बनती है। जबकि सर्दियों में यह मात्रा बढ़कर 15 से 20 किलो तक पहुंच जाती है। खुरचन बनाने की प्रक्रिया बेहद धीमी और मेहनतभरी होती है। 1 किलो दूध से केवल 200 ग्राम खुरचन तैयार होती है। दूध आसपास के कई गांवों से मंगवाया जाता है। दुकानदार ने बताया कि हमारे दुकान पर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी खुरचन का स्वाद ले चुके हैं। उन्होंने इस मिठाई की काफी तारीफ भी की थी।
60 वर्षीय रामकुमार का कहना है कि वह कई सालों से यहां की खुरचन मिठाई खाने आते हैं। “मैं जब भी खुरचन लेने आता हूं तो उसे घर ले जाने से पहले यहीं बैठकर जरूर खाता हूं फिर घर पर ले जाता हूं। मुझे दांत नहीं हैं लेकिन मिठाई खाने का शौक अभी भी वैसा ही है। मेरी बेटी की शादी हुई और वह पहली बार पग फेरे में मायके आई, तो मैंने जब अपने दामाद को खुरचन खिलाई, तो उन्होंने भी कहा कि भाई, ये तो बहुत ही अच्छी मिठाई है। अब जब भी आओ तो ये जरूर लाना। अब वो अपने गांव जाकर भी यहां की मिठाई की तारीफ करते हैं। ”शादी-ब्याह, त्यौहार या कोई खास अवसर – खुरचन की थाली के बिना छतरपुर की मिठास अधूरी मानी जाती है। बाजारों में कई दुकानें हैं जो पीढ़ियों से इस परंपरा को जीवित रखे हुए हैं, और आज भी वही देसी स्वाद बरकरार है।
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