महीनों से भूखे मजदूर मुम्बई से लखनऊ के लिए ट्रक से हुए रवाना :कोरोना की वजह से पूरे देश में अफरा तफरी मची हुई है लोगों के घर में खाने के लिए लाले पड़े हुए हैं भूखे मजदूर प्रदेश से हजारों किलोमीटर चलकर अपने गांव आ रहे हैं ताकि लोग गांव में रहकर अपना परिवार चला सके इस बीमारी से निपटने के लिए समाज सेवियों बड़े बड़े एक्टर और कुछ नेता अपनी अपनी निधि से बजट दे रहे हैं पर देखिए इस बजट का कहां पर और कैसे बंदरबांट किया जा रहा है नहीं पूरी हकीकत को जानने के लिए गांव में पहुंचे और वहां पर लोगों से जाना कि प्रधान के द्वारा किस तरह से कोरोना वायरस से निपटने के लिए सुविधाएं दी गई हैं लोगों ने बताया कि उनके यहां किसी ने भी मास्क नहीं वितरण किए हैं हालांकि कई गलियों में गंदगी थे बुजी नालियां मिली। कुछ लोगो ने तो कहा कि सफाई तो हुई है, और दवाई का भी छिड़काव हुआ है। तो वहीं पर कई लोग कह रहे थे कि दवा का भी छिड़काव नहीं किया गया है। लोग इस बीमारी से बचने के लिए अपने से मास्क खरीद रहे हैं। दूर दूर रहते है।
जब हमने प्रधान से बात की तो उन्होंने बताया कि गांव की आबादी लगभग 5 हजार होगी। और गांव में सफाई हो रही है। मच्छर मारने वाली दवाई का भी छिड़काव किया गया है। जब हमने मास्क की बात पूछी तो हवा में बोल दी। कहा कि मास्क लगभग ढाई सौ वितरण किया गया है। जो मजदूर है, और मिट्टी डालने का काम करते है। जब ये कहा गया कि इतने मजदूर है जो काम कर रहे है तो फिर कुछ गाँव मे बाटने की बात कही। पर गाँव मे किसको दिए है, इसका जवाब नही था। यह कहा गया कि लोग लगाते ही नही है।
जब इस मामले में सचिव से बात की गई और इस कोरोना से बचने के उपाय व सुविधा के बारे में पूछा तो बताया गया कि उस गाँव में सिर्फ अस्सी मास्क वित्तरन हुए है। वो भी स्वयं सहायता समूह से। ये खर्च प्रधान अपने निजी खाते से देंगे। अगर उनको जरूरत है तो वो ले सकते है। एक मास्क 13 से ज्यादा का है।
इससे साफ समझ मे आ रहा है कि ये कैसे बजट को ठिकाने लगा रहे है।