चित्रकूट जिले में कई लोगों के आधार कार्ड नहीं बने हैं जिससे की न तो उन्हें योजनाओं का लाभ मिल रहा है और न ही मज़दूरी।
जिला चित्रकूट ब्लॉक मऊ ददरी ,खण्डेहा,ताड़ी, चदई और मानिकपुर गांव रैपुरा के रहने वाले दिलीप कुमार और उनकी पत्नी का अभी तक आधार कार्ड नही बना है। गांव ददरी के रामकिशोर का कहना है आधार कार्ड न होने से न बैंक मे खाता खुलता है न वोट दे सकते हैं। कुछ भी काम नहीं होता है। इस समय सर्वर नहीं चलता। आधार कार्ड के लिए मऊ ब्लॉक से आते हुए आज पन्द्रह दिन हो गए। रोज़ का 60 रूपये आने-जाने का किराया लगता है। पता नहीं क्यों आधार कार्ड बनवाने के समय सर्वर नहीं चलता। वह लोग पूरा दिन बैठे रहते हैं फिर चले जाते हैं।
गुड्डी देवी कहती हैं कि लॉकडाउन में सरकार ने सबके खातों में पैसे भेजे थे पर उनका तो खाता ही नहीं है। जब भी वह बैंक जाती हैं तो खाता खुलवाने के लिए आधार कार्ड माँगा जाता है। वह कई बार आधार कार्ड बनवाने के लिए कर्वी ब्लॉक गयीं। किराया-भाड़ा भी खर्च किया लेकिन फिर भी आधार कार्ड नहीं बना। आधार कार्ड न होने से उसके पति बाहर जाकर मज़दूर करते हैं। गुड्डी के परिवार में किसी का भी आधार कार्ड नहीं बना है।
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आधार कार्ड न होने से लोगों को होती परेशानियां
ब्लॉक मऊ गांव खण्डेहा से प्रभा, वियाबल से राजबली, लवेद से पप्पू, गांव सुरौधा से पवन आदि लोगों की उम्र लगभग 20 से 22 साल है। इनका भी आधार कार्ड नहीं बना है। वह कहते हैं कि जब वह प्रदेश जाते हैं तो उनसे आधार कार्ड माँगा जाता है। आधार कार्ड न होने से उन्हें कोई काम नहीं मिल पाता। वह लोग किराया लगाकर प्रदेश जाते हैं और बिना काम पाये ही वापस लौट आते हैं।
वह लोग कहते हैं कि जब भी वह लोग मऊ ब्लॉक आधार कार्ड बनवाने के लिए जाते हैं तो सर्वर नहीं चलता। आधार कार्ड न होने की वजह से वह लोग किसी भी योजना का लाभ भी नहीं उठा पाते हैं।
वह आगे कहते हैं कि वोटर आईडी आदि के कागज़ बनवाते-बनवाते वह लोग ऊब गए हैं। बैंक जाते हैं तो तारीख मिलती है फिर भी उनका नंबर नहीं आता। ये कागज़ लाओ, वो कागज़ लाओ। जब आधार कार्ड ही नहीं तो वोटर आईडी कार्ड कैसे बनें।
लोगों का कहना है कि उनका कुछ नहीं बना है इसलिए उनका कोई काम नहीं होता है। वह इस बार पंचवर्षीय वोट भी नहीं दे पाए। वह कहते हैं कि वह लोग मज़दूर हैं। अगर मनरेगा में काम भी करें तो पैसा कहां आएगा जब खाता ही नहीं खुला है। आज कल सारा काम आधार कार्ड से ही होता है। उनका कहना है कि साल 2022 का चुनाव आने वाला है। आधार कार्ड न होने की वजह से वह लोग इस बार भी वोट नहीं दे पाएंगे।
ज़्यादा लोग आने से होती है दिक्कत
मऊ बैंक के कंप्यूटर ऑपरेटर राजू का कहना है कि पता नहीं 15 दिनों से सर्वर क्यों नहीं चल रहा है। लेकिन वह एक दिन में तीस या पैंतिस लोगों के आधार कार्ड निपटाने की कोशिश करते हैं। लोग पहले दिन आते हैं तो टोकन दिया जाता है। उसमें समय व तरीख लिखा होता है। जब ज़्यादा लोग आ जाते हैं तो दिक्कत होती है।
यहां परेशानी ज़्यादा लोगों के आने से नहीं बल्कि इस बात से है कि अभी तक अधिकतर लोगों के आधार कार्ड नहीं बने हैं। जिससे की उन्हें मूल सुविधाएँ भी नहीं मिल पा रही हैं जिसमें वोट देने का अधिकार शामिल है। आधार कार्ड न होने की वजह से लोग अपने इस अधिकार का भी इस्तेमाल नहीं कर पा रहे हैं। आज जहां सरकार हर चीज़ को आधार कार्ड से लिंक कर रही है। ऐसे में वह लोग क्या करें जिनके आधार कार्ड ही नहीं बने हैं ? उनका क्या जिन्होंने आधार कार्ड बनवाने की तो बहुत कोशिश की लेकिन फिर भी बनवा नहीं पाए? आखिर इसकी ज़िम्मेदारी कौन लेगा?
इस खबर की रिपोर्टिंग सुनीता देवी द्वारा की गयी है।
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