हर साल 2.4 मिलियन भारतीय सही इलाज न मिल पाने के कारण मर जाते हैं, जिसके चलते भारत दुनिया भर में ऐसे देशों की सूची में 136 नंबर पर आता है. सबसे खराब स्वास्थ्य चिकित्सा स्थिति वाले देशों पर एक अध्ययन के बाद ये बात द लंसेट में प्रकाशित एक रिपोर्ट में बताई गई है।
उचित स्वास्थ्य देखभाल ने हो पाने के कारण और स्वास्थ्य व्यवस्थाएं न मिल पाने के कारण मौतों में लगातार इजाफा हो रहा है. इसके चलते 2016 में 1.6 मिलियन भारतीयों की मृत्यु हो चुकी है , ये संख्या पर्याप्त स्वास्थ्य सेवायें न मिल पाने के कारण मरने वालों की संख्या से लगभग दोगुनी है।
वहीँ ऐसे हालातों के बीच भारत सरकार द्वारा सितंबर 2018 के अंत में अपनी महत्वाकांक्षी राष्ट्रीय स्वास्थ्य संरक्षण योजना, आयुषम भारत योजना को शुरू किया।
एक अध्ययन के अनुसार, भारत देश में 5 में 3 लोगों की मौत 32 प्रकार की बीमारियों के कारण सिर्फ इसलिए हो जाती है क्योंकि उन्हें समय पर अच्छा इलाज नहीं मिल पाता।
18 देशों पर किए गए ताजा सर्वे के आधार पर ये पाया गया है कि सबसे ज्यादा मौत का कारण लोगों को समय पर अच्छा इलाज नहीं मिल पाना है।
रिपोर्ट बताती है कि सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली द्वारा 60% मौतें खराब गुणवत्ता की देखभाल के कारण होती हैं। इसके अलावा इसमें 84% हृदय रोग ,सड़क हादसे, एचआईवी और अन्य संक्रामक रोग भी शामिल है।
लैंसेट की हेल्थकेयर एक्सेस एंड क्वालिटी इंडेक्स रिपोर्ट में भारत को 100 में से 41 परसेंटाइल दिए गए। इसका मतलब है कि दुनियाभर में स्वास्थ्य सेवाओं तक लोगों की पहुंच और गुणवत्ता में हमारी स्थिति दुनिया में नीचे से तीसरे पायदान और ऊपर से सांतवे पायदान पर है।
भारत की खराब रैकिंग की वजह उत्तर और मध्यभारत के 10 राज्य हैं, जहां स्वास्थ्य सेवाएं बदहाल है, जिसमें मध्यप्रदेश, राजस्थान, बिहार, उड़ीसा, झारखण्ंड, छत्तीसगढ़ और अरुणाचल प्रदेश जैसे राज्य शामिल हैं।
लैंसेट के इस सर्वे में पाया गया है कि 10 हजार भारतीयों में से हर साल 122 लोगों की मृत्यु सिर्फ अच्छी स्वास्थ्य सेवाएं न मिल पाने के कारण हो जाती है। इसी कारण हमारे देश की हालत ब्राजील, चीन, दक्षिण अफ्रीका, पाकिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश और श्रीलंका से भी बत्तर है।
साभार: इंडियास्पेंड