चित्रकूट के बहिलपुरवा थाना क्षेत्र के अंतर्गत 23 अगस्त को एक 17 साल की लड़की का शव पेड़ पर लटका हुआ पाया गया। जैसे ही गांव वालों ने शव को देखा, वैसे ही पुलिस को सूचना देकर मौके पर बुला लिया गया। उसके साथ ही पुलिस ने शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भी भेज दिया।
पिता ने सामूहिक बलात्कार का लगाया आरोप
लड़की के पिता का आरोप है कि पहले उनकी बेटी के साथ सामूहिक बलात्कर किया गया और फिर उसकी हत्या की गयी। लेकिन पुलिस द्बारा बलात्कार की बात को साफ तौर पर नकार दिया गया। उनका कहना है कि पुलिस द्वारा पोस्टमॉर्टम की गलत रिपोर्ट बनाई गयी है। साथ ही पुलिस को कहने पर भी हत्या और बलात्कार की कोई रिपोर्ट नहीं लिखी गयी । यहां तक लड़की के पिता का यह भी कहना है कि उनकी बेटी के पास जो मोबाइल फ़ोन था , वह भी पुलिस द्वारा ज़ब्त कर लिया गया। जिसमें शायद कोई सबूत हो सकते हैं। लेकिन मोबाइल फ़ोन मांगने पर भी उसे फ़ोन नहीं दिया गया।
जानने वाले ने दी थी शव की खबर
मृतिका के पिता का कहना है कि उनकी बेटी 22 अगस्त से गायब थी। 23 अगस्त को उसके भाई ने फ़ोन करके बताया कि उसकी बेटी का शव किसी जानने वाले व्यक्ति के घर से कुछ दूरी पर एक पेड़ पर लटका हुआ मिला है। लड़की के पिता का कहना जब उन्होंने अपनी बेटी के शव को देखा तो उसकी दोनों जाँघें खून से सनी हुई थी, इस पर किसी धारदार हथियार के निशान थे और गर्दन की हड्डी भी टूटी हुई थी। लड़की के पिता के अनुसार शव की हालत को देखकर साफ़ पता चल रहा था कि पहले उसके साथ सामूहिक बलात्कार किया गया है और फिर उसकी हत्या की गयी है ।
लगातार मिल रही है जान से मारने की धमकी
लड़की के पिता का कहना है कि गुनाह के आरोपी गांव के ही पांच लोग लवकुश, मैकू, सोनू,लालमन और मूलचंद हैं।उनका कहना है कि आरोपियों द्वारा लगातार उन्हें जान से मारने की धमकी दी जा रही है। वो भी सिर्फ इसलिए क्योंकि वह अपनी बेटी के लिए इंसाफ की मांग कर रहे हैं। मिलती धमकियों के बावजूद पुलिस द्वारा इस पर कोई कार्यवाही नहीं की गयी है।
थाना प्रभारी के आश्वाशन के बाद भी नहीं मिला इंसाफ
23 अगस्त को ही बहिलपुरवा थाना के प्रभारी पंकज पांडेय द्वारा लड़की के पिता को यह आश्वासन दिया गया था कि सारे आरोपियों को पकड़कर उन्हें सज़ा दी जाएगी। लेकिन आरोपियों का नाम साफ़ होने के बाद भी ना तो उन्हें पकड़ा गया और ना ही उनके खिलाफ़ कोई रिपोर्ट दर्ज की गयी।
उच्च अधिकारियों से भी लगाई मदद की गुहार
जब जिला प्रशासन से भी कोई मदद मिलती नहीं दिखी तो वह 11 सितंबर को बीजेपी के प्रमुख सचिव गृह,लखनऊ, प्रयागराज के एडीजीपी, डीआईजी, चित्रकूट के एसपी आदि लोगों के पास भी इंसाफ की उम्मीद लेकर पहुंचा। लेकिन इन जगहों पर भी उसकी बात को नही सुना गया। थक–हारकर वह अदालत में इस उम्मीद से मुकदमा करता है कि शायद अब उसकी बात को सुना जाएगा। अदालत द्वारा बहिलपुरवा थाने के अधिकारी को मामले की रिपोर्ट लिखने को कहा गया, लेकिन फिर भी रिपोर्ट नहीं लिखी गयी।
जैसा कि पुलिस द्वारा लगातार कहा गया कि घटना सामूहिक बलात्कार की ना होकर सिर्फ आत्महत्या की है। तो ऐसे में यह सवाल उठता है कि अगर लड़की ने आत्महत्या की थी तो उसकी दोंनो जाँघे खून से कैसे सनी हुई थीं? दूसरा यह कि पोस्टमार्टम की रिपोर्ट में जांघ की चोट के बारे में कुछ क्यों नहीं कहा गया? और पुलिस ने पूरे मामले की रिपोर्ट क्यों नहीं लिखी? आरोपियों के नाम सामने होने पर भी उन्हें अभी तक क्यों नहीं पकड़ा गया? आरोपियों द्वारा लड़की के पिता को जान की धमकी देने पर भी सुरक्षा क्यों नहीं दी गयी?