विश्व भर में मौसम विज्ञान दिवस 23 मार्च को मनाया जाता है। हमारे जीवन में मौसम बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। चुभती गर्मी से राहत पाने के लिए बारिश का मौसम आता है फिर मूसलाधार बारिश हमारे लिए छोड़ के जाती है पतझड़ का मौसम। फिर आती है कड़कड़ा के रख देने वाली ठंड, जिससे उभरने के लिए कुछ महीने बाद आती है वसंत ऋतू। कभी सोचा है कि अगर मौसम का ये चक्र गड़बड़ा जाए तो मानव जाती को किन मुसीबतों का सामना करना पड़ेगा। इसी को समझाने के लिए हर वर्ष मौसम विज्ञान दिवस मनाया जाता है।
इस दिवस का उद्देश्य लोगों को मौसम विज्ञान तथा इसमें हो रहे परिवर्तन के बारे में जागरूक कराना है। ग्लोबल वार्मिंग और बढ़ते प्रदूषण के कारण दुनिया भर का मौसम बुरी तरीके से प्रभावित हो रहा है। इसलिए यह ज़रूरी है कि हम मौसम में हो रहे इस बदलाव के बारे में जानें और इस बदलाव को रोक सकें।
विश्व मौसम विज्ञान संगठन एक मौसम विज्ञान संगठन ने इस दिवस की शुरुआत सन 1950 से करी, जिसके बाद हर साल इस दिवस को दुनिया भर में मनाया जाता है। इस बार हम मौसम विज्ञान दिवस के बारे में जानकारी लेने बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी के भूभौतिक विज्ञानं के प्रोफेसर मनोज कुमार श्रीवास्तव के पास पहुंचे और उनसे जानकारी ली। उन्होंने हमें बताया कि इस बार की मौसम विज्ञान की थीम समुद्र, जलवायु और मौसम है, और इन्हीं विषयों के बारे में लोगों को जागरूक भी किया जायेगा। तो चलिए जानते हैं कि प्रोफेसर मनोज का मौसम विज्ञान दिवस के बारे में क्या कहना है।