जिला महोबा ब्लाक जैतपुर गांव सुगिरा के रहने वाले क्षितिज द्विवेदी का कहना है कि हम कवि एवं लेखक हैं हमारी बचपन से शौक थी लेखक बनने की हम 23 साल के उम्र से लिख रहे हैं 45 साल होंगे है लिखते हुई
मेरी उम्र 68साल हो गयी है मैं रात के लिखता हूं मुझे लिखने का बहुत शौक है क्योंकि मैं रहूं कभी ना तो अगर ऐसे में लेख लिखूंगा तो मेरा लोग नाम लेंगे मुझे लोगों सुगिरा गांव गुरूकहके जानते हैं जो भी यहां के स्कुल है मेरे ही लिखे लेख लेते हैं और मेरी लिखी ही कबीता सुनते हैं में पहले पढ़ाई करता था मेरे सपना था आईएस बनने को लेकिन नहीं बन पाए हैं बन पाया हूं
मैं फीचरिंग करने लगा था लेख लिखने को मेरे चाचा ने सिखये हैं जिसमें पढाई करता है तो जो भी कगज मिलते थे तो रहते में तो रख लेता था एक दिन मेरे टीचर ने बोला कि क्या लिए हो तो मैंने बोला कि रास्ते में कुछ लिखे हुए कागज पड़े थे मैंने रख लिया था पढ़ने के लिए जैसे ही टीचर बोला कि कितने कागज तुझे चाहिए इसके जेब में भर दो दीजिए उसी दिन से मुझे लगा कि टीचर ने ऐसा बोला है तो मुझे कुछ अपने नाम के लिए करना ही चाहिए है तो मैं लेख लिखने लगा था पर कुछ दिन नहीं लिखा फिर उसके बाद अब मैं लिख रहा हूंयुवाओं के प्रेरणाश्रोत हैं युवा लेखक सौरभ द्विवेदी
जैसे राष्ट्रीय गीत और भी ऐसे लिखता ही रहता हूं जैसे कि रामलीला होते हैं तो वहां भी बैठा कर लिखना और तर्ज मिलाना कुछ दिन मैं रामलीला के जो दोहा होते हैं वह बहुत कठिन होते हैं इससे जो शब्द मिलाना बहुत कठिन होता है किस बात को लेकर मैं अपने आप से खुद में लिखने लगा भाइयों का बहुत ध्यान देना पड़ता है इनका कहना है की हम बहुत छोटे से कवि एवं लेखक है मुझे बहुत अच्छा लगता है लिखना और हम लिखते है मेरा शौक है