खबर लहरिया ताजा खबरें #Metoo: राज्यमंत्री द्वारा मानहानि के आरोप पर प्रिया रमानी ने कहा ‘हम नही मानेंगे हार’

#Metoo: राज्यमंत्री द्वारा मानहानि के आरोप पर प्रिया रमानी ने कहा ‘हम नही मानेंगे हार’

साभार: विकिमीडिया कॉमन्स

एम.जे. अकबर जोकि मंत्रालय के कनिष्ट मंत्री के साथ-साथ पूर्व अखबार के संपादक भी रह चुके हैं उन  पर यौन उत्पीड़न के खिलाफ एक दर्जन से अधिक महिला पत्रकारों द्वारा आरोप लगाए गए हैं।

विदेश मंत्रालय की आंतरिक शिकायत समिति (आइसीसी) अकबर के खिलाफ इन आरोपों की जांच करने में सक्षम नहीं समझी जा रही है क्योंकि ये घटनाएँ कहीं और घटी हैं, ऐसा पैनल के एक सदस्य का कहना है।

आईसीसी मंत्रालय की बाहरी सदस्य एडवोकेट अपर्णा भट का कहना है कि ‘ आम तौर पर, आईसीसी के अंतर्गत अगर कोई उत्पीड़न की घटना सामने आती है, तो आईसीसी इस पर गौर करने के लिए सक्षम मानी जाती है। आइसीसी, संगठन से बहार घटित दुर्घटनाओं के आरोपों की जांच के लिए ज़िमेदार नहीं मानी जाती है।‘

वहीँ अकबर ने इन आरोपों का खंडन करते हुए, उनमें से एक महिला पर मानहानि का मुकदमा भी दर्ज किया है।

इस आरोप के ज़रिये उन सभी महिलाओं को खामोश कराने की कोशिश में, पत्रकार प्रिया रमानी का कहना है कि वो इसके खिलाफ चुप नहीं बैठेंगी और अपने हक के लिए लड़ेंगी। उन्होंने ये भी कहा है कि “सत्य और पूर्ण सत्य ही मेरा बचाव है”। रमानी, जिन्होंने इंडिया टुडे, इंडियन एक्सप्रेस और मिंट  के साथ काम किया है उनका ये भी कहना है कि वो निराश हैं कि एक केंद्रीय मंत्री महिलाओं के विस्तृत आरोपों को राजनीतिक षड्यंत्र के रूप में खारिज कर देना चाहते हैं।

उसी में आगे जोड़ते हुए उनका ये भी कहना है कि ये सभी मामले पिछले कुछ वर्षों में महिलाओं की एक बढ़ती सशक्तिकरण और भारत में सामाजिक मीडिया और दुनिया भर में चर्चित #Metoo आंदोलन के ज़रिये ही एक परिणाम के रूप में उभरे हैं। इस बात की ओर इशारा करते हुए कि अकबर के खिलाफ आई बाकी 10 महिलाओं की घटनाएं , जो कथित तौर पर उनके लिए काम कर रही थीं, रमानी ने कहा कि महिलाओं ने अपने निजी और पेशेवर जीवन के लिए काफी जोखिम उठाते हुए ये सब बोलने का साहस जुटाया है । अकबर द्वारा उनके इरादों को गलत समझने की बजाये हमे सोचना चाहिए कि कैसे हम पुरुषों और महिलाओं के भविष्य के लिए कार्यस्थल को बेहतर बनाने का प्रयास कर सकते हैं।

कांग्रेस और कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सवादी) दोनों ने मांग की है कि यौन दुराचार के आरोपों के सामने आने के बाद सरकार को अकबर को उनके पद से हटा देना चाहिए। जिसके चलते भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने चुप्पी बनाए रखते हुए ये सवाल किया है कि क्या उन्हें कनिष्ठ मंत्री एम. के. अकबर को उन पर लगे आरोपों के कारण उनसे इस्तीफे की मांग करनी चाहिए?

हालाँकि न तो विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और न ही मंत्रालय ने अकबर के खिलाफ आरोपों पर कोई टिप्प्णी की है। विकास से परिचित दो लोगों ने नाम न छुपाने की शर्त पर कहा है कि ये फैसला राज्यमंत्री पर ही छोड़ दिया जाना चाहिए कि क्या वह उनके खिलाफ लगे गंभीर आरोपों को देखते हुए अपने औदे पर बरक़रार रहना पसंद करेंगे या नही?

इसी के चलते पार्टी का सोचना ये है कि इस इस्तीफे के ज़रिये विपक्षी दल के बीच अन्य मंत्रियों के इस्तीफे की मांग के लिए भी दरवाज़े खुल जायेंगे।