साल 2025–26 के बजट में इस योजना के लिए 550 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। वहीं महिलाओं की सुरक्षा और सशक्तिकरण के लिए शुरू की गई मुख्यमंत्री कन्या सुमांगला योजना में कुल बजट 700 करोड़ रुपये है। लेकिन इसमें से सिर्फ 25,000 रूपए दिए जाते हैं जब एक लड़की जन्म लेती है, स्कूल जाती है, टीकाकरण कराती है और आगे पढ़ाई करती है। ऐसी 7 श्रेणियाँ हैं जब उन्हें 25000 राशि का एक पड़ाव पार करने में एक हिस्सा मिलता है। वहीं शादी होते ही एक बार में 1 लाख रूपए मिलते हैं। पहले ये राशि 51000 हज़ार थी जो की अब बढ़ा दी गयी है। क्या ये साफ संकेत नहीं है कि सरकार को बेटी की शिक्षा और आत्मनिर्भरता से ज़्यादा उसकी शादी की चिंता है?
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